केजीएमयू में शिक्षकों की भर्ती दो-दो नियमों के तहत की जा रही है। इसका खामियाजा सुपर स्पेशियालिटी विभागों को भुगतना पड़ रहा है। चार-चार बार विज्ञापन निकलने के बाद भी आवेदन नहीं आ रहे हैं। नतीजतन केजीएमयू में सुपर स्पेशियालिटी विभाग में मरीजों को बेहतर इलाज मिलने की राह कठिन हो रही है। कई विभाग एक या दो नियमित डॉक्टरों के भरोसे चल रहे हैं।
केजीएमयू में वर्ष 2013 के बाद करीब आधा दर्जन सुपर स्पेशियालिटी विभाग खुले। इनमें शिक्षकों की भर्ती की अलग नीति बनाई गई। जबकि मेडिसिन, स्त्रत्त्ी एवं प्रसूति रोग, सर्जरी, मेडिसिन समेत दूसरे पुराने विभाग में शिक्षक भर्ती के दूसरे नियम हैं। इनमें असिस्टेंट प्रोफेसर की प्रोन्नति के बाद विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर का पद खाली मान लिया जाता है। ऐसे में यहां असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर आवेदन मांगे जाते हैं। पर सुपर स्पेशियलिटी विभाग में नियम अलग हैं।
यहां असिस्टेंट प्रोफेसर पदोन्नति के बाद प्रोफेसर बन गया तो भी उसका मूल पद असिस्टेंट प्रोफेसर ही भरा माना जाएगा। ऐसे में यहां एसोसिएट और प्रोफेसर का पद खाली माना जा रहा है। असिस्टेंट से प्रोफेसर बनने वाले को प्रोफेसर पद के सापेक्ष नहीं माना जाता है।