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22.5 फीसदी बच्चे आज भी स्कूल से बाहर : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
यूपी में कंडक्टरों की बंपर भर्ती, सैकड़ों पद खाली : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- यूपी में कंडक्टरों की बंपर भर्ती, सैकड़ों पद खाली
- परिवहन विभाग में नौकरी का अवसर
अपर सचिव भर्ती के पत्र से अभ्यर्थियों में खलबली
Wed, 01 Apr 2015 07:26 PM (IST)
मैनपुरी : पुलिस भर्ती में पिछड़ा वर्ग के लिए अभ्यर्थियों के जाति प्रमाणपत्र के संबंध में अपर सचिव भर्ती द्वारा पुलिस अधीक्षक को भेजे गए पत्र से अभ्यर्थियों में खलबली मच गई है। बुधवार को अभ्यर्थियों ने पत्र के विरोध में पुलिस लाइन परिसर में प्रदर्शन किया।
सरकारी नौकरी - Government of India Jobs Originally published for http://e-sarkarinaukriblog.blogspot.com/ Submit & verify Email for Latest Free Jobs Alerts Subscribe
Wed, 01 Apr 2015 07:26 PM (IST)
मैनपुरी : पुलिस भर्ती में पिछड़ा वर्ग के लिए अभ्यर्थियों के जाति प्रमाणपत्र के संबंध में अपर सचिव भर्ती द्वारा पुलिस अधीक्षक को भेजे गए पत्र से अभ्यर्थियों में खलबली मच गई है। बुधवार को अभ्यर्थियों ने पत्र के विरोध में पुलिस लाइन परिसर में प्रदर्शन किया।
उत्तर प्रदेश पुलिस की भर्ती के लिए शारीरिक दक्षता व लिखित परीक्षा
उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थियों का मेडिकल परीक्षण पुलिस लाइन में किया जा
रहा है।
शुक्रवार को तमाम अभ्यर्थी मेडिकल परीक्षण कराने के लिए पुलिस लाइन स्थित अस्पताल के बाहर मौजूद थे। तभी कर्मचारियों ने नोटिस बोर्ड पर एक पत्र चस्पा किया।
अपर सचिव भर्ती उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नत बोर्ड द्वारा भेजे गए पत्र को पढ़ते ही वहां मौजूद पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों में खलबली मच गई।
पत्र में लिखा गया था कि अन्य पिछड़े वर्ग के लिए जाति प्रमाणपत्र 1 अप्रैल 2012 से 20 अगस्त 2013 के मध्य निर्गत होना चाहिए। ये देख अन्य पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों में खलबली मच गई।
अभ्यर्थियों का कहना था कि आवेदन की शर्तो में इस प्रकार की किसी बात का उल्लेख नहीं किया गया था तो फिर इस पत्र के माध्यम से नई शर्तो क्यों लागू की जा रही हैं। तमाम अभ्यर्थियों के जाति प्रमाणपत्र उक्त मियाद के बाहर बने हुए हैं तो क्या उन्हें भर्ती से अलग कर दिया जाएगा। जबकि वे पूरी भर्ती प्रक्रिया से गुजर चुके हैं। गुस्साए अभ्यर्थियों ने पुलिस लाइन में प्रदर्शन भी किया व पत्र को वापस लिए जाने की मांग की।
सीओ सिटी वीपी सिंह ने बताया कि सभी अभ्यर्थियों का मेडिकल परीक्षण कराया जा रहा है। अभ्यर्थियों की बात भी सुनी गई है। उच्चाधिकारियों के निर्देशानुसार भर्ती प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा।
शुक्रवार को तमाम अभ्यर्थी मेडिकल परीक्षण कराने के लिए पुलिस लाइन स्थित अस्पताल के बाहर मौजूद थे। तभी कर्मचारियों ने नोटिस बोर्ड पर एक पत्र चस्पा किया।
अपर सचिव भर्ती उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नत बोर्ड द्वारा भेजे गए पत्र को पढ़ते ही वहां मौजूद पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों में खलबली मच गई।
पत्र में लिखा गया था कि अन्य पिछड़े वर्ग के लिए जाति प्रमाणपत्र 1 अप्रैल 2012 से 20 अगस्त 2013 के मध्य निर्गत होना चाहिए। ये देख अन्य पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों में खलबली मच गई।
अभ्यर्थियों का कहना था कि आवेदन की शर्तो में इस प्रकार की किसी बात का उल्लेख नहीं किया गया था तो फिर इस पत्र के माध्यम से नई शर्तो क्यों लागू की जा रही हैं। तमाम अभ्यर्थियों के जाति प्रमाणपत्र उक्त मियाद के बाहर बने हुए हैं तो क्या उन्हें भर्ती से अलग कर दिया जाएगा। जबकि वे पूरी भर्ती प्रक्रिया से गुजर चुके हैं। गुस्साए अभ्यर्थियों ने पुलिस लाइन में प्रदर्शन भी किया व पत्र को वापस लिए जाने की मांग की।
सीओ सिटी वीपी सिंह ने बताया कि सभी अभ्यर्थियों का मेडिकल परीक्षण कराया जा रहा है। अभ्यर्थियों की बात भी सुनी गई है। उच्चाधिकारियों के निर्देशानुसार भर्ती प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा।
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मैनपुरी updates अनुदेशक के लिए करें इंतजार : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- अनुदेशक के लिए करें इंतजार
- निजी कॉलेजों ने डायट को नहीं दी सीटों की जानकारी
- अब तक हुए प्रवेशों के बारे में सूचना देने में कर रहे देरी
- सीटें खाली रहीं तो वेटिंग वालों को मौका
विश्व बैंक द्वारा सह्यातीत सर्व शिक्षा अभियान :
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वर्ष 2001 से सर्व शिक्षा अभियान स्कूल न जाने वाले 2 करोड़ बच्चों को प्राथमिक विद्यालयों में लाने के सरकार के प्रयासों का समर्थन कर रहा है। इनमें काफी लंबे समय से उपेक्षित समुदायों और अल्पसंख्यक समुदायों की लड़कियों की स्कूल जाने वाली पहली पीढ़ी और विशेष आवश्यकताओं वाले (विकलांगताओं से ग्रस्त) बच्चे शामिल हैं।
चुनौती
हाल की अभूतपूर्व आर्थिक संवृद्धि के बावजूद भारत निर्धनता से निपटने के लिए भारी चुनौती का सामना कर रहा है। इसकी प्रति व्यक्ति आय 1,000 डॉलर प्रति वर्ष से भी कम है। इसकी लगभग दो-तिहाई आबादी अपनी गुज़र-बसर के लिए ग्रामीण रोज़गार पर निर्भर करती है। शिक्षा पाने और इस तक पहुंच के अवसर विषमताओं से ग्रस्त रहे हैं। वर्ष 2002 में, जब कार्यक्रम शुरू किया गया, पूरी दुनिया में स्कूल न जाने वाले बच्चों का 25 प्रतिशत भारत में था।
दृष्टिकोण
वर्ष 2002 में भारत ने अपने प्रमुख राष्ट्रीय कार्यक्रम प्राथमिक शिक्षा परियोजना (सर्व शिक्षा अभियान या एसएसए) की शुरूआत की, जिसके लिए इंटरनेशनल डेवलपमेंट एसोसिएशन द्वारा वित्त मुहैया कराया गया।
सर्व शिक्षा अभियान इन दिनों चलाया जा रहा विश्व में सबके लिए शिक्षा का विशालतम कर्यक्रम है। इस अभियान के तहत 6 से 14 वर्ष के आयु वर्ग के सभी बच्चों को विद्यालयों में दाखिल करने और उन्हें अच्छी प्राथमिक शिक्षा सुलभ कराने का बीड़ा उठाया गया है। लड़के-लड़कियों के बीच अंतर और सामाजिक भेदभाव दूर करना, बच्चों को बीच में पढ़ाई छोड़ने से रोकना तथा कक्षा आठ तक अच्छी क्वालिटी की शिक्षा सुलभ कराना भी इस अभियान का लक्ष्य है – इस सहस्राब्दि के लिए नियत विकास-संबंधी लक्ष्यों में शामिल इस कठिन लक्ष्य को वर्ष 2015 तक प्राप्त करना है।
प्राथमिक शिक्षा सुविधाएं सभी बस्तियों से एक किलोमीटर के दायरे में मुहैया की जानी थीं और इनमें शिक्षा के वैकल्पिक कार्यक्रमों, स्कूल न जाने वालों तथा अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ देने वालों के लिए “ब्रिज कोर्स” की व्यवस्था भी थी। इस कार्यक्रम के तहत अध्यापकों की भर्ती की गई और उन्हें प्रशिक्षित किया गया। इससे अध्यापन सामग्री तैयार करने और शिक्षा के परिणामों को मॉनिटर करने में मदद मिली। स्कूल न जाने वाले बच्चों का पता लगाने और उन्हें स्कूलों में दाखिल कराने के साथ-साथ स्कूली संसाधन जुटाने, कक्षाओं तथा स्कूली इमारतों को बनाने का काम गांवों को सौंपा गया। प्रत्येक ज़िले के लिए सीधे स्वीकृत किए गए अनुदानों से संदर्भ-विशेष में नए-नए तत्त्व शामिल करने में मदद मिली।
जैसे-जैसे सर्व शिक्षा अभियान के जरिए बच्चे स्कूलों में पहुंच रहे हैं, कार्यक्रम में नाना प्रकार के कार्यों के माध्यम से शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने पर अधिकाधिक ध्यान दिया जा रहा है, जैसे बेहतर अध्यापन और बेहतर पाठ्य-सामग्री।
परिणाम
वर्ष 2001 से सर्व शिक्षा अभियान से सरकार को स्कूल न जाने वाले लगभग 2 करोड़ बच्चों को प्राथमिक स्कूलों में दाखिला देने में मदद मिली है। इनमें काफी लंबे समय से उपेक्षित समुदायों और अल्पसंख्यक समुदायों की लड़कियों की स्कूलों में पढ़ने वाली पहली पीढ़ी और विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चे शामिल हैं। इन प्रयासों से भारत साफ़ तौर पर यह सुनिश्चित करने का अपना लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है कि सभी स्थानों पर सभी बच्चे – लड़के और लड़कियां – इस सहस्राब्दि के लिए नियत विकास-संबंधी लक्ष्य प्राप्त करने की निर्धारित समय-सीमा वर्ष 2015 से काफी पहले ही प्राथमिक शिक्षा का पाठ्यक्रम पूरा करने में सक्षम होंगे।
प्रमुख बातें
वर्ष 2002 में सर्व शिक्षा अभियान के शुरू होने से पहले पूरी दुनिया में स्कूल न जाने वाले बच्चों का 25 प्रतिशत भारत में था। आज यह प्रतिशत घटकर 10 प्रतिशत से भी कम हो गया है।
वर्ष 2003 और 2009 के बीच स्कूल न जाने वाले बच्चों की संख्या 2.5 करोड़ से घटकर 81 लाख रह गई है (6 से 14 वर्ष के आयु वर्ग में पांच प्रतिशत से भी कम), जो एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।
शिक्षा तक सबकी पहुंच का लक्ष्य करीब-करीब अर्जित हो चुका है। अब पूरे देश में 99 प्रतिशत परिवारों की अपने निवास स्थानों से एक किलोमीटर के भीतर स्कूलों तक और 93 प्रतिशत परिवारों की मिडिल स्कूलों तक पहुंच है। देश-भर में 92 प्रतिशत स्कूलों में पीने के पानी की व्यवस्था की गई है।
12 से 14 वर्ष के आयु वर्ग में प्राथमिक शिक्षा पूरी करने वाले बच्चों की संख्या और उनके अंश में लगातार वृद्धि हो रही है। सहस्राब्दि के शुरू में लगभग 59 प्रतिशत बच्चों ने ही प्राथमिक शिक्षा पूरी की थी। आज यह आंकड़ा बढ़कर 81 प्रतिशत हो गया है। अगर यह स्थिति बनी रहती है, तो भारत सबके लिए प्राथमिक शिक्षा का लक्ष्य वर्ष 2015 से काफी पहले ही प्राप्त कर लेगा।
अब भारत प्राथमिक शिक्षा में लड़के-लड़कियों के बीच समानता का लक्ष्य पाने के निकट है। वर्ष 2009 तक प्राथमिक स्कूलों में प्रति 100 लड़कों की तुलना में 94 लड़कियों ने स्कूलों में प्रवेश लिया। वर्ष 2000 के आरंभ में यह अनुपात 100 - 90 था। इसके अलावा, प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के लिहाज़ से भी लड़के-लड़कियों की संख्या के बीच अंतर कम हो रहा है। इस तरह आशा है कि प्राथमिक शिक्षा पूरी करने वाले लड़के-लड़कियों की संख्या के बीच अंतर वर्ष 2013 तक दूर हो जाएगा।
शिक्षा में सभी वर्गों को शामिल करने की दिशा में प्रगति हुई है। काफी समय से उपेक्षित समुदायों के बच्चों का पब्लिक स्कूलों में दाखिला आम आबादी में उनके अंश की तुलना में अधिक है तथा आबादी के संपन्नतम और निर्धनतम वर्गों के बीच स्कूलों में प्रवेश लेने के लिहाज़ से अंतर वर्ष 2002 में 30 प्रतिशत से घटकर 15 प्रतिशत से भी कम रह गया है।
विशेष आवश्यकताओं वाले (विकलांगता-ग्रस्त) लगभग 27.8 लाख बच्चों की पहचान की गई है और विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए उन्हें भी शामिल किया जा रहा हैः जैसे आवासीय केन्द्र (रेज़िडेन्शियल सेंटर), घर पर शिक्षा (होम-बेस्ड एज्यूकेशन) और इन चीज़ों को अध्यापक प्रशिक्षण मोड्यूल और संबंधित कार्यक्रमों में शामिल करना।
एक स्तर से दूसरे स्तर के स्कूल में पहुंचने की दर में वर्ष 2010 में सुधार हुआ है। प्राथमिक शिक्षा पूरी करने वाले 83 प्रतिशत विद्यार्थियों ने मिडिल स्कूलों में प्रवेश लिया, जबकि वर्ष 2002 में यह आंकड़ा 75 प्रतिशत था।
अधिक समग्र शिक्षा सुलभ कराने के लिहाज़ से बदलाव आ रहा है। अब कक्षा में अध्यापक पर केन्द्रित पढ़ाई का स्थान ‘एक्टिव क्लासरूम’ द्वारा लिया जा रहा है, जिसमें रटाई के स्थान पर विद्यार्थियों को पढ़ाई की प्रक्रिया में भाग लेने और ज्ञान-संचयन तथा कार्यकलाप पर आधारित शिक्षा के जरिए पढ़ने-सीखने के अधिकतम अवसर मिलते हैं।
आरंभिक संकेतों से पता चलता है कि शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने पर दिए जाने वाले ध्यान के अच्छे परिणाम निकल रहे हैं। वर्ष 2004 में पहले दौर के सर्वेक्षणों की तुलना में वर्ष 2008 में पढ़ाई के क्षेत्र में राष्ट्रीय उपलब्धियों के सर्वेक्षण से पता चला है कि सभी कक्षाओं व विषयों की पढ़ाई में सामान्य तौर पर, लेकिन लगातार सुधार हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय अनुभव के आधार पर स्कूलों में पहली बार बड़ी संख्या में प्रवेश लेने वालों की औसत पढ़ाई के स्तरों में गिरावट के बावजूद यह एक उपलब्धि है।
विचार
ममता ने अपने आरंभिक वर्ष राजस्थान के निर्जन रेगिस्तानी इलाकों में परिवार की भेड़-बकरियों के रेवड़ चराते हुए गुज़ारे। लेकिन, भारत के सर्व शिक्षा अभियान के तहत खोले गए एक आवासीय स्कूल में दाखिला लेने के बाद ममता पढ़ने में होशियार साबित हुई। अब उसके पिता अपनी होशियार बेटी के लिए नाना प्रकार के सपने देख रहे हैं।
बैंक का अंशदान
सर्व शिक्षा अभियान बुनियादी तौर पर सरकार द्वारा चलाया जाने वाला कार्यक्रम है, जिसे आईडीए तथा अन्य डोनर्स द्वारा सहायता दी जा रही है। आईडीए अकेला सबसे बड़ा डोनर है। आईडीए की एसएसए-Iपरियोजना ने कार्यक्रम की 3.5 अरब अमरीकी डॉलर की कुल लागत में 50 करोड़ अमरीकी डॉलर का अंशदान किया। मई 2008 में एसएसए-Iपरियोजना को स्वीकृत किया गया, जिसके लिए आईडीए ने 60 करोड़ अमरीकी डॉलर की अतिरिक्त धनराशि मुहैया कराने का वचन दिया। इस परियोजना पर कुल लागत लगभग 7.2 अरब अमरीकी डॉलर बैठेगी। मार्च 2010 में एसएसए-Iपरियोजना को और दो वर्ष बढ़ाने के भारत सरकार के निर्णय के बाद वर्ष 2010-12 के लिए आईडीए द्वारा 75 करोड़ अमरीकी डॉलर की अतिरिक्त धनराशि स्वीकृत की गई, जो जून 2010 से प्रभावी हुई। वित्त सुलभ कराने के साथ-साथ आईडीए के विशेषज्ञों ने शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के बारे में अन्य दूसरे देशों में किए गए कार्यों तथा विश्व-स्तर पर किए गए संबंधित शोध-कार्यों के परिणाम मुहैया कराते हुए संपूर्ण एसएसए कार्यक्रम को समर्थन देने के लिए सरकार के साथ मिलकर काम किया।
भागीदार
भारत के एसएसए कार्यक्रम का आईडीए, यूरोपीय आयोग (ईसी) तथा यूनाइटेड किंग्डम के डिपार्टमेंट फ़ॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (डीएफ़आईडी) द्वारा क्षेत्रवार दृष्टिकोण के आधार पर सम्मिलित रूप से समर्थन किया जा रहा है। पहले चरण के कार्यक्रम में, जबकि भारत की केन्द्रीय तथा राज्य सरकारों ने लगभग 2.5 अरब अमरीकी डॉलर की धनराशि का अंशदान किया, ईसी औरडीएफ़आईडी ने मिलकर 50 करोड़ अमरीकी डॉलर से अधिक धनराशि मुहैया कराई। कार्यक्रम के दूसरे चरण में भारत सरकार ने 6 अरब अमरीकी डॉलर से अधिक का निवेश किया, ईसी औरडीएफ़आईडी ने मिलकर 40 करोड़ अमरीकी डॉलर का अंशदान किया।
भविष्य की ओर
एसएसए ने प्राथमिक शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने के क्षेत्र में भारी प्रगति की है, अब स्कूल न जाने वाले शेष 81 लाख बच्चों को स्कूलों में लाने, मिडिल स्कूली शिक्षा सुविधाओं को बढ़ावा देने तथा पढ़ाई के परिणामों में और सुधार करने पर ध्यान दिया जा रहा है। इसके अलावा, प्राथमिक स्तर पर पढ़ाई बीच में छोड़ देने वालों की औसत दर पिछले कुछ वर्षों से लगभग 9 प्रतिशत के आस-पास बनी हुई है। उपेक्षित समुदायों की स्कूल जाने वाली पहली पीढ़ी और बच्चों को स्कूल में बनाए रखना आखिरी चुनौती बना हुआ है। काफी बड़ी संख्या में प्राथमिक शिक्षा पूरी करने वाले बच्चों को देखते हुए सेकंडरी स्कूलों की संख्या तुरंत बढ़ाने साथ-साथ इनकी गुणवत्ता बढ़ाने की ज़रूरत है! !
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वर्ष 2001 से सर्व शिक्षा अभियान स्कूल न जाने वाले 2 करोड़ बच्चों को प्राथमिक विद्यालयों में लाने के सरकार के प्रयासों का समर्थन कर रहा है। इनमें काफी लंबे समय से उपेक्षित समुदायों और अल्पसंख्यक समुदायों की लड़कियों की स्कूल जाने वाली पहली पीढ़ी और विशेष आवश्यकताओं वाले (विकलांगताओं से ग्रस्त) बच्चे शामिल हैं।
चुनौती
हाल की अभूतपूर्व आर्थिक संवृद्धि के बावजूद भारत निर्धनता से निपटने के लिए भारी चुनौती का सामना कर रहा है। इसकी प्रति व्यक्ति आय 1,000 डॉलर प्रति वर्ष से भी कम है। इसकी लगभग दो-तिहाई आबादी अपनी गुज़र-बसर के लिए ग्रामीण रोज़गार पर निर्भर करती है। शिक्षा पाने और इस तक पहुंच के अवसर विषमताओं से ग्रस्त रहे हैं। वर्ष 2002 में, जब कार्यक्रम शुरू किया गया, पूरी दुनिया में स्कूल न जाने वाले बच्चों का 25 प्रतिशत भारत में था।
दृष्टिकोण
वर्ष 2002 में भारत ने अपने प्रमुख राष्ट्रीय कार्यक्रम प्राथमिक शिक्षा परियोजना (सर्व शिक्षा अभियान या एसएसए) की शुरूआत की, जिसके लिए इंटरनेशनल डेवलपमेंट एसोसिएशन द्वारा वित्त मुहैया कराया गया।
सर्व शिक्षा अभियान इन दिनों चलाया जा रहा विश्व में सबके लिए शिक्षा का विशालतम कर्यक्रम है। इस अभियान के तहत 6 से 14 वर्ष के आयु वर्ग के सभी बच्चों को विद्यालयों में दाखिल करने और उन्हें अच्छी प्राथमिक शिक्षा सुलभ कराने का बीड़ा उठाया गया है। लड़के-लड़कियों के बीच अंतर और सामाजिक भेदभाव दूर करना, बच्चों को बीच में पढ़ाई छोड़ने से रोकना तथा कक्षा आठ तक अच्छी क्वालिटी की शिक्षा सुलभ कराना भी इस अभियान का लक्ष्य है – इस सहस्राब्दि के लिए नियत विकास-संबंधी लक्ष्यों में शामिल इस कठिन लक्ष्य को वर्ष 2015 तक प्राप्त करना है।
प्राथमिक शिक्षा सुविधाएं सभी बस्तियों से एक किलोमीटर के दायरे में मुहैया की जानी थीं और इनमें शिक्षा के वैकल्पिक कार्यक्रमों, स्कूल न जाने वालों तथा अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ देने वालों के लिए “ब्रिज कोर्स” की व्यवस्था भी थी। इस कार्यक्रम के तहत अध्यापकों की भर्ती की गई और उन्हें प्रशिक्षित किया गया। इससे अध्यापन सामग्री तैयार करने और शिक्षा के परिणामों को मॉनिटर करने में मदद मिली। स्कूल न जाने वाले बच्चों का पता लगाने और उन्हें स्कूलों में दाखिल कराने के साथ-साथ स्कूली संसाधन जुटाने, कक्षाओं तथा स्कूली इमारतों को बनाने का काम गांवों को सौंपा गया। प्रत्येक ज़िले के लिए सीधे स्वीकृत किए गए अनुदानों से संदर्भ-विशेष में नए-नए तत्त्व शामिल करने में मदद मिली।
जैसे-जैसे सर्व शिक्षा अभियान के जरिए बच्चे स्कूलों में पहुंच रहे हैं, कार्यक्रम में नाना प्रकार के कार्यों के माध्यम से शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने पर अधिकाधिक ध्यान दिया जा रहा है, जैसे बेहतर अध्यापन और बेहतर पाठ्य-सामग्री।
परिणाम
वर्ष 2001 से सर्व शिक्षा अभियान से सरकार को स्कूल न जाने वाले लगभग 2 करोड़ बच्चों को प्राथमिक स्कूलों में दाखिला देने में मदद मिली है। इनमें काफी लंबे समय से उपेक्षित समुदायों और अल्पसंख्यक समुदायों की लड़कियों की स्कूलों में पढ़ने वाली पहली पीढ़ी और विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चे शामिल हैं। इन प्रयासों से भारत साफ़ तौर पर यह सुनिश्चित करने का अपना लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है कि सभी स्थानों पर सभी बच्चे – लड़के और लड़कियां – इस सहस्राब्दि के लिए नियत विकास-संबंधी लक्ष्य प्राप्त करने की निर्धारित समय-सीमा वर्ष 2015 से काफी पहले ही प्राथमिक शिक्षा का पाठ्यक्रम पूरा करने में सक्षम होंगे।
प्रमुख बातें
वर्ष 2002 में सर्व शिक्षा अभियान के शुरू होने से पहले पूरी दुनिया में स्कूल न जाने वाले बच्चों का 25 प्रतिशत भारत में था। आज यह प्रतिशत घटकर 10 प्रतिशत से भी कम हो गया है।
वर्ष 2003 और 2009 के बीच स्कूल न जाने वाले बच्चों की संख्या 2.5 करोड़ से घटकर 81 लाख रह गई है (6 से 14 वर्ष के आयु वर्ग में पांच प्रतिशत से भी कम), जो एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।
शिक्षा तक सबकी पहुंच का लक्ष्य करीब-करीब अर्जित हो चुका है। अब पूरे देश में 99 प्रतिशत परिवारों की अपने निवास स्थानों से एक किलोमीटर के भीतर स्कूलों तक और 93 प्रतिशत परिवारों की मिडिल स्कूलों तक पहुंच है। देश-भर में 92 प्रतिशत स्कूलों में पीने के पानी की व्यवस्था की गई है।
12 से 14 वर्ष के आयु वर्ग में प्राथमिक शिक्षा पूरी करने वाले बच्चों की संख्या और उनके अंश में लगातार वृद्धि हो रही है। सहस्राब्दि के शुरू में लगभग 59 प्रतिशत बच्चों ने ही प्राथमिक शिक्षा पूरी की थी। आज यह आंकड़ा बढ़कर 81 प्रतिशत हो गया है। अगर यह स्थिति बनी रहती है, तो भारत सबके लिए प्राथमिक शिक्षा का लक्ष्य वर्ष 2015 से काफी पहले ही प्राप्त कर लेगा।
अब भारत प्राथमिक शिक्षा में लड़के-लड़कियों के बीच समानता का लक्ष्य पाने के निकट है। वर्ष 2009 तक प्राथमिक स्कूलों में प्रति 100 लड़कों की तुलना में 94 लड़कियों ने स्कूलों में प्रवेश लिया। वर्ष 2000 के आरंभ में यह अनुपात 100 - 90 था। इसके अलावा, प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के लिहाज़ से भी लड़के-लड़कियों की संख्या के बीच अंतर कम हो रहा है। इस तरह आशा है कि प्राथमिक शिक्षा पूरी करने वाले लड़के-लड़कियों की संख्या के बीच अंतर वर्ष 2013 तक दूर हो जाएगा।
शिक्षा में सभी वर्गों को शामिल करने की दिशा में प्रगति हुई है। काफी समय से उपेक्षित समुदायों के बच्चों का पब्लिक स्कूलों में दाखिला आम आबादी में उनके अंश की तुलना में अधिक है तथा आबादी के संपन्नतम और निर्धनतम वर्गों के बीच स्कूलों में प्रवेश लेने के लिहाज़ से अंतर वर्ष 2002 में 30 प्रतिशत से घटकर 15 प्रतिशत से भी कम रह गया है।
विशेष आवश्यकताओं वाले (विकलांगता-ग्रस्त) लगभग 27.8 लाख बच्चों की पहचान की गई है और विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए उन्हें भी शामिल किया जा रहा हैः जैसे आवासीय केन्द्र (रेज़िडेन्शियल सेंटर), घर पर शिक्षा (होम-बेस्ड एज्यूकेशन) और इन चीज़ों को अध्यापक प्रशिक्षण मोड्यूल और संबंधित कार्यक्रमों में शामिल करना।
एक स्तर से दूसरे स्तर के स्कूल में पहुंचने की दर में वर्ष 2010 में सुधार हुआ है। प्राथमिक शिक्षा पूरी करने वाले 83 प्रतिशत विद्यार्थियों ने मिडिल स्कूलों में प्रवेश लिया, जबकि वर्ष 2002 में यह आंकड़ा 75 प्रतिशत था।
अधिक समग्र शिक्षा सुलभ कराने के लिहाज़ से बदलाव आ रहा है। अब कक्षा में अध्यापक पर केन्द्रित पढ़ाई का स्थान ‘एक्टिव क्लासरूम’ द्वारा लिया जा रहा है, जिसमें रटाई के स्थान पर विद्यार्थियों को पढ़ाई की प्रक्रिया में भाग लेने और ज्ञान-संचयन तथा कार्यकलाप पर आधारित शिक्षा के जरिए पढ़ने-सीखने के अधिकतम अवसर मिलते हैं।
आरंभिक संकेतों से पता चलता है कि शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने पर दिए जाने वाले ध्यान के अच्छे परिणाम निकल रहे हैं। वर्ष 2004 में पहले दौर के सर्वेक्षणों की तुलना में वर्ष 2008 में पढ़ाई के क्षेत्र में राष्ट्रीय उपलब्धियों के सर्वेक्षण से पता चला है कि सभी कक्षाओं व विषयों की पढ़ाई में सामान्य तौर पर, लेकिन लगातार सुधार हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय अनुभव के आधार पर स्कूलों में पहली बार बड़ी संख्या में प्रवेश लेने वालों की औसत पढ़ाई के स्तरों में गिरावट के बावजूद यह एक उपलब्धि है।
विचार
ममता ने अपने आरंभिक वर्ष राजस्थान के निर्जन रेगिस्तानी इलाकों में परिवार की भेड़-बकरियों के रेवड़ चराते हुए गुज़ारे। लेकिन, भारत के सर्व शिक्षा अभियान के तहत खोले गए एक आवासीय स्कूल में दाखिला लेने के बाद ममता पढ़ने में होशियार साबित हुई। अब उसके पिता अपनी होशियार बेटी के लिए नाना प्रकार के सपने देख रहे हैं।
बैंक का अंशदान
सर्व शिक्षा अभियान बुनियादी तौर पर सरकार द्वारा चलाया जाने वाला कार्यक्रम है, जिसे आईडीए तथा अन्य डोनर्स द्वारा सहायता दी जा रही है। आईडीए अकेला सबसे बड़ा डोनर है। आईडीए की एसएसए-Iपरियोजना ने कार्यक्रम की 3.5 अरब अमरीकी डॉलर की कुल लागत में 50 करोड़ अमरीकी डॉलर का अंशदान किया। मई 2008 में एसएसए-Iपरियोजना को स्वीकृत किया गया, जिसके लिए आईडीए ने 60 करोड़ अमरीकी डॉलर की अतिरिक्त धनराशि मुहैया कराने का वचन दिया। इस परियोजना पर कुल लागत लगभग 7.2 अरब अमरीकी डॉलर बैठेगी। मार्च 2010 में एसएसए-Iपरियोजना को और दो वर्ष बढ़ाने के भारत सरकार के निर्णय के बाद वर्ष 2010-12 के लिए आईडीए द्वारा 75 करोड़ अमरीकी डॉलर की अतिरिक्त धनराशि स्वीकृत की गई, जो जून 2010 से प्रभावी हुई। वित्त सुलभ कराने के साथ-साथ आईडीए के विशेषज्ञों ने शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के बारे में अन्य दूसरे देशों में किए गए कार्यों तथा विश्व-स्तर पर किए गए संबंधित शोध-कार्यों के परिणाम मुहैया कराते हुए संपूर्ण एसएसए कार्यक्रम को समर्थन देने के लिए सरकार के साथ मिलकर काम किया।
भागीदार
भारत के एसएसए कार्यक्रम का आईडीए, यूरोपीय आयोग (ईसी) तथा यूनाइटेड किंग्डम के डिपार्टमेंट फ़ॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (डीएफ़आईडी) द्वारा क्षेत्रवार दृष्टिकोण के आधार पर सम्मिलित रूप से समर्थन किया जा रहा है। पहले चरण के कार्यक्रम में, जबकि भारत की केन्द्रीय तथा राज्य सरकारों ने लगभग 2.5 अरब अमरीकी डॉलर की धनराशि का अंशदान किया, ईसी औरडीएफ़आईडी ने मिलकर 50 करोड़ अमरीकी डॉलर से अधिक धनराशि मुहैया कराई। कार्यक्रम के दूसरे चरण में भारत सरकार ने 6 अरब अमरीकी डॉलर से अधिक का निवेश किया, ईसी औरडीएफ़आईडी ने मिलकर 40 करोड़ अमरीकी डॉलर का अंशदान किया।
भविष्य की ओर
एसएसए ने प्राथमिक शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने के क्षेत्र में भारी प्रगति की है, अब स्कूल न जाने वाले शेष 81 लाख बच्चों को स्कूलों में लाने, मिडिल स्कूली शिक्षा सुविधाओं को बढ़ावा देने तथा पढ़ाई के परिणामों में और सुधार करने पर ध्यान दिया जा रहा है। इसके अलावा, प्राथमिक स्तर पर पढ़ाई बीच में छोड़ देने वालों की औसत दर पिछले कुछ वर्षों से लगभग 9 प्रतिशत के आस-पास बनी हुई है। उपेक्षित समुदायों की स्कूल जाने वाली पहली पीढ़ी और बच्चों को स्कूल में बनाए रखना आखिरी चुनौती बना हुआ है। काफी बड़ी संख्या में प्राथमिक शिक्षा पूरी करने वाले बच्चों को देखते हुए सेकंडरी स्कूलों की संख्या तुरंत बढ़ाने साथ-साथ इनकी गुणवत्ता बढ़ाने की ज़रूरत है! !
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Gorakhpur 5th Selected Cut-off : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
Gorakhpur 5th Selected Cut-off : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
भर्ती पर नियुक्ति पर कोर्ट स्टॆ हटने की सम्भावना : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
गणित - विज्ञान जूनियर भर्ती पर नियुक्ति पर कोर्ट स्टॆ हटने की सम्भावना
शीघ्र ही नजर आने लगी है। अगर ऎसा जल्दी होता है तो प्राथमिक शिक्षकों के
लिये एक सुनहरा वरदान साबित होगा । जो शिक्षक प्राथमिक शिक्षक में नियुक्ति
पा चुके है और जो जूनियर में भी काउन्सिलिन्ग करा चुके है यदि उनका चयन
जूनियर में हो जाता है तो वे निश्चित रूप से प्राथमिक शिक्षक पद से
त्यागपत्र देगें ।
5th counsling ko add krke np baatne ka Order : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
पांचवीं काउंसिलिंग के बाद अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी करने के हुए आदेश
5th counseling ko add krke np baatne ka Order : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
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पर्चा लीक मामले में बवाल, आगजनी : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
पर्चा लीक मामले में बवाल, आगजनी
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : लोकसेवा आयोग (यूपीपीएससी) की पीसीएस प्री -2015 परीक्षा का पर्चा लीक होने के मामले में बुधवार को शहर में जमकर बवाल हुआ। आक्रोशित युवाओं ने तीन बसों में तोड़फोड़ की। एक को आग के हवाले कर दिया गया। पथराव में एक इंस्पेक्टर समेत चार पुलिसकर्मी भी जख्मी हुए हैं। तोड़फोड़ और आगजनी कर रहे युवाओं को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : लोकसेवा आयोग (यूपीपीएससी) की पीसीएस प्री -2015 परीक्षा का पर्चा लीक होने के मामले में बुधवार को शहर में जमकर बवाल हुआ। आक्रोशित युवाओं ने तीन बसों में तोड़फोड़ की। एक को आग के हवाले कर दिया गया। पथराव में एक इंस्पेक्टर समेत चार पुलिसकर्मी भी जख्मी हुए हैं। तोड़फोड़ और आगजनी कर रहे युवाओं को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया
बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों का समय बदला : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
लखनऊ - बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों का समय बदला,
अप्रैल से सितम्बर तक 8-1 बजे तक चलेगा स्कूल,
अक्टूबर से मार्च सुबह 9-3 बजे तक चलेगा स्कूल
अप्रैल से सितम्बर तक 8-1 बजे तक चलेगा स्कूल,
अक्टूबर से मार्च सुबह 9-3 बजे तक चलेगा स्कूल
सरेआम राही बीआरसी में ली जा रही है घूस : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
सरेआम राही बीआरसी में ली जा रही है घूस : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
Cutoff merit of Meerut region : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
Cutoff merit of Meerut region : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
saharanpur mandal Selected cut-off updates : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
saharanpur mandal Selected cut-off updates : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
Varansi Selected cut-off updates : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
Varansi Selected cut-off updates : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
Bagpat 3rd Selected cut-off : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
Bagpat 3rd Selected cut-off : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
Lalitpur 5th Selected cut-off : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
Lalitpur 5th Selected cut-off : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
SCERT ने पूछा - कितने प्रशिक्षु शिक्षकों ने किया जॉइन : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
एससीईआरटी ने पूछा-कितने प्रशिक्षु शिक्षकों ने किया जॉइन
लखनऊ (ब्यूरो)। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने बेसिक शिक्षा अधिकारियों से पूछा है कि अब तक कितने प्रशिक्षु शिक्षकों ने उनके यहां जॉइन कर लिया है। इसकी पूरी सूचना 4 अप्रैल तक निदेशालय को उपलब्ध करा दी जाए। एससीईआरटी के निदेशक सर्वेंद्र विक्रम सिंह ने इस संबंध में सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश भेज दिया है।
लखनऊ (ब्यूरो)। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने बेसिक शिक्षा अधिकारियों से पूछा है कि अब तक कितने प्रशिक्षु शिक्षकों ने उनके यहां जॉइन कर लिया है। इसकी पूरी सूचना 4 अप्रैल तक निदेशालय को उपलब्ध करा दी जाए। एससीईआरटी के निदेशक सर्वेंद्र विक्रम सिंह ने इस संबंध में सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश भेज दिया है।
बरेली शिक्षकाें की काउंसिलिंग शुरू : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
एलटी ग्रेड शिक्षकाें की काउंसिलिंग शुरू
बरेली। कक्षा छह से दस तक पढ़ाने के लिए एलटी ग्रेड पुरुष और महिला शिक्षकाें की भर्ती के लिए काउंसिलिंग बुधवार से शुरू हो गई। राजकीय इंटर कालेज में पहले दिन कृषि, वाणिज्य और गृहविज्ञान के लिए अभ्यर्थियाें को बुलाया गया था। मंडल भर से एक लाख 85 हजार आवेदन आए थे।
बरेली। कक्षा छह से दस तक पढ़ाने के लिए एलटी ग्रेड पुरुष और महिला शिक्षकाें की भर्ती के लिए काउंसिलिंग बुधवार से शुरू हो गई। राजकीय इंटर कालेज में पहले दिन कृषि, वाणिज्य और गृहविज्ञान के लिए अभ्यर्थियाें को बुलाया गया था। मंडल भर से एक लाख 85 हजार आवेदन आए थे।
6645 एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया updates : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
निरस्त होगी कला, संगीत शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया
राज्य ब्यूरो, लखनऊ : राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती के तहत संगीत और कला विषयों के अध्यापकों की भर्ती निरस्त होगी। शारीरिक शिक्षा विषय के शिक्षकों की भर्ती पहले ही निरस्त की जा चुकी है। नियमावली में संशोधन के बाद ही इन विषयों के शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ : राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती के तहत संगीत और कला विषयों के अध्यापकों की भर्ती निरस्त होगी। शारीरिक शिक्षा विषय के शिक्षकों की भर्ती पहले ही निरस्त की जा चुकी है। नियमावली में संशोधन के बाद ही इन विषयों के शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी।
दरोगा भर्ती पर लगातार तीसरे दिन बहस जारी : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
कंप्यूटर ने नहीं जांचे व्हाइटनर लगे जवाब
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद। इलाहाबाद हाईकोर्ट में दरोगा भर्ती पर बुधवार को लगातार तीसरे दिन बहस जारी रही। इस बीच सरकार की ओर से कहा गया कि अभ्यर्थियों ने जिन सवालों के जवाब में व्हाइटनर का प्रयोग किया है, कंप्यूटर ने उन्हें नहीं जांचा है।
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद। इलाहाबाद हाईकोर्ट में दरोगा भर्ती पर बुधवार को लगातार तीसरे दिन बहस जारी रही। इस बीच सरकार की ओर से कहा गया कि अभ्यर्थियों ने जिन सवालों के जवाब में व्हाइटनर का प्रयोग किया है, कंप्यूटर ने उन्हें नहीं जांचा है।
जाट आरक्षण पर याचिका खारिज : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
जाट आरक्षण पर याचिका खारिज
नई दिल्ली। जाटों को आरक्षण देने को सिरे
से नकारते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है
कि आरक्षण का लाभ किसी को भी नहीं मिलेगा
चाहे अधिसूचना के जारी रहते उसने यह लाभ
क्यों न ले लिया हो।
नई दिल्ली। जाटों को आरक्षण देने को सिरे
से नकारते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है
कि आरक्षण का लाभ किसी को भी नहीं मिलेगा
चाहे अधिसूचना के जारी रहते उसने यह लाभ
क्यों न ले लिया हो।
जूनियर हाईस्कूलों में भर्तियों का रास्ता साफ : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- अनुदानित जूनियर हाईस्कूलों में भर्तियों का रास्ता साफ
- प्रधानाध्यापकों के 800, सहायक अध्यापकों के 1444 और लिपिकों के 528 पद रिक्त
फीस वापसी के आदेश को भी देंगे चुनौती : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
फीस वापसी के आदेश को भी देंगे चुनौती
राब्यू, इलाहाबाद : शिक्षक भर्ती के लिए 5 दिसंबर 2012 के विज्ञापन में आवेदन कर चुके अभ्यर्थियों की फीस वापसी के फैसले को भी हाईकोर्ट में चुनौती देने की तैयारी शुरू कर दी गई है। बुधवार को आजाद पार्क में अभ्यर्थियों ने बैठक करके यह फैसला किया। अभ्यर्थियों का कहना था कि सरकार का यह फैसला गलत है।
राब्यू, इलाहाबाद : शिक्षक भर्ती के लिए 5 दिसंबर 2012 के विज्ञापन में आवेदन कर चुके अभ्यर्थियों की फीस वापसी के फैसले को भी हाईकोर्ट में चुनौती देने की तैयारी शुरू कर दी गई है। बुधवार को आजाद पार्क में अभ्यर्थियों ने बैठक करके यह फैसला किया। अभ्यर्थियों का कहना था कि सरकार का यह फैसला गलत है।
परिषदीय स्कूल सुबह आठ से अपराह्न एक बजे : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
परिषदीय स्कूल सुबह आठ से अपराह्न एक बजे के बीच खुलेंगे
लखनऊ (एसएनबी)। बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों का समय एक बार फिर बदल दिया गया है। अब यह विद्यालय सुबह आठ बजे से अपराह्न एक बजे के बीच खुलेंगे।
लखनऊ (एसएनबी)। बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों का समय एक बार फिर बदल दिया गया है। अब यह विद्यालय सुबह आठ बजे से अपराह्न एक बजे के बीच खुलेंगे।
Meerut region Cutoff merit : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
LT grade teachers recruitment in UP Cutoff merit of Meerut region
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