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UP Teachers Transfer : यूपी प्राइमरी शिक्षकों के ट्रांसफर प्रक्रिया में पेंच, शिक्षकों ने परिजनों को बनाया 'झूठा रोगी', वेटेज की जांच

 प्रयागराज : प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग में हो रहे ट्रांसफर प्रक्रिया में शिक्षकों ने गलत तरह से कागज लगाया और लाभ लिया, ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं. शासन के निर्देश पर यहां के जिलों में जब सीडीओ की अगुआई वाली कमेटी ने जांच की तो पाया कि उनकी ओर से दिए गए वेटेज सही नहीं है. इस पर ध्यान देते हुए शिक्षकों को कार्यमुक्त करने से रोका गया है और विभागीय कार्यवाही की इन शिक्षकों पर अब तलवार लटक रही है.  

काफी कमियां दिखीं
बहुत समय बाद शिक्षकों के एक से दूसरे डिस्ट्रिक्ट में ट्रांसफर के लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने प्रक्रिया शुरू की और इसके तहत 16,614 शिक्षकों के ट्रांसफर किए गए लेकिन शिक्षकों को कार्यमुक्ति से पहले विभिन्न वेटेज के लिए जो भी कागजातों को उन शिक्षकों ने लगाया उसकी दोबारा जांच कराने का फैसाल किया गया है. क्योंकि असाध्य रोग के लिए जो भी कागजात लगाए गए उसमें प्राथमिक स्तर पर काफी कमियां दिखी हैं. 

पठन-पाठन पर प्रभाव 
जांच करने को लेकर हर जिले में सीडीओ की अगुआई में कमेटी गठित की गई और फिर जांच के बाद पाया गया कि श्रावस्ती में 38, बहराइच में 55 शिक्षक अपात्र मिले. जिनको कार्यमुक्त से रोका गया. ध्यान देने वाली बात है कि शासन स्तर पर भले ही ट्रांसफर लिस्ट जारी की गई हो पर कुछ जिलों में कमेटी की जांच नहीं पूरी हुई. दूसरी ओर कुछ जिलों में कई तरह की औपचारिकताएं ही नहीं पूरी की गई थी. वहीं 3 जुलाई से स्कूल खुल चुके जिसका प्रभाव पठन-पाठन पर भी पड़ रहा है. 

कायदे-कानून दरकिनार 
वहीं, ट्रांसफर प्रक्रिया को लेकर मनमानी की बात भी सामने आई है. यूपी के सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षक ट्रांसफर के लिए दो साल की कानूनी लड़ाई के बाद भी अब मनमानी किए जाने की बात सामने आ रही है. 30 जून को जारी किए गए 1193 शिक्षक के ट्रांसफर की लिस्ट पर विवाद छिड़ गया. आरोप लगाया जा रहा है कि कायदे-कानून दरकिनार किए गए और मनमानी करते हुए शिक्षकों के ट्रांसफर किए गए. असंतुष्ट शिक्षक अब एक कदम और आगे बढ़ते हुए हाईकोर्ट में अपनी याचिका डालने की तैयारी में है. 

पीड़ित शिक्षकों का आरोप
12 जुलाई 2021 को माध्यमिक शिक्षा विभाग ने ऑनलाइन ही ट्रांसफर करने को लेकर 1056 खाली जगहों को दिखाया था जिसके लिए करीब 2250 शिक्षक के द्वारा आवेदन किया था. वहीं राकेश कुमार प्रजापति के याचिका के बाद प्रक्रिया 19 अगस्त 2021 को रोकी गयी. राकेश भी एक शिक्षक ही हैं. वहीं इस रोक के बाद पौने दो साल तक कानूनी रूप से लड़ाई चली और फिर ट्रांसफर प्रक्रिया शुरू कर दी गई. पीड़ित शिक्षकों का आरोप है कि ऑफलाइन तबादले की आड़ में खेल किया जा रहा है. 

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