सिर्फ निहित स्वार्थ और चंदे - दलाली के धन्धे में मिलता पैसा ही हैं...
इस पैसे ने कई फटीचरो को भी सर से लेकर पैर तक ब्राण्डेड बना दिया...
और आश्चर्य हैं की बेरोजगार को आज तक कुछ भी नहीँ दिला पाये ये धन्धेबाज, फिर भी ये बेरोजगार इनकी ओर आशा भरी निगाहों से देखते हैं,
इस पैसे ने कई फटीचरो को भी सर से लेकर पैर तक ब्राण्डेड बना दिया...
और आश्चर्य हैं की बेरोजगार को आज तक कुछ भी नहीँ दिला पाये ये धन्धेबाज, फिर भी ये बेरोजगार इनकी ओर आशा भरी निगाहों से देखते हैं,