लखनऊ। एडेड माध्यमिक स्कूलों में सरप्लस शिक्षकों के समायोजन की प्रक्रिया प्रक्रिया तय कर दी गई है। इसमें सबसे सरप्लस शिक्षक वह होगा जिसने सबसे बाद में स्कूल में कार्यभार ग्रहण किया हो हालांकि कुछ श्रेणियों के शिक्षकों को इससे छूट दी गई है।
माध्यमिक शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव दीपक कुमार ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। जिन स्कूलों में शिक्षक कम है वहां इन्हें स्थानांतरित किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने एडेड स्कूलों के सरप्लस शिक्षकों के समायोजन के निर्देश दिए थे। प्रदेश में लगभग 4500 सहायताप्राप्त स्कूल हैं।
काफी वर्ष पहले सरकार ने यहां जनशक्ति निर्धारण करवाया था। इन स्कूलों में छात्रसंख्या कम हो गई लेकिन पद पहले की संख्या के आधार पर ही रहे। अब जिन स्कूलों में शिक्षक कम हैं वे विषयवार सूची तैयार करेंगे ताकि उन्हें बच्चों की संख्या के मुताबिक शिक्षक मिल सके। सरप्लस शिक्षक के निर्धारण के लिए सबसे बाद में आने वाले यानी लास्ट कम फर्स्ट आउट के सिद्धांत का पालन किया जाएगा। लेकिन इसमें स्वयं या पति पत्नी को कैंसर, एड्स, किडनी, लीवर जैसी असाध्य बीमारियों से ग्रसित होने या फिर विधवा या विधुर शिक्षक जिन पर बच्चों के पालने की जिम्मेदारी हो, सेना-वायु सेना समेत अन्य बलों में कार्यरत लोगों के जीवनसाथी और विवाहित महिला शिक्षक जिसका बच्चा ऑटिस्टिक से पीड़ित हो, तो उस पर यह सिद्धांत लागू नहीं होगा। इन सभी के लिए निर्धारित प्रमाणपत्र लगाने पर ही छूट दी जाएगी।
इसके प्रस्तावों पर विचार करने के लिए शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। वहीं मंडल् स्तर पर मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक की अध्याक्षता मे मंडल स्तर कमेटी का गठन किया गया है