लखनऊ।
परिषदीय स्कूलों के लिए स्वीकृत 20,000 शिक्षकों के पदों में उर्दू
शिक्षकों के 3,500 पद अलग किए जाएंगे। इसके बाद 3,500 और पहले से खाली
1,919 यानी कुल 5,419 पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी। बेसिक शिक्षा
परिषद के सचिव संजय सिन्हा ने इसके लिए शासन को प्रस्ताव भेज दिया है। राज्य
सरकार प्राइमरी स्कूलों में उर्दू पढ़ाने के लिए शिक्षकों की भर्ती कर रही
है। इसके लिए मोअल्लिम वालों को पात्र माना गया है। राज्य सरकार ने पूर्व
में उर्दू शिक्षकों के 4,280 पदों के लिए आवेदन मांगा था। इसमें तीन चरणों
की काउंसलिंग के बाद 2,361 पद भर लिए गए और 1,919 पद खाली रह गए।
मोअल्लिम-ए-उर्दू वेल्फेयर एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के संरक्षक आफताब आलम ने
इस संबंध में शिक्षा विभाग से प्राइमरी स्कूलों में छात्र अनुपात के आधार
पर उर्दू शिक्षकों की भर्ती की मांग की थी। उनका कहना है कि उर्दू शिक्षकों
के पूर्व से पद खाली हैं और नए सृजित पदों में 3,500 पदों को अलग करते हुए
जल्द ही उर्दू शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाए।
ऑल
इंडिया तालीम घर से दो वर्षीय प्रशिक्षण कोर्स उर्दू टीचर सर्टिफिकेट
(यूटीसी) करने वालों को भी उर्दू शिक्षक भर्ती के लिए पात्र माना जाए।
यूटीसी बीटीसी के समकक्ष है। उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग के आदेश पर
तत्कालीन बसपा सरकार ने इसे बीटीसी के समकक्ष माना था। इसके आधार पर उर्दू
शिक्षक भर्ती नियमावली में संशोधन की कवायद भी शुरू कर दी गई, लेकिन
वर्तमान सरकार ने इसे नहीं माना। ऑल इंडिया तालीम घर की प्रवक्ता बेगम
शहनाज सिदरत कहती हैं कि हाईकोर्ट के आदेश पर कुछ जिलों में यूटीसी वालों
को उर्दू शिक्षक के लिए पात्र मानते हुए सहायक अध्यापक भी बनाया गया।
लिहाजा राज्य सरकार को भी इसे सही मानते हुए संशोधित आदेश जारी कराना
चाहिए। उन्होंने बताया कि प्रदेश में यूटीसी की 2,000 सीटें हैं और मानक के
अनुसार इसका प्रशिक्षण दिया जाता है। बिहार और झारखंड में यूटीसी
डिग्रीधारकों को प्राइमरी स्कूलों में उर्दू शिक्षक के रूप में तैनाती दी
जाती है। यूपी में वर्ष 1994-1995 तक इसे बीटीसी के समकक्ष मानते हुए
प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापक के रूप में तैनाती दी गई थी।
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