सिद्धार्थनगर। सर, बच्चे छोटे हैं, पति भी शहर से बाहर काम करते हैं, घर में बुजुर्ग सास, ससुर हैं। ऐसे में घर की सारी जिम्मेदारियां भी मेरे ऊपर ही है। हर दिन 50–60 किमी की यात्रा कर समय से स्कूल भी पहुंचना है। आने जाने में ही हिम्मत जवाब दे जाती है, न घर ही ठीक से संभल पाता है और न ही बच्चों को पूर्ण मनोयोग से पढ़ा पा रही हूं।
पारस्परिक स्थानांतरण के लिए एक ऐसे शिक्षक साथी की तलाश है, जो मेरी जगह चला जाए और मुझे मेरे घर के नजदीक का विद्यालय मिल जाए तो परिवार, बच्चों और स्वयं के लिए सहूलियत होगी...। परिषदीय विद्यालयों में अपने घर से दूर तैनात शिक्षक–शिक्षिकाओं का दर्द कुछ ऐसा ही है।
दरअसल, शिक्षकों ने जिले के भीतर स्थानांतरण के लिए आवेदन कर दिया है, लेकिन इन्हें अब म्युचुअल (समान) साथी नही मिल रहें हैं। ऐसे में वे शिक्षा विभाग के चक्कर काटने के साथ ही, सोशल मीडिया पर समान स्थानांतरण चाहने वाले साथी की तलाश में हैं। बता दें कि वर्तमान में बेसिक शिक्षा विभाग में अंतरजनपदीय और अंतःजनपदीय ट्रांसफर की प्रक्रिया चल रही है, जिले के भीतर स्थानांतरण के लिए म्युचुअल साथी की जरूरत होती है। जिले से बाहर का ट्रांसफर अभी हो गया है, लेकिन जिले के अंदर की प्रक्रिया ठप है। आवेदकों में ऐसे लोग हैं, जो अपने निवास स्थान से 30 से लेकर 70 किमी दूर तक स्कूल जाते हैं। इससे इन्हें एक तरफ अत्यधिक शारीरिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, वहीं यह अपने परिवार की परवरिश नहीं कर पाते। बीएसएस देवेंद्र कुमार पांडेय ने बताया कि म्युचुअल केस होंगे तो नियमों के अनुसार ट्रांसफर होंगे।
केस नंबर एक
जिला मुख्यालय के परशुराम नगर वार्ड निवासी महिला शिक्षिका जिनकी तैनाती बढ़नी ब्लॉक के दूरस्थ क्षेत्र में हुई है। यह अपने घर से करीब 50 किमी की दूरी तय कर स्कूल जाती हैं। इनके पति सरकारी नौकरी में हैं जो घर से दूर हैं, दो छोटे–छोटे बच्चें हैं, सास ससुर भी घर पर ही रहते हैं। सबसे अधिक दिक्कत तब होती है, जब घर में कोई अचानक बीमार पड़ जाता है। इन्हें म्युचुअल साथी की तलाश है।
केस नंबर दो
उसका विकास क्षेत्र के गंगाधरपुर निवासी महिला शिक्षिका की तैनाती खेसरहा विकास क्षेत्र के सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में हुई है, दो बच्चें हैं इन्हें बुजुर्ग सास–ससुर के पास छोड़ कर स्कूल जाना पड़ता है, आने जाने में ज्यादा समय निकल जाता है। हर समय घर की चिंता लगी रहती है। इन्हें म्युचुअल साथी की तलाश है, जो अभी नहीं मिल रहा है।