अंतर जिला तबादला: 2012, 2013 व 2016 में स्थानांतरित शिक्षकों का भी तबादला, कुछ के नियमों को ताक में रखकर हुए ट्रान्सफर

इलाहाबाद : परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों के अंतर जिला तबादलों में उन शिक्षकों को भी पसंदीदा जिलों में तैनाती मिली है, जो पिछले वर्षो में ही स्थानांतरित हुए। वहीं बड़ी संख्या में अर्ह शिक्षक तबादला होने की राह देखते रह गए। सबसे अधिक पीड़ा दिव्यांग शिक्षकों में हैं, जिन्हें वरीयता देने के स्पष्ट निर्देश थे, फिर भी गिने-चुने को ही स्थानांतरण का लाभ मिला है।

बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में तैनात शिक्षकों के अंतर जिला तबादलों में अफसरों ने नियमों और ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत पारदर्शिता का जमकर ढोल पीटा। लेकिन, अधिकांश तबादले नियमों को तोड़कर हुए हैं। शासन ने पहले यह प्रक्रिया शुरू करने में काफी देर की और बाद में उसे पूरा करने में भी लंबा समय गंवाया। प्रदेश के विभिन्न जिलों में बड़ी संख्या में पद खाली थे, ऐसे में आवेदन करने वाले शिक्षकों को उम्मीद थी कि उन्हें अपने घर या फिर पसंद के जिले में जाने का मौका मिलेगा। 13 जून को जारी तबादला आदेश में सभी की उम्मीदें टूट गईं, क्योंकि आवेदन से महज एक तिहाई को ही तबादले का लाभ मिल सका। यही नहीं 13 जून 2017 को जारी शासनादेश के बिंदु तीन में स्पष्ट प्रावधान था कि ऐसे शिक्षकों का अंतर जिला तबादला नहीं होगा, जिन्हें पिछले वर्षो में स्थानांतरण का लाभ मिल चुका है। इसकी बड़ी वजह यह रही कि एक बार तबादला पाने के बाद उनकी वरिष्ठता नए सिरे से शुरू हुई थी। इसके बाद भी बड़ी संख्या में वह शिक्षक अंतर जिला तबादले का लाभ पाने में सफल रहे हैं, जो 2012, 2013 और 2016 में स्थानांतरित हुए थे। इसीलिए शिक्षक यह आरोप लगा रहे हैं कि गुणवत्ता अंक देने में अफसरों ने मनमानी की है, क्योंकि स्थानांतरण का लाभ पा चुके शिक्षकों के गुणवत्ता अंक अधिक होने का सवाल ही नहीं था। यही नहीं प्रदेश के खास जिलों में बड़ी संख्या में शिक्षकों का तबादला हुआ है, इस पर भी सवाल खड़े हुए हैं। ऐसे शिक्षकों की पूरी सूची बेसिक शिक्षा परिषद सचिव कार्यालय को सौंपी गई है। साथ ही जांच की मांग की जा रही है। वहीं, दिव्यांग शिक्षकों का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले दिनों दर्जनों शिक्षकों ने परिषद सचिव के कार्यालय के सामने प्रदर्शन करके तबादलों की जांच की मांग की। उनका कहना था कि शासनादेश में उन्हें वरीयता देने के निर्देश थे, फिर भी अधिकांश को लाभ नहीं मिला है। कई शिक्षक ऐसे थे, जो चलने में सक्षम नहीं थे। वहीं बेसिक शिक्षा परिषद ने अंतर जिला तबादलों में शिक्षकों की ओर से मिल रही लगातार शिकायतों को देखते हुए अब आपत्तियां मांगी हैं।