7वें वेतन आयोग से प्राथमिक शिक्षकों को सबसे बड़ा नुकसान
कई दिन से अकसर हम लोग वेतन आयोग पर अपना गुस्सा ज़ाहिर कर रहे हैं और खुलकर इसका विरोध हिंदुस्तान के हर कोने में हो रहा है।
लेकिन मैं एक प्राथमिक अध्यापक होने के नाते आज आपको इस वेतन आयोग के द्वारा प्राथमिक शिक्षकों के साथ हुए सबसे बड़े धोखे की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ।अभी हम केवल 2.57 और 7000 से 18000 पर बहस कर रहे हैं, लेकिन असली धोखा यह नहीं है बल्कि कुछ और है।
आइये मैं आपको वेतन आयोगों के प्राथमिक शिक्षकों के सन्दर्भ कड़वे सच और सुनहरे अतीत में लेकर चलता हूँ।
पांचवें वेतन आयोग में जहाँ प्राथमिक शिक्षकों का वेतन 1200 से बढाकर 4000-6000 के स्तर पर निर्धारित किया गया था, जिसके बाद दवाब में सरकार ने विशेष रूप से प्राथमिक शिक्षकों का वेतनमान अपग्रेड करके 4500-7000 के अनुसार निर्धारित किया जोकि एक अभूतपूर्व सफलता थी।
इसी के कारण हमें छठे वेतन आयोग में क्रमशः 4200, 4600, 4800 की ग्रेड पे मिलना संभव हुआ। हमें 4500-7000 के वेतनमान से अपग्रेड करके 5000-8000 के आधार पर 13500 दिया गया। लेकिन यहाँ एक कसक रह गयी कि हमें हमारे शिक्षक संघ प्राथमिक अध्यापकों को संघर्ष के बाद भी हमारा पूरा हक़ अथार्त् 16290 नहीं दिलवा सके।
अब सातवें वेतन आयोग का गहन अवलोकन करने के बाद एक पृष्ठ पर शिक्षकों के बारे में एक बहुत कठोर टिप्पणी की गयी है कि शिक्षकों को पहले ही आवश्यकता से अधिक अच्छे वेतनमान मिल रहे हैं इसलिए इन्हें अपग्रेड करने का कोई औचित्य नहीं है।
साथियों यहाँ हमारे साथ सबसे बड़ी नाइंसाफी हुई है, जहाँ पिछले हर वेतन आयोग ने शिक्षकों को अपग्रेड किया यहाँ इस वेतन आयोग ने हमें नीचे धकेल दिया है।
आज एक प्राथमिक(35400) और tgt(44900) के मूल वेतन में लगभग 9500 रूपये का भारी अंतर कर दिया है, जिससे प्राथमिक शिक्षक स्वयं को ठगा सा महसूस कर रहा है। आगे चलकर यह खाई और बढ़ती जायेगी।
यहाँ हमारा प्रारंभिक वेतन 13500×2.62=35400 के स्थान पर 16290×2.57 के अनुसार 42700 पर निर्धारित होना चाहिए था।
अगले कुछ दिनों में सरकार कर्मचारी संगठनों के दवाब में आकर 2.57 के गुणन को बढाकर कितना भी कर दे, लेकिन जो चोट प्राथमिक अध्यापक को दी जा चुकी है उसकी भरपाई नहीं हो सकती है।
मेरी भारत के सभी प्राथमिक शिक्षक संगठनों से हाथ जोड़कर विनती है कि आपस की बहस को छोड़कर इस विषय पर हमें एकत्र होना चाहिए और 16290 को आधार बनाकर हमारा पे मैट्रिक निर्धारित होना चाहिए। वरना प्राथमिक अध्यापक को सरकारों द्वारा दमन करके वेतन के नाम पर ऐसे ही लूटा जाता रहेगा।
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कई दिन से अकसर हम लोग वेतन आयोग पर अपना गुस्सा ज़ाहिर कर रहे हैं और खुलकर इसका विरोध हिंदुस्तान के हर कोने में हो रहा है।
लेकिन मैं एक प्राथमिक अध्यापक होने के नाते आज आपको इस वेतन आयोग के द्वारा प्राथमिक शिक्षकों के साथ हुए सबसे बड़े धोखे की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ।अभी हम केवल 2.57 और 7000 से 18000 पर बहस कर रहे हैं, लेकिन असली धोखा यह नहीं है बल्कि कुछ और है।
आइये मैं आपको वेतन आयोगों के प्राथमिक शिक्षकों के सन्दर्भ कड़वे सच और सुनहरे अतीत में लेकर चलता हूँ।
पांचवें वेतन आयोग में जहाँ प्राथमिक शिक्षकों का वेतन 1200 से बढाकर 4000-6000 के स्तर पर निर्धारित किया गया था, जिसके बाद दवाब में सरकार ने विशेष रूप से प्राथमिक शिक्षकों का वेतनमान अपग्रेड करके 4500-7000 के अनुसार निर्धारित किया जोकि एक अभूतपूर्व सफलता थी।
इसी के कारण हमें छठे वेतन आयोग में क्रमशः 4200, 4600, 4800 की ग्रेड पे मिलना संभव हुआ। हमें 4500-7000 के वेतनमान से अपग्रेड करके 5000-8000 के आधार पर 13500 दिया गया। लेकिन यहाँ एक कसक रह गयी कि हमें हमारे शिक्षक संघ प्राथमिक अध्यापकों को संघर्ष के बाद भी हमारा पूरा हक़ अथार्त् 16290 नहीं दिलवा सके।
अब सातवें वेतन आयोग का गहन अवलोकन करने के बाद एक पृष्ठ पर शिक्षकों के बारे में एक बहुत कठोर टिप्पणी की गयी है कि शिक्षकों को पहले ही आवश्यकता से अधिक अच्छे वेतनमान मिल रहे हैं इसलिए इन्हें अपग्रेड करने का कोई औचित्य नहीं है।
साथियों यहाँ हमारे साथ सबसे बड़ी नाइंसाफी हुई है, जहाँ पिछले हर वेतन आयोग ने शिक्षकों को अपग्रेड किया यहाँ इस वेतन आयोग ने हमें नीचे धकेल दिया है।
आज एक प्राथमिक(35400) और tgt(44900) के मूल वेतन में लगभग 9500 रूपये का भारी अंतर कर दिया है, जिससे प्राथमिक शिक्षक स्वयं को ठगा सा महसूस कर रहा है। आगे चलकर यह खाई और बढ़ती जायेगी।
यहाँ हमारा प्रारंभिक वेतन 13500×2.62=35400 के स्थान पर 16290×2.57 के अनुसार 42700 पर निर्धारित होना चाहिए था।
अगले कुछ दिनों में सरकार कर्मचारी संगठनों के दवाब में आकर 2.57 के गुणन को बढाकर कितना भी कर दे, लेकिन जो चोट प्राथमिक अध्यापक को दी जा चुकी है उसकी भरपाई नहीं हो सकती है।
मेरी भारत के सभी प्राथमिक शिक्षक संगठनों से हाथ जोड़कर विनती है कि आपस की बहस को छोड़कर इस विषय पर हमें एकत्र होना चाहिए और 16290 को आधार बनाकर हमारा पे मैट्रिक निर्धारित होना चाहिए। वरना प्राथमिक अध्यापक को सरकारों द्वारा दमन करके वेतन के नाम पर ऐसे ही लूटा जाता रहेगा।
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