उत्तर प्रदेश के लाखों बीएड पास अभ्यर्थियों के लिए खुशी की खबर आई
है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) के फैसले के बाद से उत्तर
प्रदेश के लाखों बीएड पास अभ्यर्थियों में जश्न का माहौल है। अब बीएड
डिग्रीधारक भी प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक बन सकेंगे।
NCTE ने इसके लिए अधिसूचना में संशोधन कर अध्यापक बनने की अर्हता में बीएड को भी शामिल कर दिया है। बता दें कि यूपी में बीएड की करीब 2 लाख सीटे हैं।
NCTE की संशोधित अधिसूचना के अनुसार, बीएड डिग्रीधारी भी प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ा सकेंगे। उसके लिए ग्रेजुएशन में 50% अंक होना जरूरी होगा। ऐसे अभ्यर्थियों को प्राथमिक शिक्षक नियुक्त होने के भीतर 6 महीने का ब्रिज कोर्स पास करना होगा।
साल 2010 में जारी अधिसूचना में संशोधन करते हुए एनसीटीई ने अध्यापक बनने की अर्हता में बीएड को भी शामिल कर दिया है। प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक बनने के लिए बीएड के साथ-साथ टीईटी को भी अर्हता में शामिल किया गया है। इस फैसले ने लाखों बीएड पास अभ्यर्थियों के लिए आगे प्रस्तावित भर्तियों में शामिज होने का रास्ता खोल दिया है।
लखनऊ के एक बीएड डिग्रीधारी युवा का कहना है कि ये हमारे लिए खुशी का मौका है। अब हमें प्राथमिक विद्यालयों में होने वाली भर्तियों में भी आवेदन करने का मौका मिल सकेगा।
डेढ़ साल पहले लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने बताया था कि देश के सरकारी प्राइमरी स्कूलों में 9 लाख 7 हजार 585 शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं। इनमें आधी हिस्सेदारी सिर्फ चार राज्यों बिहार, यूपी, मध्यप्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल की है।
गौरतलब है कि करीब तीन साल पहले एनसीटीई ने प्राथमिक विद्यालयों में भर्ती के लिए अर्हता दो वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम तक सीमित कर दिया था और बीएड डिग्रीधारी को उच्च प्राथमिक विद्यालयों तक सीमित कर दिया था।
NCTE ने इसके लिए अधिसूचना में संशोधन कर अध्यापक बनने की अर्हता में बीएड को भी शामिल कर दिया है। बता दें कि यूपी में बीएड की करीब 2 लाख सीटे हैं।
NCTE की संशोधित अधिसूचना के अनुसार, बीएड डिग्रीधारी भी प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ा सकेंगे। उसके लिए ग्रेजुएशन में 50% अंक होना जरूरी होगा। ऐसे अभ्यर्थियों को प्राथमिक शिक्षक नियुक्त होने के भीतर 6 महीने का ब्रिज कोर्स पास करना होगा।
साल 2010 में जारी अधिसूचना में संशोधन करते हुए एनसीटीई ने अध्यापक बनने की अर्हता में बीएड को भी शामिल कर दिया है। प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक बनने के लिए बीएड के साथ-साथ टीईटी को भी अर्हता में शामिल किया गया है। इस फैसले ने लाखों बीएड पास अभ्यर्थियों के लिए आगे प्रस्तावित भर्तियों में शामिज होने का रास्ता खोल दिया है।
लखनऊ के एक बीएड डिग्रीधारी युवा का कहना है कि ये हमारे लिए खुशी का मौका है। अब हमें प्राथमिक विद्यालयों में होने वाली भर्तियों में भी आवेदन करने का मौका मिल सकेगा।
डेढ़ साल पहले लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने बताया था कि देश के सरकारी प्राइमरी स्कूलों में 9 लाख 7 हजार 585 शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं। इनमें आधी हिस्सेदारी सिर्फ चार राज्यों बिहार, यूपी, मध्यप्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल की है।
गौरतलब है कि करीब तीन साल पहले एनसीटीई ने प्राथमिक विद्यालयों में भर्ती के लिए अर्हता दो वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम तक सीमित कर दिया था और बीएड डिग्रीधारी को उच्च प्राथमिक विद्यालयों तक सीमित कर दिया था।