आखिर यह नाकारा अखिलेश सरकार बार बार जूनियर टीईटी क्यो आयोजित करती है :

सवा पांच लाख युवाओं को दिखाया अंगूठा, शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) के उच्च प्राथमिक अभ्यर्थियों की भर्ती नहीं शिक्षक बनने का मंसूबा पाले सवा पांच लाख युवाओं को सूबे की सरकार ने अंगूठा दिखा दिया है।
चार साल में बड़ी संख्या में युवाओं ने उच्च प्राथमिक विद्यालयों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) दी, लेकिन उनकी भर्ती
करने की सुध किसी को नहीं है। केवल एक बार विज्ञान-गणित के शिक्षकों को मौका जरूर मिला, लेकिन बाकी पद प्रमोशन के जरिये भरे जा रहे हैं।
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक पद पर नियुक्ति पाने के लिए टीईटी उत्तीर्ण होना अनिवार्य है। इसीलिए हर साल प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक के लिए अलग-अलग परीक्षा कराई जाती है। इधर के वर्षो में परिषदीय विद्यालयों में करीब ढाई लाख शिक्षकों की नियुक्तियां हुई हैं। इनमें प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक पद पर 72825, 15 हजार, 16448 एवं उर्दू शिक्षक (कई चरण में) आदि प्रमुख हैं, लेकिन उच्च प्राथमिक स्कूलों में केवल 29334 विज्ञान-गणित शिक्षकों की ही नियुक्ति हो सकी है। इसके बाद से अब तक कोई भर्ती नहीं आई है और न ही जल्द आने के आसार हैं। वजह यह है कि उच्च प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक के रिक्त पद प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों की पदोन्नति से भरे जा रहे हैं।
इसके बावजूद वर्ष 2011 से साल दर साल हो रही टीईटी परीक्षा में शामिल होने वाले व उसे उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थियों में अधिकांश का रुझान उच्च प्राथमिक विद्यालयों की ओर है।
 शायद इसीलिए चार बार हो चुके इम्तिहान में प्राथमिक विद्यालयों के लिए 11 लाख छह हजार 452 अभ्यर्थी शामिल हुए व उनमें से चार लाख 57 हजार 695 सफल हुए हैं, वहीं उच्च प्राथमिक स्कूलों के लिए 23 लाख 76 हजार 288 अभ्यर्थी शामिल हुए और पांच लाख 58 हजार 674 अभ्यर्थी परीक्षा में सफल हुए हैं। इस संख्या में से यदि विज्ञान-गणित शिक्षकों की भर्ती को घटा दें तो करीब पांच लाख 29 हजार 340 अभ्यर्थी अब भी भर्ती की राह देख रहे हैं। बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव संजय सिन्हा कहते हैं कि परिषद के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में प्रमोशन के जरिये ही पद भरे जाने का प्रावधान है।धर्मेश अवस्थी

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