तीसरे शिक्षक समायोजन पर आपत्ति 31 मार्च 2026 को सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षकों को बाहर रखने की मांग

 लखनऊ।

बेसिक शिक्षा विभाग में शासन के निर्देश पर प्रदेश के सभी जिलों में शिक्षकों के तीसरे अनिवार्य समायोजन की प्रक्रिया जारी है। इस बीच उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ ने समायोजन प्रक्रिया को लेकर एक महत्वपूर्ण आपत्ति दर्ज कराई है।

संघ का कहना है कि वर्तमान समायोजन सूची में ऐसे शिक्षक भी शामिल किए जा रहे हैं, जो सत्र लाभ के कारण कार्यरत हैं और 31 मार्च 2026 को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। यदि इन शिक्षकों को समायोजन में शामिल कर शिक्षक-छात्र अनुपात (PTR) संतुलित किया गया, तो 1 अप्रैल 2026 से संबंधित विद्यालयों में शिक्षकों की कमी उत्पन्न हो जाएगी


संघ ने क्यों जताई चिंता?

उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि—

  • कई विद्यालयों में शिक्षक-छात्र अनुपात संतुलित दिखाने के लिए

  • ऐसे शिक्षकों को भी गिना जा रहा है,

  • जो अगले सत्र की शुरुआत से पहले ही सेवानिवृत्त हो जाएंगे

इस स्थिति में नए शैक्षिक सत्र के प्रारंभ होते ही उन विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या मानक से कम हो जाएगी, जिससे शैक्षणिक कार्य प्रभावित होने की आशंका है।


संघ की प्रमुख मांग

संघ ने शासन एवं विभाग से मांग की है कि—

  • 31 मार्च 2026 को सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षकों

  • को तीसरे अनिवार्य समायोजन प्रक्रिया से बाहर रखा जाए

  • ताकि आगामी सत्र में विद्यालयों में शिक्षक-छात्र अनुपात प्रभावित न हो

संघ का तर्क है कि इससे प्रशासन को भविष्य की आवश्यकता के अनुरूप शिक्षक व्यवस्था सुनिश्चित करने में भी सहायता मिलेगी।


आगे क्या हो सकता है?

विभागीय स्तर पर अभी समायोजन की प्रक्रिया चल रही है। शिक्षक संगठनों की मांगों को देखते हुए संभावना जताई जा रही है कि—

  • शासन स्तर पर इस विषय पर पुनर्विचार किया जा सकता है

  • या आगे की प्रक्रिया के लिए स्पष्टीकरण जारी किया जा सकता है

हालांकि, फिलहाल इस संबंध में कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं हुआ है।


निष्कर्ष

तीसरे शिक्षक समायोजन को लेकर उठी यह मांग भविष्य की शिक्षक आवश्यकता और विद्यालयों की शैक्षणिक व्यवस्था से सीधे जुड़ी हुई है। यदि सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षकों को समायोजन में शामिल किया जाता है, तो नए सत्र में कई विद्यालयों को शिक्षक संकट का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में अब सभी की निगाहें शासन के अगले निर्णय पर टिकी हैं।

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