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सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निश्चित की हुई तारीखों पर सुनवाई न हो पाना एक गम्भीर चिंता का विषय

इस समय की प्रमुख समस्या से हम सभी अवगत हो चुके हैं और माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निश्चित की हुई तारीखों पर सुनवाई न हो पाना एक गम्भीर चिंता का विषय बन चुका है। प्रमुख प्रश्न यह है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है??

क्या शिक्षामित्रों के साथ चयनित भी प्रदेश के अचयनित बीएड बेरोजगारों का अहित करने पर आतुर हैं??
हमने अपने अचयनित साथियों को पूर्व में ही आगाह किया था कि वे किसी भी चयनित से याची मोहरा न बने जो समस्या आज आपके सामने स्पष्टत: है।
क्या कोई चयनित अचयनित की लड़ाई को पूरी ईमानदारी और निष्ठा से लड़ सकता है??
असम्भव है..
इलाहाबाद एवं अन्य जिलों में चयनितों ने अचयनितों को मोहरा बनाकर याची धन कमाया है।
जानकारी के मुताबिक़ याची धन कमाए हुए चयनित पूरी भर्ती पर क्लोजर रिपोर्ट लगाने को आमादा है..
एडहोक नियुक्त भी अपनी नियुक्ति को 72,825 से बाहर होने पर काफी व्यथित हैं और वे भी अन्य याचियों से पीड़ित होने पर अन्य याचियों के खिलाफ ही अवश्य कार्य करेंगे जिससे उनकी नियुक्ति पर आंच न आने पाए।
चयनित केवल लम्बी लम्बी लच्छेदार पोस्ट के साथ अचयनितों के मसीहा एवं शुभेच्छु बनने के साथ उनको गुमराह कर सकते हैं।
अब बात करते हैं अपने विषय के सन्दर्भ में तो जानकारी मुताबिक़ 24 अगस्त को सुनवाई की सम्भावना नगण्य बन रही है।
रजिस्ट्री विभाग के द्वारा इस प्रकार की गडबडी की पुन: पुनरावृत्ति जिसमे लंच के पश्चात जस्टिस दीपक मिश्रा जी के साथ जस्टिस नरीमन जी का होना अपने आप में प्रश्नवाचक चिन्ह है??
जहां हमारे याची भाइयों के लिए एक एक पल दुष्कर होता जा रहा वही यह तारीख पर तारीख का बोझ असहनीय पीड़ा के समान है।
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