जब बच्चों के लिए ठंड असहनीय है, तो शिक्षकों के लिए क्यों नहीं?

 जनपद में अत्यधिक शीतलहर और घने कोहरे को देखते हुए कक्षा 1 से 8 तक के छात्र-छात्राओं के लिए अवकाश घोषित किया गया। यह निर्णय निस्संदेह बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के दृष्टिकोण से सराहनीय है।

परंतु इसी आदेश में शिक्षकों एवं अन्य कर्मचारियों को विद्यालय में अनिवार्य रूप से उपस्थित रहने का निर्देश दिया गया, जो कई गंभीर प्रश्न खड़े करता है।


❓ मूल सवाल

जब मौसम की परिस्थितियाँ इतनी गंभीर हैं कि
➡️ बच्चों को विद्यालय बुलाना असुरक्षित माना गया
तो
➡️ क्या वही परिस्थितियाँ शिक्षकों के लिए सुरक्षित हो जाती हैं?

क्या ठंड, कोहरा और शीतलहर का प्रभाव
सिर्फ बच्चों पर पड़ता है, शिक्षकों पर नहीं?


🚶‍♂️ शिक्षकों की वास्तविक स्थिति

  • अधिकांश शिक्षक दूर-दराज़ ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं

  • प्रातःकाल घने कोहरे में यात्रा करना

    • जोखिमपूर्ण

    • दुर्घटना संभावित

  • इसके बावजूद शिक्षकों को अनिवार्य उपस्थिति का आदेश

यह व्यवस्था मानवीय संवेदनाओं के विपरीत प्रतीत होती है।


🗳️ शासकीय कार्यों में शिक्षकों की भूमिका

पिछले दिनों शिक्षकों ने

  • BLO, SIR जैसे महत्वपूर्ण शासकीय कार्य

  • यहाँ तक कि रविवार व अवकाश के दिनों में भी
    पूरी निष्ठा से संपन्न किए।

उस समय

  • न मौसम की प्रतिकूलता देखी गई

  • न पारिवारिक दायित्वों पर विचार

फिर भी शिक्षकों ने बिना किसी शिकायत अपना कर्तव्य निभाया।


⚠️ सामाजिक विडंबना

जब अवकाश घोषित होता है—

  • शिक्षक उससे वंचित रह जाते हैं

  • और समाज में यह धारणा बना दी जाती है कि
    “शिक्षक तो बहुत छुट्टियाँ लेते हैं”

जबकि वास्तविकता यह है कि
➡️ उन दिनों भी शिक्षक
विद्यालय, प्रशासनिक या शासकीय कार्यों में लगे रहते हैं।


🧑‍🏫 जब छात्र नहीं, तो शिक्षक क्यों?

  • शिक्षकों का मुख्य दायित्व शिक्षण है

  • जब शिक्षण कार्य स्थगित है
    तो
    ➡️ केवल औपचारिक उपस्थिति के लिए
    ➡️ जोखिम उठाना
    कितना न्यायसंगत है?

इस पर गंभीर पुनर्विचार आवश्यक है।


🤝 सकारात्मक अपील

यह लेख

  • किसी टकराव की भावना से नहीं

  • बल्कि न्यायपूर्ण और संवेदनशील व्यवस्था की अपेक्षा से लिखा गया है।

प्रशासन से विनम्र अनुरोध है कि

  • निर्णय लेते समय

  • शिक्षकों के स्वास्थ्य, सुरक्षा, सम्मान और मनोबल
    को भी समान महत्व दिया जाए।


📌 निष्कर्ष

यदि परिस्थितियाँ अवकाश योग्य हैं,
तो
➡️ वह अवकाश सभी के लिए होना चाहिए।

शिक्षकों को

  • केवल व्यवस्था का हिस्सा नहीं

  • बल्कि सम्मान के योग्य, संवेदनशील नागरिक के रूप में देखा जाना चाहिए।

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