लखनऊ सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार ने शिक्षामित्रों को पुनः शिक्षा मित्र के पद पर भेजने का प्रस्ताव तैयार कर लिया है जिसे शीघ्र ही कैबिनेट की मंजूरी के लिए रखा जाएगा इस प्रस्ताव में शिक्षामित्रों को पुनः 1
अगस्त से मूल पदों पर प्रत्यावर्तित माना जाएगा इसके लिए उनका मानदेय प्रति महीने के आधार पर होगा तथा उनकी सेवा शर्तें पूर्ववत ही रहेगी जो शिक्षा मित्रों के लिए थी ध्यातव्य है कि शिक्षा मित्र पिछले 1 महीने से आंदोलन कर रहे है. शिक्षामित्र संगठनों की शिक्षा विभाग से कई दौर की वार्ता में भी हुई परंतु कोई निष्कर्ष नहीं निकला संगठन कानून में संशोधन की मांग कर रहे थे परंतु सरकार इस पर राजी नहीं हुई अब सरकार क़ानूनी राय लेने के बाद शीघ्र ही शासनादेश जारी करने की तैयारी में है.
संगठनों की अब तक की रणनीति हुई असफल
सुप्रीम कोर्ट से समायोजन रद्द होने के बाद संगठन संघर्ष की स्थिति मे थे परंतु सरकार ने अपनी सूझबूझ से इस पर काबू कर लिया माना जा रहा है कि शिक्षा मित्रों को भविष्य में नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा क्योंकि कानून के लागू होने के बाद शिक्षा विभाग में संविदा पर कार्य नहीं कर सकेंगे इसके लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों को कानून में संशोधन करना पड़ेगा परंतु सरकार ऐसा करना नहीं जा रही है इससे अन्य संविदा कर्मचारियों में असंतोष की भावना फैल सकती है.
अभी शिक्षामित्र संगठनों को अपने-अपने वकीलों से क़ानूनी राय लाने को कहा है, जिससे को स्थायी समाधान निकाल कर स्थायी व्यवस्था हेतु शासनादेश जारी किया जा सके. 20 तारीख तक हो सकता है कोई निर्णय निकल सके.
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सुप्रीम कोर्ट से समायोजन रद्द होने के बाद संगठन संघर्ष की स्थिति मे थे परंतु सरकार ने अपनी सूझबूझ से इस पर काबू कर लिया माना जा रहा है कि शिक्षा मित्रों को भविष्य में नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा क्योंकि कानून के लागू होने के बाद शिक्षा विभाग में संविदा पर कार्य नहीं कर सकेंगे इसके लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों को कानून में संशोधन करना पड़ेगा परंतु सरकार ऐसा करना नहीं जा रही है इससे अन्य संविदा कर्मचारियों में असंतोष की भावना फैल सकती है.
अभी शिक्षामित्र संगठनों को अपने-अपने वकीलों से क़ानूनी राय लाने को कहा है, जिससे को स्थायी समाधान निकाल कर स्थायी व्यवस्था हेतु शासनादेश जारी किया जा सके. 20 तारीख तक हो सकता है कोई निर्णय निकल सके.
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