जिले में एनपीएस कर्मचारियों के खाते से सितंबर 2021 से जून 2022 तक कर्मचारी और सरकार का अंशदान काट लिया गया किंतु निवेशित नहीं किया गया। पिछले नौ महीने की राशि निवेशित न होने से भी नाराजगी है।
केस वन: केसर विद्यापीठ इंटर कॉलेज के शिक्षक योगेश कुमार मिश्रा के एनपीएस की टोटल फंड वैल्यू 31 मार्च 2022 को 16.14 लाख रुपये थी जो दो सप्ताह बाद 14 अप्रैल को घटकर 15.94 लाख रह गई। शेयर मार्केट के गिरने से निवेशित रकम कम हो गई।
केस टू: परमेश्वरदीन मिश्र इंटर कॉलेज करछना के शिक्षक अंजनी कुमार के राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (पूर्व में नई पेंशन योजना-एनपीएस) खाते में 31 मार्च 2022 को 16.41 लाख रुपये थे जो दो सप्ताह बाद 14 अप्रैल को घटकर 16.21 रुपये ही रह गए।
यही हाल सभी एनपीएस कर्मचारियों के साथ हुआ है। जिसकी जितनी ज्यादा फंड वैल्यू थी उसको उतना ही ज्यादा नुकसान हुआ। एनपीएस से आच्छादित शिक्षकों और कर्मचारियों के बुढ़ापे की लाठी पर भी बाजार की मार पड़ी है। निवेशित राशि पर चालू वित्तीय वर्ष में नकारात्मक रिटर्न (प्रतिलाभ) मिलने के कारण इससे आच्छादित शिक्षकों और कर्मचारियों में नाराजगी है। इस मामले में भाजपा के ही सांसदों ने लोकसभा में सवाल खड़े किए हैं। कौशाम्बी से सांसद विनोद कुमार सोनकर और पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पुत्र राजवीर सिंह (राजू भैय्या) ने एनपीएस में नकारात्मक प्रतिलाभ पर हाल ही में लोकसभा में प्रश्न किया था जिसका जवाब वित्त राज्य मंत्री डॉ. भागवत कराड़ को देना पड़ा।
सफाई दी कि एनपीएस एक दीर्घकालिक उत्पाद है और वित्तीय वर्ष 2021-22 में रिटर्न 6.91 प्रतिशत रहा है। हालांकि शिक्षकों का कहना है कि शेयर मार्केट आधारित होने के कारण एनपीएस का कोई भरोसा नहीं है। यह शेयर कब गिर जाए और कब उठे क्या पता। ऐसा भी हो सकता है कि 31 मार्च को जो कर्मचारी अवकाश प्राप्त कर रहा हो उस दिन तक तो शेयर उठा रहे और एक अप्रैल को धड़ाम से गिर जाए तो क्या होगा