7th cpc रिपोर्ट : याद रखना होगा की ये वेतनवृद्धि अगले 10 तक मिलने वाली एकमात्र वृद्धि है : Ganesh Dixit

7th cpc रिपोर्ट को केन्द्र सरकार ने मंजूरी दी । सरकार का कहना है 23.5 % वेतन वृद्धि की गयी है ।
जिसे पढ़कर काफी निराशा और हताशा हुई और अपनी पसंदीदा सरकार की नीतियों पर क्रोध भी आया ।
याद रखना होगा की ये वेतनवृद्धि अगले 10 तक मिलने वाली एकमात्र वृद्धि है ।

कहने को तो यह रिपोर्ट केंद्रीय कर्मचारियों से जुड़ी है पर यह बात तो सभी जानते हैं की राज्यों और निकायों में भी वेतनवृद्दि इसी रिपोर्ट को आदर्श मानकर तय की जाती है जिसका की सीधा-सीधा मतलब यह हुआ की यह रिपोर्ट हर नौकरीपेशा व्यक्ति या कर्मचारी से जुड़ी है ।
इस रिपोर्ट में तथ्यों को इतना घुमाकर पेश किया गया है की कहने को तो 23% से अधिक वेतनवृद्दि दिखाई देती है पर इसके साथ ही ये धोखे और भेदभाव को भी जन्म देती है ,यथा -
रिपोर्ट के अनुसार मूल वेतन में 14% के लगभग और भत्तो में 63% तक की वृद्दि की गयी है पर मंत्री महोदय 23.5% वृद्धि का झुनझुना बजाने में लगे हैं पर राज्यों में भत्ते केन्द्र के समान नहीँ होते तो ऐसे में उत्तर प्रदेश जैसे राज्य के शिक्षकों की कुल वेतन वृद्धि 14.5 % ही हुई ,क्योंकि यहाँ भत्ते के नाम पर 1000 रुपये ही मिलते हैं । अब बात करते हैं की आज तक के सभी वेतन आयोगों में इसी में सबसे कम क्यों ?
क्योंकि केन्द्र में bjp की सरकार है जिसकी नीतियां कर्मचारियों को बोझ मानती है और इनके वेतनवृद्धि को नाजायज मानती है ।
विकसित राष्ट्रों में क्या सरकारें कर्मचारियों को वेतन नहीँ देती ?
अमेरिका का ही उदाहरण लें तो उनके सरकारी कर्मचारियों का वेतन और सुविधाएँ श्रेष्ठतम होती हैं ।
अब जबकि कच्चे तेल की कम कीमतों ने सरकार के खजाने को भर दिया है तबभी आज तक की सबसे कम वेतनवृद्धि देने का क्या मतलब है ?
ऊपर से तर्क हैं की राजकोषीय घाटा बढ़ जायेगा या फ़िर कर्मचारी काम नहीँ करते ।
इसे सुनकर ऐसा लगता है की सारा काम अन्य कोई करने आता है या कर्मचारियों को अच्छी वेतनवृद्धि न देकर महँगाई को कम कर लेंगे ।
जबकि वास्तविकता यह है की भाजपा सरकार की नीतियां कर्मचारियों की विरोधी और दमनकारी हैं ,ऐसा प्रतीत होता है जैसे कर्मचारी भारत के नागरिक ही न हों ।
हम इस रिपोर्ट को अस्वीकार करते हुये इसके विरोध का ऐलान करते हैं ।
फ़िर भले ही ये मेरी पसंदीदा सरकार ही क्यों न हो ,हम अन्याय बर्दाश्त नहीँ करेंगे ।
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