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कटु सत्य : ये रिव्यु और क्यूरेटिव पिटीशन कई और नेताओं को करोडपति बना देंगे लेकिन बेरोजगारो को कुछ नही हासिल होगा

उत्तर प्रदेश की बेसिक शिक्षक भर्ती में एक सुप्रीम कोर्ट के बचकाने आदेश से जहाँ मेरिट की लड़ाई को याची में बदल गया। मात्र 72825 के विज्ञापन की लड़ाई में 60000 याची नौकरी मांगने गए ।
तदर्थ 839 नियुक्ति धारकों ने अपनी नौकरी बचाने के लिए उत्तर प्रदेश के बेरोजगारों को मूर्ख बनाकर उन्हें यह बताया कि हमारे आधार पर आपको भी नौकरी मिलेगी। लेकिन लड़ाई हमेशा लॉ और मुकदमे की मेरिट पर होती है विज्ञापन मात्र 72825 का था लड़ाई मात्रा 15वे संसोधन व 12वे संसोधन की थी लेकिन मुकदमा मेरिट पर न लड़कर गलत दिशा में लड़ा गया जिसका हश्र यह हुआ कि सम्पूर्ण समायोजन तो हुआ नही बल्कि 72825 में विग्यपित 6000 पदों की और हत्या हो गयी । आज जिन्होंने बेरोजगारों को समायोजन और शिक्षा मित्रों की सीट पर नौकरी दिलवाने के लिए करोड़ों बैंक बैलेंस बनाकर लंबी सेडान कारे खरीदी गई और बेरोजगारों का चीरहरण करने वाले कहा गये। कल अल्लाहाबाद में आजाद पार्क में था तो देखा फिर से दुकाने सज चुकी हैं रेट 500 रुपये से लेकर 5000 तक था रिव्यु में नाम डलवाने को। उत्तर प्रदेश की शिक्षक भर्ती में नौकरी तो किसी को न मिली लेकिन स्टार प्रचारक नेता से लेकर गली छुटभैये नेता भी लखपति हो गए। कोई डायरेक्ट सुप्रीम कोर्ट में 839 को आर्टिकल 14 पर चैलेंज कर रहा है कोई मॉडिफिकेशन डाल रहा है कोई क्लेरिफिकेशन डाल रहा है लेकिन फायदा कुछ नही मिलेगा इस लडाई की सत्यानाशी इन दो टके ia और कोर्ट में वकीलो की भीड़ ने मार दी। जब थोक के भाव रिव्यु फ़ाइल होंगे तो उनका भी हश्र यही होगा जैसा इस भर्ती का आदेश आता है। 7 दिसंबर के आदेश पर जितने नेताओं ने रिट या ia फ़ाइल की थी उनसे जरा 12th अमेंडमेंट क्या था और 15 अमेंडमेंट क्या था ncte की गुइडेलिने कितनी बार अममेंड हुई है ये अगर बता पाए तो बेहतर होगा। रिव्यु petetion सभी की खारिज होगी क्योंकि जब 500 कागजों के कूड़े में एक सही कागज भी बर्बाद हो जाता है वही हाल होगा। इसमें नुकसान उसका होगा जो genuine मुकदमा लड़ने वाला होगा। जैसे 1000 गधों की भीड़ में एक प्रतिभाशाली व्यक्ति की पहचान भी गधे की श्रेणी में आ जाती है। रिव्यू खारिज होने के बाद बेरोजगार फिर से क्यूरेटिव पेटेशन के नाम पर शोषित होगा और फिर सब खत्म। लोग शिक्षा मित्रों सरकार को अपना दुश्मन समझती है लेकिन हमारे सबसे बड़े दुश्मन हमारे ही आस्तीन के साँप ये मित्र है जो हमारे साथ रहकर ही हमारा शोषण कर रहे हैं। ये हमारे बीएड मित्र ही चंद पैसो के लिए जो पार्को में चादर बिछा कर भीख मांग रहे है यही हमारी जड़ें काट रहे हैं। अगर कोर्ट में भीड़ और गलत लड़ाई लड़ने वाले 2 takiya वकील जा होते तो शायद ये गर्भावस्था वाला आदेश कभी नही आता। इस आदेश की मात्रा वजह ये कुकुरमुत्ते टाइप के नेता और इनकी कोर्ट में बढ़ाई हुई भीड़ थी। अब न तो हिमांशु राणा का समायोजन, न ही दुर्गेश प्रताप की rti और उनकी कलम से, अजय ठाकुर का हरिजन महिला समिति महाकाल, तरह तरह के कार्टून पैदा हुए और बीएड बेरोजगारों को बेवकूफ बनाकर करोडपति हो गया। बेरोजगारों और उनके माता पिता की आंखों में आज भी मास्टर बनने के सपने है और शायद इन कुकुरमुत्तों की वजह से ये सपने सपने ही रह जायंगे। कल आजाद पार्क का वही हाल था वही बैनर वही रजिस्टर जो 7 दिसंबर के आदेश के बाद थे बस टाइटल बदला है पहले समायोजन था अब आर्टिकल 14 और 839 को ढाल बनाया गया है रिव्यु पेटेशन के लिए। आज बेरोजगारों का शोषण और उन्हीं का बलात्कार होते अपनी आंखों से देख रहा था। यदि आर्टिकल14 की पूरी परिभाषा ही इन नेताओं से पूछ लिया जाते तो नही पता है बस समानता का अधिकार जानते हैं। इस कलयुग में अपना खुद अपना शोषण करेगा 7 दिसंबर के आदेश के बाद से लगातार देख रहा हूँ। ये रिव्यु और क्यूरेटिव पिटीशन कई और नेताओं को करोडपति बना देंगे लेकिन बेरोजगारो को कुछ नही हासिल होगा ये कटु सत्य है।
धन्यवाद
आपका शुभेछु
ऋषि श्रीवास्तव
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