नए सत्र का 25 दिन बीता, निश्शुल्क पुस्तकें नदारद
संत कबीर नगर : सरकार ने क्रेंद्रीय बोर्ड के तर्ज पर पहली अप्रैल से प्राथमिक व उच्च प्राथमिक कक्षाओं की निश्शुल्क शिक्षा देने के लिए नया सत्र शुरू भी कर दिया। अगली कक्षा में प्रवेश दे कर शिक्षण कार्य भी प्रारंभ हो गया। अप्रैल माह बीतने को है अब तक किसी भी स्कूल में सरकारी किताबे देखने को नही मिली।
जिसके कारण अगली कक्षा में दाखिला लेने वाले बच्चो को मजबूरी में पुरानी किताबों से शिक्षा लेना मजबूरी बनी हुई है। तहसील क्षेत्र के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूल के बच्चो को इस साल नये पद्धति से पढ़ाने की सोच बिना पुस्तक व अध्यापक के दिखावा बनी हुई है। नई कक्षा में प्रवेश पाने वाले बच्चो को नई किताब से पढने का शौक अब धीरे धीरे मंद पड़ने लगा है। सरकार ने सोचा कि केंद्रीय शिक्षा पद्धति के आधार पर परिषदीय स्कूलों को भी चलाया जाएगा। एक अप्रैल से सत्र शुरू करने के लिए मार्च के अंतिम में पुराने कक्षा के बच्चो का परीक्षा परिणाम भी घोषित कर दिया गया, लेकिन पचीस दिन बाद किसी भी परिषदीय स्कूल में नई किताब देखने को नही मिल रही है।
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संत कबीर नगर : सरकार ने क्रेंद्रीय बोर्ड के तर्ज पर पहली अप्रैल से प्राथमिक व उच्च प्राथमिक कक्षाओं की निश्शुल्क शिक्षा देने के लिए नया सत्र शुरू भी कर दिया। अगली कक्षा में प्रवेश दे कर शिक्षण कार्य भी प्रारंभ हो गया। अप्रैल माह बीतने को है अब तक किसी भी स्कूल में सरकारी किताबे देखने को नही मिली।
जिसके कारण अगली कक्षा में दाखिला लेने वाले बच्चो को मजबूरी में पुरानी किताबों से शिक्षा लेना मजबूरी बनी हुई है। तहसील क्षेत्र के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूल के बच्चो को इस साल नये पद्धति से पढ़ाने की सोच बिना पुस्तक व अध्यापक के दिखावा बनी हुई है। नई कक्षा में प्रवेश पाने वाले बच्चो को नई किताब से पढने का शौक अब धीरे धीरे मंद पड़ने लगा है। सरकार ने सोचा कि केंद्रीय शिक्षा पद्धति के आधार पर परिषदीय स्कूलों को भी चलाया जाएगा। एक अप्रैल से सत्र शुरू करने के लिए मार्च के अंतिम में पुराने कक्षा के बच्चो का परीक्षा परिणाम भी घोषित कर दिया गया, लेकिन पचीस दिन बाद किसी भी परिषदीय स्कूल में नई किताब देखने को नही मिल रही है।
नई की किताबों से पढने की आस लगाए बच्चे पुरानी
पुस्तकों से पढने को मजबूर है। इस बाबत पूछने पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी
राम पाल ने बताया कि नई किताबे अभी तक शासन से ही नही उपलब्ध हो सकी हैं।
पुराने से ही पढ़ाने का आदेश जारी किया गया है। वैसे शासन से ज्यों ही नई
किताबे मिलेगी बच्चो को उपलब्ध करवा दी जाएंगी।
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