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72825 भर्ती पर राजनैतिक प्रभाव : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

बीएड वालों की भर्ती पर राजनैतिक प्रभाव :
बसपा सरकार ने टीईटी मेरिट से 72825 पदों पर भर्ती निकाली जिसपर सर्विस रुल लागू न होने के कारण स्टे हो गया , स्टे हटा भी नहीं था कि नियमावली से टीईटी मेरिट ख़त्म हो गयी ।

यदि बसपा सरकार आई होती तो
विज्ञापन वापस न लेकर कोर्ट से विज्ञापन रद्द कराती और केंद्र से परमिशन लेकर टीईटी मेरिट से 72825 पद पर विज्ञापन निकालकर भर्ती कर देती और टीईटी में जनरल 108-110 से कम वाले , ओबीसी 103-105 से कम वाले और एससी 92-95 से कम वाले और उसी सापेक्ष में क्षैतिज आरक्षण वाले भी भर्ती से हमेशा के लिए बाहर हो जाते ।
सपा सरकार आई तो नियमावली बदल दी ।
अब उसकी अपनी नीति है ,
पुराना विज्ञापन जब सर्विस रुल पर ही नहीं था तो फिर उसका चयन का आधार कुछ भी रहता कोई फायदा नहीं था ।
आप स्वयं देख रहे हैं कि ट्रेनिंग के बाद नियुक्ति हो रही है ।
इस प्रकार निर्णित होने वाला चयन का आधार निर्णायक होगा कि चयनितों का क्या हश्र होगा ।
पुराने विज्ञापन को सर्विस रुल पर लाने की मैंने डिमांड की है ,
बाकी सभी जो कि प्रतिवादी हैं उन लोग ने उसी पुराने त्रुटिपूर्ण विज्ञापन को ही बहाल करने की मांग की है और हाई कोर्ट ने बहाल इसलिए किया क्योंकि उसपर कोई बाधा नहीं थी लेकिन कपिल देव की SLP 4887/14 किसी भी हालत में अब ओल्ड ऐड को बहाल नहीं होने देगी क्योंकि वह ऐड सर्विस रुल पर नहीं है इसलिए हमने उसे सर्विस रुल पर लाने की मांग की है ।
शिक्षामित्रों का बुरा हश्र इसलिए हुआ क्योंकि उनका चयन सर्विस रुल पर नहीं था ।
न्यायालय ने पद बढ़ाने की बहुत कोशिश की परन्तु असफल रही और यदि भर्ती मात्र 72825 पद होगी तो उसे या तो रद्द होकर निर्णित चयन के आधार पर आना होगा या फिर पुरानी प्रक्रिया को सर्विस रुल पर मॉडिफाई होना होगा परन्तु मॉडिफाई की सम्भावना भी बेहद कम है।
इसलिए निर्णित होने वाले चयन के आधार पर जो फिट नहीं बैठेंगे वो विदा होंगे ।
इसके बावजूद भी न्यायमूर्ति जनहित के जज हैं और वो कुछ भी कर सकते हैं इसलिए सब लीगल गणित फ़ैल है ।
यदि मेरी याचिका पर कोई सकारात्मक परिणाम न मिला और नियमावली का संशोधन 15 और 16 बहाल हो गया तो मेरी यहाँ समझा जायेगा कि सत्ता परिवर्तन ही नसीब के लिए खोटा रहा और DB में यदि जीत न मिलती और नवीन की याचिका ख़ारिज हो गयी होती तो चयनित नेताओं से ज्यादा वो दुखी होते जिनका कभी चयन ही न होता ।
ईश्वर संतोष करने के लिए बहाना देता है ।
यदि बसपा ने सर्विस रुल से ऐड निकाला होता तो फाइनल आदेश में किसी की नियुक्ति निरस्त न होती ।
जिस तरह शिक्षामित्रों की बर्बादी की जिम्मेदार बीजेपी , सपा और BSP है उसी प्रकार प्रशिक्षुओं की बर्बादी की जिम्मेदार बसपा होगी ।
इन सबके बावजूद भी मै अपना प्रयास जारी रखूँगा लेकिन सम्पूर्ण निष्कर्ष में मै सपा सरकार को दोषी नहीं मानता हूँ ।
जब भाजपा के नियमों को सपा और सपा के नियमों को बसपा ने नहीं माना तो फिर बसपा के नियम सपा क्यों माने ?
प्रक्रिया सर्विस रुल पर नहीं थी तो फिर उसे निरस्त करना और चयन का आधार बदल कर विज्ञापन निकालना
सपा का पालिसी निर्णय है और चयन का आधार रद्द करके कोर्ट ने बेरोजगारों को राहत देने की कोशिश की लेकिन अंतिम निर्णय महत्त्वपूर्ण होगा और आत्महत्याओं का सिलसिला शुरू होगा ।
दिसम्बर की ठंडी लगभग पचास हजार नियुक्तियां रद्द करायेगी अब वे बीटीसी और मिडिल वाले होंगे कि प्रशिक्षु शिक्षक यह भविष्य के गर्भ में समाहित है ।


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