फिर उठा भर्तियों में भ्रष्टाचार का मामला, शिक्षकों और प्राचार्यो की नियुक्ति के लिए लिपिक और शिक्षा मित्र रहे लोगों को बनाया गया सदस्य

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग समेत अन्य आयोगों की भर्तियों में भ्रष्टाचार और अयोग्य सदस्यों की नियुक्ति का मामला प्रतियोगी छात्रों ने फिर उठाना शुरू किया है। छात्रों ने इस बार राष्ट्रपति और मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर उनसे सभी प्रकरणों की जांच कराने की मांग की है।
कहा है कि इस दीपावली पर यदि ऐसा होता है तो हजारों छात्रों के अंधकारमय भविष्य में उजाला हो जाएगा।
प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति की ओर से भेजे गए इस पत्र में कहा गया है कि लोक सेवा आयोग में डा. अनिल यादव के कार्यकाल में जातिवाद, पैसावाद, क्षेत्रवाद के सहारे मनमानी भर्तियां की गईं।
इसके विरोध में जनहित याचिका दाखिल की गई। इन भर्तियों की सीबीआइ जांच कराई जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। पत्र में आयोग के दो सदस्यों की नियुक्ति पर भी सवाल खड़े किए गए हैं। कहा गया है कि तथ्यों की छिपाकर इनकी अनदेखी की गई। 1समिति के मीडिया प्रभारी अवनीश पांडेय की ओर से लिखे इस पत्र में माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की भर्तियों पर भी उंगलियां उठाई गई हैं और कहा गया है कि यहां के सदस्यों की नियुक्ति भी विवादों में रही। इंटर तक के शिक्षकों और प्राचार्यो की नियुक्ति के लिए लिपिक और शिक्षा मित्र रहे लोगों को सदस्य बनाया गया। यह चयन बोर्ड का खुला मजाक उड़ाया जाना है। 1उच्च शिक्षा सेवा चयन आयोग में सदस्यों की नियुक्तियां अवैध ठहराई जा चुकी हैं लेकिन वहां कोरम के अभाव में काम ठप पड़ा है। आयोग के सचिव पद पर शासन ने संजय सिंह की नियुक्ति की थी जो मात्र प्रवक्ता है जबकि यह पद आइएएस कैडर का है। संजय सिंह को आयोग से हटाया गया है लेकिन अब भी उनका हस्तक्षेप बना हुआ है। इसी प्रकार अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की भर्तियां भी विवादों से घिरी हुई हैं।

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