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शिक्षामित्र प्रकरण: क्यों हुआ सुप्रीम कोर्ट से समायोजन निरस्त

शाहजहांपुर- सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में शिक्षामित्र समायोजन मात्र टेट के कारण निरस्त नही हुआ है लोगो को लगता है टेट पास कर सभी अध्यापक बन जायेगे अगर टेट मानक होता तब बीस हजार टेट पास का समायोजन निरस्त नही होता है। समायोजन रद्द होने के जो प्रमुख कारण है वो इस प्रकार है।

1-संविधान के आर्टिकल 14 व 16 अवसर की समानता का उल्लंघन
2– ग्यारह माह का कॉन्ट्रैक्ट, व सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक पीठ के द्वारा उमा देवी केस का निर्णय
3– शिक्षामित्र समायोजन के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा का न होना
4- सभी इंटर योग्यता पर माने जाना और सभी का स्नातक 23 अगस्त 2010 से पहले करने की बात राज्य सरकार द्वारा कहना 5- राज्य सरकार द्वारा सभी को बेसिक योजना के अंतर्गत पैराटीचर के पद पर रखे जाना बताना और अप्रशिक्षित अध्यापक 3 सितम्बर 2001 के अंतर्गत नगरीय /ग्रामीण क्षेत्र में रखे जाने बाले go का जिक्र न करना
यदि सरकार अप्रशिक्षित अध्यापको के सहायक अध्यापक के पद को बचाने के लिए कोई प्रयास करती है। तो हजारों का सहायक अध्यापक पद बरकरार रखा जा सकता है। लेकिन सरकार कुछ करना नही चहाती है। क्योंकि अप्रशिक्षित के लिए कोई संघर्ष नही कर रहा संघर्ष शिक्षामित्रो के लिए सभी कर रहे है। पुरे उत्तर प्रदेश में केवल हम अप्रशिक्षित के लिए लड़ रहे है यदि शिक्षामित्र पद की बात करे तो जब तक दो भर्ती का आयोजन राज्य सरकार नही कर लेती है तभी तक सभी शिक्षामित्र पद रह सकता है उसके बाद शेष बचे लोगो को पैराटीचर य संविदा शिक्षक का नया पदनाम मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार शिक्षामित्र जो टेट पास है उन्हे भी मात्र दो भर्तियो मे आवेदन का मौका मिलेगा, उसके बाद नही भले ही आप टेट पास हो जाए सरकार के उपर कोर्ट ने कोई बाध्यता नही रखी है सरकार 68500-68500 की दो भर्तिया निकाल रही है। पहली भर्ती का रास्ता लगभग साफ हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय राज्यसरकार के लिए है बेसिक शिक्षा विभाग को किसी प्रकार से कोर्ट अपने आदेश बाध्यकारी नही किया है किन्तु सरकार को पूर्ण स्वतंत्रता देता है राज्य सरकार 2019 तक ही कुछ कर सकती है। उस के बाद बढ़ी हुई छूट भी समाप्त हो जायेगी एक चरण 31मार्च 2015 को पूरा हो चुका है अब 31 मार्च 2019 तक दूसरा चरण छूट का चलेगा। ऐसी विषम परिस्तिथि मे सहायक अध्यापक बन पाने का मात्र एक ही रास्ता है की NCTE की गाइड लाइन के आधार पर स्नातक योग्यता पर रखे गए अप्रशिक्षित अध्यापक को प्रशिक्षित अध्यापक का दर्जा और प्रशिक्षित वेतनमान दिया जा सकता है। इन पर सुप्रीमकोर्ट का आदेश लागू नही किया जा सकता है। अप्रशिक्षित अध्यापक केवल 3 सितम्वर 2001 भारत सरकार के आदेश पर रखे जाने का प्राविधान था। इन्हे सहायक अध्यापक बनाये रख सकता है इनका समायोजन भी रद्द नही हुआ है लेकिन सरकार के वकील शिक्षामित्र के नाम का लाभ उठा कर सभी पर 25 जुलाई 2017 के आदेश लागू कराने के लिए कोर्ट में जाते है। शिक्षामित्र जो नही है उन्हें भी शिक्षामित्र पूर्व सरकारो ने घोषित किया वही परम्परा आज भी चल रही है। जिन को TET से छूट मिली है और जो सर्व शिक्षा अभियान के अध्यापक भारत सरकार के नियम अनुसार बन चुके है उनके वेतन को भी MHRD जारी करता है। राजनैतिक लाभ लेने के लिए उन्हें भी समायोजन का हिस्सा बना दिया गया था। क्या किसी ने इस बात पर गौर किया शिक्षामित्र से समायोजित शिक्षक के नाम पर कभी MHRD ने इनका वेतन जारी किया है नही जारी किया है MHRD में शिक्षामित्र नाम से कोई बजट जारी नही किया जाता है 1 अप्रैल 2015 के सर्व शिक्षा अभियान अध्यापक के जो पद है उन पदों की कुल सख्या और कुल नियुक्ति आज तक राज्य सरकार ने नही बताई इन पदों को सार्वजनिक क्यों नही किया गया। जब अप्रशिक्षित अध्यापक सेवारत दूरस्थ बीटीसी करे है तो उन्हें समायोजन/ नियुक्ति पत्र क्यों दिए गये। जब वह सेवारत अप्रशिक्षित अध्यापक थे तो प्रशिक्षित होने पर स्वतः अध्यापक बन गए थे। टेट के बगैर कोई सहायक अध्यापक Rte act के पश्चात नही बन सकता है लेकिन यह नई भर्ती पर लागू होता है। जिसका उदाहरण उत्तराखंड,उत्तर प्रदेश, त्रिपुरा राजस्थान हरियाणा, झारखंड आदि प्रदेशो के हाईकोर्ट के निर्णय है। टेट की छूट 3 सितम्वर 2001 के अंतर्गत रखे लोगो के लिए 1 से 5 के लिए मिलती है। 1 से 8 के लिए नही हम अकेले इस विषय को लेकर चले थे। आज बहुत से सहयोगी बन चुके है।
– देवेन्द्र प्रताप सिंह कुशवाहा

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