यूपी टीचर ट्रांसफर लिस्ट नियमावली को ताख पर रखकर निकाली गई। इस ट्रांसफर लिस्ट में बड़े स्तर पर घालमेल हुआ है। नियमावली में सरकारी नौकरी करने वाले स्पाउस को वेटेज दिए जाने का प्रावधान था मगर हजारों टीचर्स के वेटेज बिना कारण बताए कैंसिल कर दिए गए। यह कहना है यूपी अंतर्जनपदीय स्थानांतरण से वंचित सीतापुर की टीचर अन्नपूर्णा का।
- 69000 बैच के कार्य मुक्त हो चुके साथियों की कार्य मुक्ति को निरस्त किए जाने के संबंध में
- बिना भारांक वाले तबादला प्राप्त शिक्षकों को कार्यमुक्त करने के संबंध में
- अन्तर्जनपदीय स्थानान्तरण सत्यापनोपरान्त निम्नलिखित 38 शिक्षक एवं शिक्षिकाओं को जनपदीय समिति द्वारा अपात्र पाते हुए कार्यमुक्त न करने का निर्णय लिया गया
- अंतर जनपदीय तबादला नीति के तहत सूची में शामिल रिलीव होने को शिक्षकों में मची आपाधापी
- MRC स्थानांतरित शिक्षक विशेष ध्यान दें Income tax return के संबंध में
- मानव सम्पदा पर शिक्षामित्रों व अनुदेशकों के अवकाश हुए अपडेट
- 69000 शिक्षक भर्ती के स्थानांतरण प्राप्त अध्यापक/अध्यापिकाएं पूर्व कार्यरत विद्यालय पर पुनः कार्यभार ग्रहण करना सुनिश्चित करे
- युवाओं के लिए बड़ी खुशखबरी, शिक्षकों के 2100 पदों पर निकली बम्पर भर्ती
उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन प्राथमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक अपने तबादले के लिए पिछले 2 साल से इंतजार कर रहे थे जिसके बाद 8 जून से चली अंतर्जनपदीय स्थानांतरण की प्रक्रिया में शासन द्वारा 26 जून को निर्गत यूपी टीचर ट्रांसफर लिस्ट (तबादला सूची) में बड़ा खेल हो गया।
वेटेज कैंसिल होने वाले शिक
4D;षकों की मानें तो जनपद स्तर पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने अपनी मनमानी की है।
शिक्षकों के अंतर्जनपदीय स्थानांतरण की तबादला सूची जारी होने के बाद जहां एक और शिक्षकों में आक्रोश फैल गया वहीं दूसरी ओर शिक्षकों के द्वारा तबादला सूची को संदिग्ध और घोटालों से भारी हुई बताया गया। 69 हज़ार शिक्षक भर्ती की महिला शिक्षकों ने ट्वीटर अभियान चलाकर कार्यमुक्त करने की रखी मांग, 10 जुलाई को धरने की सूचना के साथ डीएम को सौंपा ज्ञापन
तबादला सूची में सबसे ज्यादा आरोप असाध्य और गंभीर रोगों के साथ यूपी ट्रांसफर पॉलिसी के तहत दिए जाने वाले वेटेज पर लगे हैं। सोशल मीडिया पर हजारों शिक्षकों के द्वारा अलग-अलग कारणों के तहत तबादला सूची पर आरोप लगाए गए हैं।
शासन द्वारा निर्गत 16614 शिक्षकों की तबादला सूची पर विवाद खड़ा हो गया है।शिक्षकों का आरोप है कि शासन और प्रशासन ने कायदे-कानून दरकिनार कर मनमाने तरीके से शिक्षकों के तबादले किए हैं। किसी जनपद में सरकारी नौकरी में पति-पत्नी वालों को वेटेज दिया गया तो किसी जनपद में नहीं। असंतुष्ट शिक्षक अब हाईकोर्ट में याचिका करने की तैयारी में है।
बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव प्रताप सिंह बघेल के आदेश के बाद 26 जून को निर्गत हुई तबादला सूची में कुल स्थानांतरित हुए 16614 टीचर्स में 6880 को मिला पति की सरकारी नौकरी का लाभ मिला। बता दें कि उत्तर प्रदेश में 45,914 अंतर्जनपदीय टीचर्स स्थानांतरण के सापेक्ष केवल 16,614 शिक्षक एवं शिक्षिकाओं का ही स्थानान्तरण हुआ। यूपी टीचर ट्रांसफर: 10% अतिरिक्त सीटों पर स्थानांतरण के लिए विधायक से मिले शिक्षक
केस नंबर 1
यूपी के जनपद सीतापुर में तैनात अखिलेश शर्मा ने NPR टुडे को बताया कि उनके साथ जनपद सीतापुर में ही कार्यरत शिक्षक कपिल देव और उनकी सेवा अवधि 7 वर्ष की है। दोनों की नियुक्ति तिथि 10-11-2015 एक ही थी और दोनों ने ही अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के लिए एक ही जिले प्रतापगढ़ का चयन किया। टीचर अखिलेश का कहना है उम्र में टीचर कपिल जूनियर है जबकि मैं अखिलेश कपिल से वरिष्ठ था फिर भी तबादला सूची आने के बाद कपिल का ट्रांसफर प्रतापगढ़ हो गया और वरिष्ठ होते हुए मेरा ट्रांसफर नहीं हुआ।
अखिलेश ने बताया कि सरकार द्वारा जारी G.O में यह स्पष्ट उल्लेख है कि यदि सेवा अवधि समान हैं तो नियुक्ति तिथि पर विचार किया जाएगा और यदि वह भी समान है तो उम्र के आधार पर वरिष्ठता पर विचार किया जाएगा इसके बावजूद नियमावली को दरकिनार कर मेरा ट्रांसफर नहीं किया गया।
अखिलेश ने बताया कि इस वक्त जब जनपद सीतापुर में शिक्षकों की प्रमोशन सूची प्रकाशित हुई है तो प्रमोशन सूची में भी वरिष्ठता क्रम में के मेरा नाम कपिल से ऊपर है इससे प्रतीत होता है कि तबादला सूची में बड़ा खेल हुआ है कोई अधिकारी कुछ भी सुनने का तैयार नहीं।
केस नंबर 2
यूपी के जनपद सिद्धार्थनगर में कार्यरत दिव्यांग शिक्षक दीपक कुमार 100% दिव्यांग हैं। दीपक खुद पैदल नहीं चल सकते उन्हें व्हीलचेयर का सहारा लेना पड़ता है। दीपक ने बताया अंतर्जनपदीय स्थानांतरण में उनका दिव्यांग सर्टिफिकेट का वेटेज नहीं जोड़ा गया जबकि यूपी टीचर ट्रांसफर पॉलिसी में दिव्यांग टीचर्स के लिए वरीयता दी गई है। मैं अपनी समस्या को लेकर डीजी शिक्षा महानिदेशक से मिला पर तुरंत कोई कार्रवाई नहीं हुई मुझे केवल आश्वासन दिया गया।
केस नंबर 3
यूपी के जनपद बहराइच के ब्लॉक चितौरा के परिषदीय स्कूल में कार्यरत मंजू पाल के पति शेर सिंह पाल ने NPR टुडे को बताया कि उनकी पत्नी को कैंसर है। उनके सिर की हाल ही में रेडियोथैरेपी हुई है।बरेली के कैंसर हॉस्पिटल में हर हफ्ते कीमोथेरेपी और इलाज चल रहा है। उन्होंने कहा यूपी टीचर ट्रांसफर पॉलिसी के तहत असाध्य एवं गंभीर रोगों से पीड़ित टीचर्स के लिए 20 नंबर का वेटेज देने का प्रावधान है मगर यह वेटेज उनकी पत्नी को नहीं दिया गया।
केस नम्बर 4 और 5
आगरा की दिव्यांग टीचर अनुपम बलोटिया का स्थानांतरण उनके वेटेज के अनुसार जनपद झांसी और जालौन में नहीं हुआ जबकि जनपद फर्रुखाबाद में कार्यरत टीचर ऋचा निरंजन के पति पंजाब नेशनल बैंक में कार्यरत होने के बावजूद उनको वेटेज का लाभ नहीं दिया गया।
केस नंबर 6, 7 और 8
इसी तरह जनपद महाराजगंज में कार्यरत टीचर बंदना यादव के पति, जनपद बलरामपुर में कार्यरत ज्योति मिश्रा के पति और अभिषेक कुमार जायसवाल की पत्नी बेसिक शिक्षा विभाग क्रमश प्रतापगढ़, बहराइच और बलरामपुर में कार्यरत होने के बावजूद उनको वेटेज का लाभ नहीं दिया गया।
केस नंबर 9
सिद्धार्थनगर की संगीता वर्मा का केस इन सबसे अलग है। संगीता के पति भारतीय जीवन बीमा निगम में कार्यरत हैं। संगीता ने बताया कि उनका नाम लिस्ट में था मगर जब कार्यमुक्ति के लिस्ट आई तो उनका नाम उस लिस्ट से गायब था। संगीता ने जनपद उन्नाव के लिए आवेदन किया था।
केस नंबर 10
एक अन्य जनपद बदायूं में कार्यरत टीचर शालू शर्मा के पति वायुसेना में कार्यरत है और उन्होंने सहारनपुर के लिए आवेदन किया था मगर उनका नाम स्थानांतरण सूची में शामिल नहीं हुआ।
इन शिक्षकों ने एनपीआर टुडे को बताया कि अपने वेटेज को लेकर इन्होंने बीएसए कार्यालय संपर्क किया और अपने वेटेज जुड़ने या कैंसिल होने की जानकारी चाही मगर बीएसए और कार्यालय के किसी भी बाबू से इनको कोई जानकारी मुहैया नहीं कराई गई।
अनुपम ने एनपीआर टुडे को बताया कि शिक्षकों का वेटेज ट्रांसफर सिस्टम में शो नहीं किया गया जिससे लोगों को नहीं पता चला कि उनका ट्रांसफर किन कारणों से नहीं हुआ, तबादला सूची में वेटेज स्पष्ट होना चाहिए। उन्होंने ट्रांसफर लिस्ट को अपडेट करने की मांग की।
रजनीश यादव ने कहा कि बिना प्रत्यावेदन का अवसर दिए वेटेज कैंसिल कर दिया कम से कम एक मौका देना चाहिए था कि सेवा प्रमाण पत्र ओरिजिनल दिखा सकें।बता दें कि अंतर्जनपदीय स्थानांतरण से वंचित कई महिलाओं ने एनपीआर टुडे को बताया कि उनसे पति-पत्नी का प्रूफ नहीं मांगा गया था जिसकी वजह से उनका आवेदन कैंसिल किया गया। अगर पति पत्नी के प्रूफ होने की मांग की जाती तो हम प्रत्यावेदन देकर पति-पत्नी का प्रूफ जमा कर देते।