पीसीएस और आरओ/एआरओ की प्रारंभिक परीक्षाएं एक से अधिक दिन और पालियों में कराने के फैसले के खिलाफ प्रतियोगी छात्रों का गुस्सा सोमवार को फूट पड़ा। उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों, नई दिल्ली समेत आसपास के राज्यों के हजारों छात्रों ने सोमवार से उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के बाहर पहुंचकर बेमियादी धरना शुरू कर दिया है और किसी सूरत में मानकीकरण (नॉर्मलाइजेशन) को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। आयोग ने दो दिन परीक्षा कराने की सूचना पांच नवंबर को जारी की थी। उसी दिन से प्रतियोगी छात्रों ने 11 नवंबर से घेराव के लिए सोशल मीडिया पर अभियान चलाना शुरू कर दिया था।
एक्स, फेसबुक और टेलीग्राम आदि सोशल मीडिया मंच के माध्यम से अपील की जा रही थी जिसका नतीजा सोमवार को देखने को मिला। छात्रों के विरोध को देखते हुए प्रशासन ने पहले से तैयारी कर रखी थी। सुबह दस बजे ही आयोग और एनआईपी चौराहे पर बैरीकेडिंग कर दी गई थी। लेकिन 11 बजते-बजते आयोग चौराहे पर इतनी अधिक संख्या में छात्र जुट गए कि पुलिस और पैरामिलिट्री के जवानों को उन्हें रोकना मुश्किल हो गया।
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छात्र को लाठी लगी: छात्र बैरीकेडिंग गिराकर दो नंबर गेट की तरफ बढ़ने लगे तो कुछ पुलिसकर्मियों ने लाठी लेकर दौड़ाया और एक छात्र को लाठी लगी भी। लेकिन बढ़ती भीड़ देख सुरक्षाकर्मी किनारे हो गए और आयोग के चारों तरफ का इलाका पूरी तरह से छात्रों के कब्जे में आ गया।
नौकरी भाजपा के एजेंडे में नहीं :सपा
लखनऊ। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा है कि नौकरी भाजपा के एजेंडे में है ही नहीं। अखिलेश यादव ने सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर लिखा, ‘युवा विरोधी भाजपा का छात्राओं और छात्रों पर लाठीचार्ज बेहद निंदनीय कृत्य है। इलाहाबाद में यूपीपीएससी में धांधली को रोकने के लिए अभ्यर्थियों ने जो मांग बुलंद की तो भ्रष्ट भाजपा सरकार हिंसक हो उठी। हम फिर दोहराते हैं: नौकरी भाजपा के एजेंडे में है ही नहीं। एक अन्य पोस्ट में अखिलेश ने लिखा, ये हैं भाजपा राज में ‘बेटियों’ के हालात। सड़क पर आना पड़ा लेकर तख़्ती हाथ।
अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज कायराना हरकत: अजय राय
लखनऊ। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने अभ्यर्थियों पर हुए लाठी चार्ज को कायराना हरकत बताया है। उन्होंने एक्स पर लिखा कि एक तो राज्य सरकार इन अभ्यर्थियों के रोजगार के साथ मजाक कर रही है। दूसरी ओर इनकी बात सुनने और मांग पर विचार करने की बजाय इन पर लाठियां बरसवा रही है।
प्रयागराज, हिटी । उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने परीक्षाओं की शुचिता और अभ्यर्थियों की सुविधा को अपनी प्राथमिकता बताया है।
आयोग के प्रवक्ता ने कहा कि आयोग की परीक्षाओं की शुचिता एवं छात्रों के भविष्य को संरक्षित करने के उद्देश्य से परीक्षाएं केवल उन केन्द्रों पर कराई जा रही है, जहां किसी प्रकार की कोई गड़बड़ियों की कोई सम्भावना नहीं है। पूर्व में दूर-दराज के परीक्षा केन्द्रों में कई प्रकार की गड़बड़ियां संज्ञान में आयी हैं, जिससे योग्य छात्रों के भविष्य अनिश्चित्ता बन जाती है। इसे खत्म करने के लिए एवं संपूर्ण परीक्षा मेरिट के आधार पर संपन्न कराने के लिए इन केन्द्रों को हटाया गया है।
सोमवार को आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि बस अड्डा/रेलवे स्टेशन के 10 किलोमीटर परिधि में राजकीय एवं वित्त पोषित शैक्षणिक संस्थाओं जो पूर्व में संदिग्ध व विवादित या काली सूची में न हो, को ही परीक्षा केन्द्र बनाया जा रहा है। जहां पांच लाख से अधिक अभ्यर्थी हैं, वहां परीक्षा एक से अधिक पालियों में कराई जाने की व्यवस्था लागू की गई है। इसी के तहत, पीसीएस (प्रारंभिक) परीक्षा 07 और 08 दिसंबर को और आरओ/एआरओ परीक्षा 22 व 23 दिसंबर को तीन पालियों में होगी।
कराए जाने का निर्णय लिया गया।
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आयोग के प्रवक्ता ने यह भी बताया कि जहां किसी एक विज्ञापन के सापेक्ष एकाधिक दिवसों/पालियों में परीक्षायें आयोजित करायी जाती हैं, वहां परीक्षा के मूल्यांकन के लिए प्रसामान्यीकरण की प्रक्रिया अपनायी जानी आवश्यक है, जैसा कि देश के विभिन्न प्रतिष्ठित भर्ती निकायों, आयोगों आदि में अपनायी जाती है। न्यायालय के विभिन्न निर्णयों द्वारा व्याख्यायित भी है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नीट परीक्षा हेतु गठित राधाकृष्णन कमेटी द्वारा भी दो पालियों में परीक्षा कराने की अनुशंसा की गई है, वहीं, पुलिस भर्ती परीक्षा भी दो पालियों में कराई गई।
आयोग के प्रवक्ता ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के बीते 07 नवम्बर के आदेश के अनुसार यदि विज्ञापन, भर्ती एवं चयन संबंधी किसी बिन्दु पर मौन है तो उस से संबंधित सक्षम प्राधिकारी चयन हेतु अभ्यर्थियों की शार्टलिस्टिंग के उद्देश्य से यथा आवश्यक प्रशासनिक एवं व्यवस्थागत प्रक्रिया निर्धारित व लागू कर सकते हैं। आयोग द्वारा तद्नुसार ही प्रक्रिया अपनायी जा रही है।
प्रवक्ता ने कहा कि परीक्षाओं के संबंध में अभ्यर्थियों ने आयोग को पत्र भेजकर बताया है कि कुछ टेलीग्राम चैनलों एवं यू ट्यूबर्स द्वारा परीक्षा को टलवाने की साजिश की जा रही है। ये चैनल परीक्षा के प्रसामान्यीकरण को लेकर भ्रम फैला रहे हैं और उम्मीदवारों को गुमराह कर रहे हैं। अनेक अभ्यर्थी जिनके लिए यह परीक्षा और समय दोनों ही बहुत अधिक महत्वपूर्ण है, आयोग के इस निर्णय का समर्थन करते हैं। प्रवक्ता ने कहा कि सरकार एवं आयोग की मंशा छात्र हितों को संरक्षित करना एवं मेरिट के आधार पर चयन सुनिश्चित करना है। चयन प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी एवं छात्र हितों को ध्यान में रखते हुए निर्धारित की गई है। इस संबंध में अभ्यर्थियों को सभी आवश्यक जानकारी भी दी जा रही है।