तदर्थ सेवा जोड़ने पर सरकार ने दी स्थिति स्पष्ट
लखनऊ।
विधान परिषद में मंगलवार को अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों के सेवानिवृत्त शिक्षकों की पेंशन से जुड़ा एक महत्वपूर्ण विषय उठाया गया। निर्दल समूह के सदस्य डॉ. आकाश अग्रवाल एवं डॉ. राज बहादुर सिंह चंदेल ने नियम 105 के अंतर्गत यह प्रश्न रखा कि क्या शिक्षकों की तदर्थ सेवाओं को जोड़कर पेंशन का लाभ दिया जाएगा।
यह मुद्दा लंबे समय से शिक्षकों के बीच चर्चा का विषय रहा है और बड़ी संख्या में सेवानिवृत्त शिक्षक इससे प्रभावित हैं।
सरकार का पक्ष क्या है?
इस प्रश्न का उत्तर देते हुए माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गुलाब देवी ने कहा कि—
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तदर्थ सेवाओं को जोड़कर पेंशन देने का निर्णय व्यापक नीतिगत प्रभाव वाला है
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यह मामला वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में विशेष याचिका (SLP) के रूप में विचाराधीन है
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इसलिए इस विषय में तत्काल कोई अंतिम निर्णय लेना संभव नहीं है
आगे की कार्यवाही पर संकेत
राज्य मंत्री ने सदन को यह भी अवगत कराया कि—
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सुप्रीम कोर्ट में लंबित प्रकरण की स्थिति को ध्यान में रखते हुए
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न्याय विभाग एवं वित्त विभाग से परामर्श लिया जाएगा
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सभी पहलुओं की समीक्षा के बाद आगे की कार्यवाही शीघ्र की जाएगी
सरकार ने यह स्पष्ट किया कि न्यायालय के निर्णय और विभागीय परामर्श के आधार पर ही कोई ठोस कदम उठाया जाएगा।
शिक्षकों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है यह मामला?
एडेड माध्यमिक विद्यालयों में लंबे समय तक तदर्थ आधार पर कार्य करने वाले अनेक शिक्षक ऐसे हैं—
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जिनकी नियमित सेवा बाद में हुई
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लेकिन प्रारंभिक वर्षों की तदर्थ सेवा पेंशन में नहीं जोड़ी गई
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जिसके कारण उन्हें अपेक्षाकृत कम पेंशन लाभ मिल रहा है
इसी कारण इस विषय को बार-बार विधान परिषद में उठाया जा रहा है।
निष्कर्ष
विधान परिषद में हुई चर्चा से यह स्पष्ट है कि सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित होने के कारण फिलहाल कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। आने वाले समय में न्यायालय के निर्णय और विभागीय परामर्श के बाद एडेड माध्यमिक विद्यालयों के सेवानिवृत्त शिक्षकों को इस विषय पर स्पष्ट दिशा मिलने की उम्मीद है।