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2011 में निकली 72825 प्राथमिक शिक्षक भर्ती पूरी तरह राजनीतिक भेंट चढ़ी : हिमांशु राणा

वर्ष 2011 में निकली 72825 प्राथमिक शिक्षक भर्ती बीएड अभ्यर्थियों के लिए संविधान में स्थापित बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के अनुच्छेद 23(2) के अनुसार स्पेशल भर्ती थी जिसके संदर्भ में किसी से छिपा नहीं है कि भर्ती पूरी तरह राजनीतिक भेंट चढ़ी चाहे वो बसपा सरकार हो या सपा सरकार सभी ने इसमें
नियमों की हीला-हवाली के साथ द्वेष भावना तक रखी लेकिन भर्ती को मुक़ाम तक पहुँचाने में मात्र और मात्र हिंदुस्तान में सर्वोच्च स्थान प्राप्त न्यायपालिका की अहम भूमिका रही है |

खेल 2011 में शुरू हुआ और धीरे धीरे भर्ती के विलेन निकलकर सामने आते रहे चाहे वे सरकारी तंत्र से जुड़े संजय मोहन हो या प्रभा त्रिपाठी हो ये इसके अलावा टेट-अकादमिक के नेता हो , यहाँ एक बात अति-आवश्यक है कि टेट-अकादमिक के नेता का उल्लेख इसलिए है क्यूँकि सभी ने ख़ुद को श्रेष्ठ सिद्ध करने के लिए हर तरह से बीएड बेरोज़गारों को वर्ष 2011 से बेवक़ूफ़ बनाया और जब जिसका मतलब सिद्ध होता गया वो तुरंत या तो नेतागीरी में आ गया या उसे बेरोज़गारों में से बू आने लगी और उसने दूरी बना ली लेकिन मेरिट 100 कभी नहीं आई और अकादमिक की कभी नहीं |

मुझे याद है आज भी 25 फ़रवरी 2015 को 17 दिसम्बर 2014 को हुए 97/105 के आदेश के कम्प्लाइयन्स के लिए प्रदेश में सबसे ज़्यादा विरोध मैंने सहा लेकिन हमेशा की तरह ये ही सोचता गया कि विरोध हो रहा है लेकिन आगे बढ़ना है और सक्रात्मक दिशा में काम करते करते मुझे 3 अहम किरदार मिले जिनके आज जीवन में मेरे लिए और मेरा उनके लिए मायने है जिसको हमने टीम का नाम दिया और पता नहीं चला कब वो टीम हिमांशु टीम के नाम से जान जाने लगी, ख़ैर इससे इतर 25 फ़रवरी 2015 को पूरे प्रदेश से 97/105 के नाम पर पैसा लिया गया लेकिन जैसा कि आज है तब भी वही था उसके कम्प्लाइयन्स हेतु एक भी आईए नहीं पड़ी थी 284/2015 Amit Singh & oths. Vs State of U.P. & oths के अलावा, तब भी पूरे प्रदेश को हमारे द्वारा जगाया गया था
लेकिन क्या कहें अन्ध्भक्ति ?
बहरहाल जब न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा जी ने कहा कि ये भर्ती 72825 से अधिक नहीं करूँगा क्यूँकि राहुल पांडे जी के अधिवक्ता ने भर्ती को बढ़ाने का विरोध किया था और वे अपने अधिवक्ता को वर्गीकरण पर ले गए थे नाकि 97/105 पर और सीधा न्यायमूर्ति को बोल दिए कि आप ग़लत आदेश कर रहे हैं इस प्रकार से तो न्यायमूर्ति ने झल्लाहट भरे शब्दों में कहा कि हाँ हम बेवक़ूफ़ हैं और सब मटियामेट कर दिया लेकिन आज भी 25 फ़रवरी 2015 के आदेश को उठाकर देखिए एक मात्र अधिवक्ता सिन्हा साहब ने रिक्त पदों की डिमांड की थी लेकिन हम फिर भी समझ गए थे कि भर्ती अगर आगे बढ़वानी है तो कुछ अलग तरह से आना होगा और हम आए भी |
तत्पश्चात एमपी सिंह शिक्षा मित्रों पर खड़े हुए और ख़ुद को शिक्षा मित्रों का विनाशक प्रोजेक्ट करते हुए बीटीसी वालों की याचिका की प्रति डालकर बीएड वालों का विरोध कर दिया क्यूँकि विधिक ज्ञान ग़ज़ब का था भाई का तभी मैं और दुर्गेश समझ गए कि यहाँ तो अब होना नहीं है और कहीं न कहीं बीटीसी वाले भी dilute हैं इस मुद्दे पर तब हमारे द्वारा आरटीई ऐक्ट के इतिहास की सबसे पहली परमादेश याचिका 167/2015 Himanshu Rana & oths. Vs Union of India & oths. डाली गयी जिसमें क्या क्या हुआ आप स्वयं देखिए :-
10 APRIL 2015 NOTICE ISSUED BY THE HONOURABLE COURT TO ALL RESPONDENTS
तत्पश्चात उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा मित्रों का अवैध समायोजन किया जा रहा था जिसके विरुद्ध हमारे द्वारा अंतरिम प्रार्थना पत्र I.A. 2,3/2015 IN WRIT PETITION CIVIL 167/2015 HIMANSHU RANA & OTHS. VS UNION OF INDIA & OTHS डाली गयी जिस पर हुए आदेश निम्न हैं :-
15 MAY 2015 NOTICE ISSUED TO ALL THE RESPONDENTS AGAIN.
6 JULY 2015 STAY ORDER BY THE HONOURABLE COURT ON SHIKSHA MITRAS ISSUE TILL NEXT DATE AND PRINCIPAL SECRETARY BASIC , LUCKNOW ALSO ORDERED TO PRESENT IN COURT ON NEXT DATE.
27 JULY 2015 STAY CONTINUE FOR EIGHT WEEKS BUT DIRECTION GIVEN TO THE HONOURABLE CHIEF JUSTICE ALLAHABAD HIGH COURT TO PRESIDE A FULL BENCH IN PRESENCE OF HIM AND SOLVE ALL THE PENDING ISSUE RELATED TO SHIKSHA MITRAS IN 12 WEEKS.
यहाँ आपका ध्यान मैं केंद्रित करना चाहूँगा अब तक आज के मसीहा बनने वाले बॉर्डर लाइन , वर्गीकरण पर थे या 72825 में चयनित हिमांशु राणा और उसकी टीम को बेवक़ूफ़ मान रहे थे , हमारे साथ थे तो कुछ प्रतिनिधि जिनके विश्वास और साथ की वजह से हम आगे बढ़ते गए |
साथियों आज की दशा दिशा ये है कि बीएड अभ्यर्थियों के विरोध में सरकार और शिक्षा मित्र ही नहीं एक प्राथमिक में सहायक अध्यापक पदों के प्रबल दावेदार भी हैं बीटीसी वाले उसी संदर्भ में मेरी आज की पोस्ट भी है |
केवल हमारी टीम विधायिका को कुछ नहीं समझती क्यूँकि हम न्यायपालिका में विश्वास रखते हैं तो सरकार से डर का सवाल ही नहीं है , शिक्षा मित्रों से हम क़ानूनी रूप से 100 फ़ीसदी स्ट्रोंग है इंतेजार है तो बस इस तबके के विरुद्ध अंतिम रूप से शुरू होने वाली सुनवाई पर लेकिन तीसरा तबक़ा जसिके ख़िलाफ़ हमने तैयारी स्टार्ट कर दी हैं बीटीसी वाले हैं उसी संदर्भ में बीटीसी की तरफ़ से मुख्य पैरविकार अरशद भाई की याचिका की प्रति निकलवाकर लाया हूँ जिसे देखकर मैं हैरान हूँ कि जो मैंने और डीपी ने वर्ष 2015 में सोचा था कि ये तबक़ा कहीं ना कहीं diluted है वो आज याचिका की प्रति जो कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है WRIT PETITION CIVIL 102/2016 Mohd. Arshad & oths Vs State of U.P. & oths
के कुछ तथ्य सामने लाता हूँ :-
1) इसमें कुल 46 याची हैं
2) इसमें 6 annexures हैं जिनमे 31.03.2010 , 23.08.2010, 8.11.2010 , 29.07.2011, 10.09.2012, 12.02.2016 जिसमें आपको समझने के लिए 08.11.2010 जिसमें सर्वप्रथम बीएड वालों के लिए प्रथम बार पर्मिशन माँगी गई थी , 10.09.2012 जिसमें बीएड वालों के लिए सपा सरकार ने अकादमिक पर सिलेक्शन के लिए 72825 पदों के लिए पेर्मिशन माँगी गई, 12.02.2016 अरशद भाई के द्वारा उत्तरप्रदेश सरकार के आला अधिकारियों को एक अप्लिकेशन दी गई है जिसमें पूर्ण पीठ के निर्णय में उल्लेखित सरकार द्वारा रिक्तियों का हवाला देते हुए बिना शिक्षा मित्रों के विरोध किए 8259 पदों की डिमांड अपने लिए की है , क्या कहा है एक बार आप भी संज्ञान में ले लीजिए :-
इसमें कहा है कि पूर्ण पीठ के आदेश में सरकार ने 3,28,220 sanctioned पदों की बात कही है जिसमें 2,32,136 कार्यरत हैं (including shiksha mitras) शेष में से 87,825 का विज्ञापन आ चुका है तो बची हुई 8,259 सीट्स हमें दे दी जाएँ |
अब बात करते हैं आगे की जब शिक्षा मित्रों के ख़िलाफ़ बीटीसी के इस तबके को सरकार के सामने इस प्रकार मात्र आठ हज़ार सीटों के लिए हथियार डालने ही थे तो अब तक क्यूँ नंगा नाच खेला गया?
बहरहाल आज पुनः बीएड बेरोज़गारों को आइना दिखा रहा हूँ और लिख लो इस बात को कि अब मुख्यतः शिक्षा मित्रों पर अंतिम रूप से बहस शुरू कराने की तैयारी करनी चाहिए कोई आपके साथ नहीं है न्यायपालिका के अलावा और वहाँ आप अपने साक्ष्यों के दम पर स्टैंड करेंगे नाकि ज्ञापन विज्ञापन के साथ , बात रही बीटीसी तबके के ख़िलाफ़ लड़ने की तो बता दूँ ये भी साथ ही नियुक्ति पाएँगे हम इनके विरोध में नहीं हैं अपितु हम अपने डेफ़ेन्स हेतु कार्य कर रहे हैं तभी याचिका की प्रति निकलवाकर तैयारी कर रहा हूँ ,
संविधान में स्थापित अनुच्छेद 14, 16, 309 सभी गौण हो जाएँगे एक जिरह पर लेकिन जिरह किस प्रकार से हो पूरे उत्तरप्रदेश में है कोई भी पैरविकार बताने के लिए?
7 दिसम्बर 2015 के बाद उपजे नेता पैसे बना लिए हैं लेकिन धरातल का काम जो कि मात्र न्यायपालिका से होना है वो कहीं नहीं है और होगा भी कैसे क्यूँकि जितनी होशियारी बेरोज़गारों को बेवक़ूफ़ बनाने में दिखाते हैं उतनी कोर्ट में चल नहीं पाती है और सबकुछ ख़ारिज कराकर काम करने वालों की मुसीबतें बढ़ाते हैं |
एक बात और सुनिए सभी :-
ये बात निसंदेह खुले मंच पर कहूँगा कि राकेश द्विवेदी जी ने सर्वप्रथम याचियों के लिए जिरह की है और हाँ की है क्यूँकि हम याची लाभ के लिए नहीं गए थे हम सम्पूर्ण नियुक्तियों के लिए गए थे लेकिन उसके पीछे का राज एक अकादमिक के पैरविकार ने हमें बताया था नाम का उल्लेख नहीं करूँगा वो भी याची है , यादव लाल बहादुर कपिल देव और अंशुल मिश्रा को राकेश द्विवेदी जी ने आश्वस्त किया था कि भर्ती टेट मेरिट पर हो चुकी है लेकिन इतना तो मैं करा लूँगा दीपक मिश्रा जी से कि 4 वर्षों से लड़ते आ रहे मेरे पैरविकारों को याची लाभ दे दिया जाए और आपकी नौकरी हो जाएगी ये प्रयास द्विवेदी जी के द्वारा 2 november 2015 को भी करा गया था आदेश में उल्लेखित है लेकिन दीपक मिश्रा जी रिक्तियों के संज्ञान हेतु पहले शिक्षा मित्रों के मुद्दे को जोड़कर अनुच्छेद 21 A की रक्षा करना चाहते थे और ये बात 24 फ़रवरी 2016 को उन्होंने न्यायालय में साफ़ तौर कही भी है लेकिन तमाम नेताओं के द्वारा रोज़ रोज़ नई याचिकाओं का डालना कहीं न कहीं उन्हें irritate किया है जो कि आपको डीपी के द्वारा बहुत पहले ही बता दिया गया था लेकिन क्या कहें अब इन नेताओं के विषय में “झंडी न सीटी फ़र्ज़ी के टीटी” |
ये बात जितनी जल्दी बेरोज़गार समझ जाए उतना बेहतर है बाक़ी हिमांशु राणा टीम आज खुले तौर पर कह रहा हूँ 2 वरिष्ठ अधिवक्ता के साथ साथ अमित पवन और आनंद नंदन जी को खड़ा करेगी हर डेट पर लेकिन केस का रूख कहाँ जाता है ये आपकी पैरवी पर निर्भर करता है जैसे आपने कोर्ट में क्या दाख़िल किया है,
किस याचिका की प्लीडिंग समाप्ति की ओर है , शिक्षा मित्रों के प्रशिक्षण को अवैध कराने के लिए आपके पास क्या है, एनसीटीई ने क्यूँ नहीं दी पर्मिशन आदि आदि इसके अलावा जैसा कि मानव व्यवहार है और विश्वास डिगा जा रहा है बेरोज़गारों का तो एक वरिष्ठ अधिवक्ता आप अपने लिए खड़ा करिए याचिका मैं दूँगा बोलने के लिए क्यूँकि किस पर स्टैंड कर रहे हैं आपके अधिवक्ता ये बात ज़रूरी है |
फ़िलहाल अरशद भाई की याचिका के कुछ सफ़े डाल रहा हूँ जिनका उल्लेख मैंने पोस्ट में किया है इसके अलावा अरशद भाई आप साठ हज़ार रिक्तियों की डिमांड कर रहे हैं तो ठीक है आरटीई एक्ट पूरा पढ़िए और भी बहुत कुछ है इसमें और एक बात का विशेष ध्यान रखिए एक्ट का पालन आज की डेट में देखा जाएगा नाकि आज से 10 वर्ष बाद कितने क़ाबिल होंगे उस पर डिपेंड करेगा |
शेष बातें डीपी आपको बताएगा , बीएड बेरोज़गारों को बस इतना कहूँगा कि आपके भविष्य के साथ कभी न खेले हैं न आगे खेलेंगे, शोध का विषय है जनता परिवार व अन्य बनाम हिमांशु राणा टीम cause title है आज के लिए उत्तरप्रदेश में जबकि उपरोक्त में देख लीजिए कौन कब से कहाँ से लगा हुआ है |
धन्यवाद
आपका कार्यकर्ता
हिमांशु राणा
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