नई दिल्ली. यूपी सरकार ने 69000 शिक्षकों की भर्ती के
मामले में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. यूपी सरकार की तरफ से सुप्रीम
कोर्ट में एक कैविएट दाखिल की गई है. उसमें कहा गया है कि इलाहाबाद
हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट बिना उसका पक्ष सुने कोई आदेश जारी
नहीं करे. जानकारी के लिए बता दें कि इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की
लखनऊ पीठ ने अपना फैसला सुनाया था.
उसके बाद यूपी में बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में सहायक शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ हो गया है. उत्तर प्रदेश में शिक्षकों की बड़े पैमाने पर होने वाली भर्ती लटकी हुई थी. इसका कारण कटऑफ मार्क्स से संबंधित विवाद था. इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार के कटऑफ बढ़ाने के फैसले को सही बताया था. इसके अलावा इस भर्ती प्रक्रिया को तीन महीने के अंदर पूरा करने का आदेश दिया है.
सीएम ने दिया था ये निर्देश
इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच द्वारा 69 हजार शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ होने के बाद गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक हफ्ते में प्रक्रिया पूरी कर नियुक्ति पत्र जारी करने का निर्देश दिया था. मुख्यमंत्री ने कहा था कि 65-60 फीसदी कट ऑफ मार्क्स के साथ रिजल्ट घोषित कर सफल अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी कर दिया जाएगा. बता दें कि बुधवार को न्यायमूर्ति पीके जायसवाल और न्यायमूर्ति केएस पवार की पीठ ने सरकार द्वारा तय किए गए कट ऑफ मार्क्स के अनुसार रिजल्ट जारी करते हुए तीन महीने में नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया था.
क्या था पूरा मामला
दरअसल, भर्ती विज्ञापन में कहा गया था कि अभ्यर्थियों को न्यूनतम कट ऑफ अंक अर्जित करना होगा. हालांकि उस वक्त यह नहीं बताया गया था कि यह कट-ऑफ अंक कितना होगा. शासनादेश में इसका जिक्र नहीं किया गया था. बाद में शासन द्वारा कट-ऑफ अंक की घोषणा की गई. जिसके तहत सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए 150 में से 97 (65 फीसदी) और आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए 150 में 90 अंक (60 फीसदी) लाने की बात कही गई. इसी कट ऑफ को लेकर परीक्षार्थियों ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दायर की थी. जिसकी सुनवाई के बाद 3 मार्च 2020 को फैसला सुरक्षित रख लिया गया था.
उसके बाद यूपी में बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में सहायक शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ हो गया है. उत्तर प्रदेश में शिक्षकों की बड़े पैमाने पर होने वाली भर्ती लटकी हुई थी. इसका कारण कटऑफ मार्क्स से संबंधित विवाद था. इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार के कटऑफ बढ़ाने के फैसले को सही बताया था. इसके अलावा इस भर्ती प्रक्रिया को तीन महीने के अंदर पूरा करने का आदेश दिया है.
सीएम ने दिया था ये निर्देश
इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच द्वारा 69 हजार शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ होने के बाद गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक हफ्ते में प्रक्रिया पूरी कर नियुक्ति पत्र जारी करने का निर्देश दिया था. मुख्यमंत्री ने कहा था कि 65-60 फीसदी कट ऑफ मार्क्स के साथ रिजल्ट घोषित कर सफल अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी कर दिया जाएगा. बता दें कि बुधवार को न्यायमूर्ति पीके जायसवाल और न्यायमूर्ति केएस पवार की पीठ ने सरकार द्वारा तय किए गए कट ऑफ मार्क्स के अनुसार रिजल्ट जारी करते हुए तीन महीने में नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया था.
क्या था पूरा मामला
दरअसल, भर्ती विज्ञापन में कहा गया था कि अभ्यर्थियों को न्यूनतम कट ऑफ अंक अर्जित करना होगा. हालांकि उस वक्त यह नहीं बताया गया था कि यह कट-ऑफ अंक कितना होगा. शासनादेश में इसका जिक्र नहीं किया गया था. बाद में शासन द्वारा कट-ऑफ अंक की घोषणा की गई. जिसके तहत सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए 150 में से 97 (65 फीसदी) और आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए 150 में 90 अंक (60 फीसदी) लाने की बात कही गई. इसी कट ऑफ को लेकर परीक्षार्थियों ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दायर की थी. जिसकी सुनवाई के बाद 3 मार्च 2020 को फैसला सुरक्षित रख लिया गया था.