नियमों ने बढ़ाई शिक्षकों की टेंशन : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

नेट और पीएचडी के नियमों ने बढ़ाई शिक्षकों की टेंशन
मेरठ (ब्यूरो)। सिर्फ पीएचडी के आधार पर नौकरी पाने वाले शिक्षकों को टेंशन हो गई है। उन्हें फिर से पढ़ाई में माथापच्ची करनी होगी। कुछ ने तो शुरू भी कर दी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन और पीएचडी के लिए यूजीसी के नए नियमों की भरपाई को शिक्षकों को ऐसा करना पड़ रहा है। कुछ ने इसकी अर्जी भी लगा दी है।
गौरतलब है कि हाल में सुप्रीम कोर्ट ने लेक्चरर की नियुक्ति के लिए नेट (नेशनल इलिजिबिलिटी टेस्ट) पास करना अनिवार्य करने का आदेश सुनाया था।
शिक्षण संस्थानों और आवेदकों में इसका व्यापक असर दिखाई पड़ रहा है। ऐसे बहुत से शिक्षक हैं, जिन्होंने नौकरी पीएचडी के आधार पर पाई थी। वह कई सालों से नौकरी कर रहे हैं, लेकिन आदेश अभी आया है। ऐसे में शिक्षण संस्थान यूजीसी के निर्देश का इंतजार कर रहे हैं। इन शिक्षकों को नेट से छूट दी जा सकती है या फिर नेट पास करने के लिए समय अवधि तय की जा सकती है। अधिकारिक रूप से इसकी घोषणा होनी अभी बाकी है। पीएचडी को लेकर यूजीसी रेग्यूलेशन 2009 ला चुकी है। इस रेग्युलेशन के आधार पर ही पीएचडी को माना जा रहा है। नए रेग्युलेशन में छह महीने का प्रीपीएचडी कोर्स वर्क जरूरी है। शिक्षक इसे करने के लिए आवेदन कर रहे हैं। प्रमोशन में पीएचडी की आवश्यकता है। इसलिए भी कोर्स वर्क करना जरूरी होगा।
कोर्स वर्क को स्टडी लीव :
विवि ने प्रीपीएचडी कोर्स वर्क के लिए विषय के मुताबिक अलग-अलग कॉलेजों को सेंटर बनाया है। छह महीने के कोर्स वर्क में 120 घंटे पढ़ाई होनी है। रिसर्च मेथोडोलॉजी और विषय संबंधी दो पेपर होने हैं। पढ़ाई के बाद दो पेपर होंगे, जो पास करने अनिवार्य हैं। कुछ शिक्षकों ने कोर्स वर्क के लिए आवेदन कर दिया है। कॉलेज में स्टडी लीव के लिए अप्लीकेशन भी लगा दी है। मुख्य परीक्षा होने की वजह से प्रिंसिपल शिक्षकों को रिलीव नहीं कर रहे।

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