राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : सदस्यों की कमी का सामना कर रहे उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के दो सदस्यों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की तलवार लटक गई है। कोर्ट ने इनकी नियुक्ति के खिलाफ दाखिल याचिका पर नोटिस जारी की है। सुनवाई के लिए तीन अक्टूबर की तारीख तय की गई है।
उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में इस समय दो ही सदस्य हैं। इससे पहले कोर्ट ने आयोग के तीन सदस्यों की नियुक्ति को अवैध ठहराया था। अब सदस्य डॉ. रामेंद्र बाबू चतुर्वेदी और डॉ. अजब सिंह यादव की नियुक्ति के खिलाफ राकेश सिंह ने याचिका दायर की है। न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता और न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता ने इस याचिका पर सुनवाई की। याची की ओर से अधिवक्ता आदर्श सिंह ने पक्ष रखा कि जिन वजहों से तीन सदस्यों को हटाया गया था, रामेंद्र बाबू की नियुक्ति भी उसी चयन प्रक्रिया के तहत की गई है। उनकी नियुक्ति में न ही नियमानुसार विज्ञापन जारी किया और न ही योग्य उम्मीदवारों को चयन में शामिल किया गया। इसी तरह अजब सिंह के लिए कहा गया कि प्राचार्य पद पर उनकी नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट अवैध ठहरा चुका है। इसी आधार पर उन्हें आयोग के लिए चुना गया था इसलिए वह भी सदस्य पद के योग्य नहीं रह गए हैं। हाईकोर्ट ने इससे पहले तीन सदस्यों डा. रामवीर सिंह यादव, रूदल यादव और एके सिंह की नियुक्ति इस आधार पर रद कर दी थी कि उनके चयन में नियुक्ति प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
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उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में इस समय दो ही सदस्य हैं। इससे पहले कोर्ट ने आयोग के तीन सदस्यों की नियुक्ति को अवैध ठहराया था। अब सदस्य डॉ. रामेंद्र बाबू चतुर्वेदी और डॉ. अजब सिंह यादव की नियुक्ति के खिलाफ राकेश सिंह ने याचिका दायर की है। न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता और न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता ने इस याचिका पर सुनवाई की। याची की ओर से अधिवक्ता आदर्श सिंह ने पक्ष रखा कि जिन वजहों से तीन सदस्यों को हटाया गया था, रामेंद्र बाबू की नियुक्ति भी उसी चयन प्रक्रिया के तहत की गई है। उनकी नियुक्ति में न ही नियमानुसार विज्ञापन जारी किया और न ही योग्य उम्मीदवारों को चयन में शामिल किया गया। इसी तरह अजब सिंह के लिए कहा गया कि प्राचार्य पद पर उनकी नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट अवैध ठहरा चुका है। इसी आधार पर उन्हें आयोग के लिए चुना गया था इसलिए वह भी सदस्य पद के योग्य नहीं रह गए हैं। हाईकोर्ट ने इससे पहले तीन सदस्यों डा. रामवीर सिंह यादव, रूदल यादव और एके सिंह की नियुक्ति इस आधार पर रद कर दी थी कि उनके चयन में नियुक्ति प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
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