राज्य सरकार की लापरवाही से प्रदेश में शिक्षक गढ़ने वाले गुरुओं को पिछले पांच महीने से वेतन नहीं मिला है। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डायट) के शिक्षकों और कर्मचारियों का वेतन अप्रैल से कागजी कार्रवाई में फंस कर रह गया है।
इन कर्मचारियों को मार्च के बाद से वेतन नहीं दिया गया है। यह हाल तब है जब केन्द्र ने अपनी किश्त जुलाई में ही भेज दी थी। लेकिन तब से फाइल इधर से उधर घूम रही है लेकिन वेतन अब भी जारी नहीं हो पाया है।
डायटों में बीटीसी प्रशिक्षुओं को पढ़ाया जाता है। प्रदेश में 70 बीटीसी संस्थान हैं और इनमें 500-600 शिक्षक कर्मचारी काम करते हैं। पिछले पांच महीने से वेतन नहीं मिलने के कारण हालत खराब है। शिक्षक-कर्मचारियों की अपनी बचत भी खत्म हो चुकी है और अब वे उधार मांग कर काम चला रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक, जुलाई में केन्द्र से बजट आने के बाद ही वेतन आदि के भुगतान के लिए राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ने अपना प्रस्ताव शासन को भेज दिया था। लेकिन आपसी खींचतान में इस प्रस्ताव पर ही बैठकें होती रहीं जबकि वेतन आदि भुगतानों के प्रस्ताव पर अमूमन बैठकें नहीं होती हैं। अब जब वित्त विभाग पर इस भुगतान को हरी झण्डी दे चुका है तब भी शासन वेतन जारी नहीं कर रहा है।
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इन कर्मचारियों को मार्च के बाद से वेतन नहीं दिया गया है। यह हाल तब है जब केन्द्र ने अपनी किश्त जुलाई में ही भेज दी थी। लेकिन तब से फाइल इधर से उधर घूम रही है लेकिन वेतन अब भी जारी नहीं हो पाया है।
डायटों में बीटीसी प्रशिक्षुओं को पढ़ाया जाता है। प्रदेश में 70 बीटीसी संस्थान हैं और इनमें 500-600 शिक्षक कर्मचारी काम करते हैं। पिछले पांच महीने से वेतन नहीं मिलने के कारण हालत खराब है। शिक्षक-कर्मचारियों की अपनी बचत भी खत्म हो चुकी है और अब वे उधार मांग कर काम चला रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक, जुलाई में केन्द्र से बजट आने के बाद ही वेतन आदि के भुगतान के लिए राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ने अपना प्रस्ताव शासन को भेज दिया था। लेकिन आपसी खींचतान में इस प्रस्ताव पर ही बैठकें होती रहीं जबकि वेतन आदि भुगतानों के प्रस्ताव पर अमूमन बैठकें नहीं होती हैं। अब जब वित्त विभाग पर इस भुगतान को हरी झण्डी दे चुका है तब भी शासन वेतन जारी नहीं कर रहा है।
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