फर्जी मदरसों के नाम पर मांगा डेढ़ कराेड़ वजीफा

फर्जी मदरसों के नाम पर मांगा डेढ़ कराेड़ वजीफा
संभल। सूबे के मत्स्य एवं सार्वजनिक उद्यम विभाग के कैबिनेट मंत्री इकबाल महमूद के गृह जनपद में जिला अल्पसंख्यक कल्याण कार्यालय के माध्यम से विभिन्न स्कूलों और मदरसों की जांच की प्रक्रिया ठंडे बस्ते में है, धीमी जांच में भी कई फर्जी मदरसों के नाम पर करोड़ों की धनराशि हड़पने के खेल की परतें लगातार खुल रहीं थीं।

उप जिलाधिकारी द्वारा कराए गए सत्यापन में संभल क्षेत्र के तीन और मदरसों की सूची फर्जी पाई गई है। इनमें सैकड़ों बच्चों को दाखिला दिखाकर छात्रवृत्ति हड़पने की तैयारी थी।
जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी की साठगांठ से पिछले साल फर्जी शिक्षण संस्थाएं दर्शाकर व फर्जी बच्चों की सूची दिखाकर अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा दी जाने वाली छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति का बड़ा घोटाला सामने आया। जांच के प्रति ना तो विभाग गंभीर है और ना ही जिला प्रशासन।
इस बड़े घोटाले में शुरुआत से ही लीपापोती करके अफसरों को बचाने की कोशिश की जा रही है। इस मामले में मंडलायुक्त द्वारा भी जांच कमेटी गठित की जा चुकी है। उसी दौरान असमोली विकास खंड क्षेत्र के मदरसा अहले सुन्नत दारुल उलूम तलवार के 126 बच्चों की सूची और मदरसा जामिया जावेदउल अजीम ओबरी के 110 व मदरसा दारूल उलूम चिश्तिया ओबरी के 108 बच्चों, कुल 344 बच्चों के नाम भी प्री-मैट्रिक कक्षाओं की डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक की छात्रवृत्ति की मांग की गई थी। इसके सत्यापन के लिए उप जिलाधिकारी संभल को भेजी गई।
जांच तहसीलदार को सौंप दी गई। तलवार के प्रधान इतवारी, लेखपाल होशराम सिंह, मुतबल्ली जाबिर हुसैन ने जांच के दौरान कहा कि गांव में उपरोक्त नाम का कोई मदरसा है ही नहीं। यही स्थिति ओबरी के भी दोनों मदरसों की पाई गई। तीनों मदरसे अस्तित्व में ही नहीं है।
तहसीलदार की रिपोर्ट पर उप जिलाधिकारी सीपी तिवारी ने जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को भेजी गई रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि ओबरी व तलवार में ना तो उक्त नाम का कोई मदरसा है और ना ही सूचीबद्ध बच्चे इन गांवों के हैं।
छात्रवृत्ति घोटाले की जांच में खुलासा, तीन मदरसे अस्तित्व में नहीं
जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा फर्जी मिले मदरसों और स्कूलों को ब्लैक लिस्टेड नहीं करने के कारण वास्तविक मदरसा संचालकों को भी छात्रवृत्ति प्राप्त करने में काफी असुविधा हो रही हैं। उन्हें भी शक की नजर से देखा जा रहा है।
सैयद गुलजार अहमद हाशमी, प्रबंधक मदरसा नूरुल इस्लाम संभल
अभी कोई नई सूची सत्यापन के लिए नहीं भेजी गई है, तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के समय ही मदरसों और स्कूलों की सूची सत्यापन के लिए भेजी गई थी, अभी जांच रिपोर्ट आई नहीं है। वैसे मामले की जांच क्राइम ब्रांच कर रही है।
चंद्रभान श्रीवास्तव, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी संभल


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