प्रशिक्षितों का तिरस्कार, पिछले द्वार से आए को पुरस्कार
कानपुर, जागरण संवाददाता: व्यवस्था चाहे केंद्र ने दी हो प्रदेश सरकार ने। नियम चाहे शिक्षा अधिकार अधिनियम के चलते बने हो चाहे किसी और कारण से पर प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक व जूनियर स्कूलों में शिक्षक बनाने का विशिष्ट बीटीसी का रास्ता बंद हो गया है।
उधर संकट निवारण के लिए कुछ समय के लिए पिछले दरवाजे से आए शिक्षामित्रों को स्थायी शिक्षक बनाने का रास्ता साफ कर दिया है। इस पर बीएड डिग्रीधारी व शिक्षाविद् सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि इस व्यवस्था से प्रशिक्षित स्नातकों का तिरस्कार हो रहा है और पीछे के दरवाजे से आए लोगों को पुरस्कार मिल रहा है।
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कानपुर, जागरण संवाददाता: व्यवस्था चाहे केंद्र ने दी हो प्रदेश सरकार ने। नियम चाहे शिक्षा अधिकार अधिनियम के चलते बने हो चाहे किसी और कारण से पर प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक व जूनियर स्कूलों में शिक्षक बनाने का विशिष्ट बीटीसी का रास्ता बंद हो गया है।
उधर संकट निवारण के लिए कुछ समय के लिए पिछले दरवाजे से आए शिक्षामित्रों को स्थायी शिक्षक बनाने का रास्ता साफ कर दिया है। इस पर बीएड डिग्रीधारी व शिक्षाविद् सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि इस व्यवस्था से प्रशिक्षित स्नातकों का तिरस्कार हो रहा है और पीछे के दरवाजे से आए लोगों को पुरस्कार मिल रहा है।
प्रदेश के स्कूलों में
शिक्षकों के खाली पदों पर प्रदेश सरकार ने 1999 में बीएड डिग्रीधारी
स्नातकों को विशेष प्रशिक्षण देकर विशिष्ट बीटीसी शिक्षक के रूप में तैनाती
देना शुरू किया था। इसी बीच इंटर उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को निश्चित मानदेय
पर शिक्षामित्र बना कर स्कूलों में तैनात कर दिया गया। इधर केंद्र ने
स्कूलों में शिक्षक नियुक्ति के लिए अर्हता परीक्षा टीईटी लागू की और
अर्हता प्रशिक्षित स्नातक कर दी तो शिक्षामित्र अर्हता के मानकों से बाहर
होने की स्थिति में आ गए। शासन ने फैसला लिया और उन्हें स्नातक कराने के
बाद 6 माह का प्रशिक्षण देकर स्थायी शिक्षक बनाने का रास्ता साफ कर दिया
है।
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विशिष्ट बीटीसी का सफर
वर्ष : शिक्षकों की नियुक्तियां
1999 : 29,000
2004 : 42,000
2007 : 22,000
2008 : 20,000
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शिक्षा मित्रों की स्थिति :
नियुक्तियों की शुरुआत : 2009 में
पहले चरण में शिक्षक बने : 17,000
दूसरे चरण में शिक्षक बने :58,000
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बीएड की स्थिति :
बीएड बेरोजगार : लगभग 2.5 लाख
बीएड की कुल सीटें : 1.32 लाख
शिक्षकों के खाली पद : 1.10 लाख
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''विशिष्ट बीटीसी का रास्ता बंद होने से अर्ह शिक्षकों की कमी हो रही है। बीएडधारी बेरोजगार घूम रहे हैं और शिक्षामित्रों को स्थायी किया जा रहा है। टीईटी खत्म कर विशिष्ट बीटीसी शुरू होना चाहिए।''
- सर्वेश त्रिवेदी, अध्यक्ष विशिष्ट बीटीसी
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''विशिष्ट बीटीसी का खात्मा व टीईटी लागू होना प्रशिक्षित स्नातकों को उपेक्षा का पात्र बना दिया है। बीएडधारकों के लिए रोजगार के अवसर खोले जाने चाहिए।''
- ब्रजेश सिंह, कोषाध्यक्ष उप्र. स्ववित्तपोषी महाविद्यालय एसोसिएशन
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विशिष्ट बीटीसी का सफर
वर्ष : शिक्षकों की नियुक्तियां
1999 : 29,000
2004 : 42,000
2007 : 22,000
2008 : 20,000
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शिक्षा मित्रों की स्थिति :
नियुक्तियों की शुरुआत : 2009 में
पहले चरण में शिक्षक बने : 17,000
दूसरे चरण में शिक्षक बने :58,000
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बीएड की स्थिति :
बीएड बेरोजगार : लगभग 2.5 लाख
बीएड की कुल सीटें : 1.32 लाख
शिक्षकों के खाली पद : 1.10 लाख
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''विशिष्ट बीटीसी का रास्ता बंद होने से अर्ह शिक्षकों की कमी हो रही है। बीएडधारी बेरोजगार घूम रहे हैं और शिक्षामित्रों को स्थायी किया जा रहा है। टीईटी खत्म कर विशिष्ट बीटीसी शुरू होना चाहिए।''
- सर्वेश त्रिवेदी, अध्यक्ष विशिष्ट बीटीसी
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''विशिष्ट बीटीसी का खात्मा व टीईटी लागू होना प्रशिक्षित स्नातकों को उपेक्षा का पात्र बना दिया है। बीएडधारकों के लिए रोजगार के अवसर खोले जाने चाहिए।''
- ब्रजेश सिंह, कोषाध्यक्ष उप्र. स्ववित्तपोषी महाविद्यालय एसोसिएशन
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