प्रदेश के अल्पसंख्यक निजी संस्थानों से निष्कासित किए गए
देनी पड़ेगी दोगुनी फीस छात्रवृत्ति भी नहीं मिलेगी
इलाहाबाद शासन के फरमान से निजी कालेज मालामाल हो गए हैं, लेकिन युवा मझधार में फंस गए हैं। शिक्षक बनने के मुहाने पर खड़े प्रशिक्षुओं को निजी संस्थानों ने निष्कासित करने का आदेश थमा दिया है। जैसे-तैसे बीच सत्र में प्रशिक्षुओं को दूसरे कालेजों में समायोजित करने की तैयारी चल रही है लेकिन इससे उन्हें तगड़ी आर्थिक चपत लगना तय है।
सूबे में 80 निजी अल्पसंख्यक बीटीसी कालेज हैं, जहां पर 2013 सत्र में 25 सीटें डायट (जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान) से और इतनी ही सीटें प्रबंधन कोटे के तहत भरी गई थी। गत मार्च में शासन ने फरमान जारी कर दिया कि निजी अल्पसंख्यक संस्थान सभी सीटें स्वयं से भर सकते हैं। इससे अल्पसंख्यक संस्थानों की मानो लॉटरी निकल आई और उन्होंने डायट से आए बच्चों को बाहर कर उनकी जगह प्रबंधन कोटे से भर लीं। यानी सभी पचास सीटें प्रबंधन कोटे के तहत फुल कर ली गईं। पहले से पढ़ रहे प्रशिक्षुओं को निष्कासन का पत्र थमा दिया गया। मसलन आजमगढ़ में बीटीसी प्रशिक्षण 2013 बैच के लिए युवाओं ने अल्पसंख्यक निजी संस्थान गोल्डक्रेस्ट जूनियर कालेज ऑफ एजूकेशन मनोवा, खनियरा लालगंज, शांती जनसेवा शिक्षक एवं प्रशिक्षण संस्थान अमौड़ा पंदहा, भगवान आदर्श महाविद्यालय बीटीसी संस्थान चक्रपाणिपुर कनैल में काउंसिलिंग के जरिए प्रवेश लिया था। प्रशिक्षण के दो सेमेस्टर भी पूरे किए। तीसरे सेमेस्टर में प्रवेश लिए बिना ही उन्होंने पढ़ाई भी शुरू कर दी थी लेकिन अब अधर में फंस गए हैं। निजी संस्थानों की ओर से प्रशिक्षुओं को सौंपे गए पत्र में साफ लिखा गया है कि वह डायट से संपर्क करके दूसरे कालेजों का रास्ता देखें। प्रशिक्षुओं का कहना है कि इस समय प्रदेश भर में एक भी फ्री सीट नहीं बची है। साल भर पहले हम लोगों ने 22 हजार रुपये वाली सीट पर प्रवेश लिया था अब पेड सीट पर 44 हजार रुपये का भुगतान करना पड़ेगा। गरीब प्रशिक्षुओं के लिए यह किसी आफत से कम नहीं है। ऐसे ही तमाम प्रशिक्षु छात्रवृत्ति लेकर फीस की भरपाई कर लेते रहे हैं, लेकिन उनके निष्कासन से यह लाभ भी नहीं मिल सकेगा। दरअसल छात्रवृत्ति के लिए आवेदन की अंतिम तारीख 31 अगस्त ही है। प्रशिक्षुओं ने सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी उत्तर प्रदेश से गुहार लगाई है, लेकिन वहां से भी कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है।अल्पसंख्यक निजी संस्थानों से प्रशिक्षुओं के निष्कासन के बाद उन्हें अन्य जिलों में समायोजित करने के लिए डायट से कहा गया है। आजमगढ़ व गाजीपुर के अन्य कालेजों में कुछ सीटें रिक्त हैं, उन सीटों पर वर्गवार, श्रेणीवार समायोजित करने को कहा गया है।
-नीना श्रीवास्तव, सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी, उत्तर प्रदेश।
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देनी पड़ेगी दोगुनी फीस छात्रवृत्ति भी नहीं मिलेगी
इलाहाबाद शासन के फरमान से निजी कालेज मालामाल हो गए हैं, लेकिन युवा मझधार में फंस गए हैं। शिक्षक बनने के मुहाने पर खड़े प्रशिक्षुओं को निजी संस्थानों ने निष्कासित करने का आदेश थमा दिया है। जैसे-तैसे बीच सत्र में प्रशिक्षुओं को दूसरे कालेजों में समायोजित करने की तैयारी चल रही है लेकिन इससे उन्हें तगड़ी आर्थिक चपत लगना तय है।
सूबे में 80 निजी अल्पसंख्यक बीटीसी कालेज हैं, जहां पर 2013 सत्र में 25 सीटें डायट (जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान) से और इतनी ही सीटें प्रबंधन कोटे के तहत भरी गई थी। गत मार्च में शासन ने फरमान जारी कर दिया कि निजी अल्पसंख्यक संस्थान सभी सीटें स्वयं से भर सकते हैं। इससे अल्पसंख्यक संस्थानों की मानो लॉटरी निकल आई और उन्होंने डायट से आए बच्चों को बाहर कर उनकी जगह प्रबंधन कोटे से भर लीं। यानी सभी पचास सीटें प्रबंधन कोटे के तहत फुल कर ली गईं। पहले से पढ़ रहे प्रशिक्षुओं को निष्कासन का पत्र थमा दिया गया। मसलन आजमगढ़ में बीटीसी प्रशिक्षण 2013 बैच के लिए युवाओं ने अल्पसंख्यक निजी संस्थान गोल्डक्रेस्ट जूनियर कालेज ऑफ एजूकेशन मनोवा, खनियरा लालगंज, शांती जनसेवा शिक्षक एवं प्रशिक्षण संस्थान अमौड़ा पंदहा, भगवान आदर्श महाविद्यालय बीटीसी संस्थान चक्रपाणिपुर कनैल में काउंसिलिंग के जरिए प्रवेश लिया था। प्रशिक्षण के दो सेमेस्टर भी पूरे किए। तीसरे सेमेस्टर में प्रवेश लिए बिना ही उन्होंने पढ़ाई भी शुरू कर दी थी लेकिन अब अधर में फंस गए हैं। निजी संस्थानों की ओर से प्रशिक्षुओं को सौंपे गए पत्र में साफ लिखा गया है कि वह डायट से संपर्क करके दूसरे कालेजों का रास्ता देखें। प्रशिक्षुओं का कहना है कि इस समय प्रदेश भर में एक भी फ्री सीट नहीं बची है। साल भर पहले हम लोगों ने 22 हजार रुपये वाली सीट पर प्रवेश लिया था अब पेड सीट पर 44 हजार रुपये का भुगतान करना पड़ेगा। गरीब प्रशिक्षुओं के लिए यह किसी आफत से कम नहीं है। ऐसे ही तमाम प्रशिक्षु छात्रवृत्ति लेकर फीस की भरपाई कर लेते रहे हैं, लेकिन उनके निष्कासन से यह लाभ भी नहीं मिल सकेगा। दरअसल छात्रवृत्ति के लिए आवेदन की अंतिम तारीख 31 अगस्त ही है। प्रशिक्षुओं ने सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी उत्तर प्रदेश से गुहार लगाई है, लेकिन वहां से भी कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है।अल्पसंख्यक निजी संस्थानों से प्रशिक्षुओं के निष्कासन के बाद उन्हें अन्य जिलों में समायोजित करने के लिए डायट से कहा गया है। आजमगढ़ व गाजीपुर के अन्य कालेजों में कुछ सीटें रिक्त हैं, उन सीटों पर वर्गवार, श्रेणीवार समायोजित करने को कहा गया है।
-नीना श्रीवास्तव, सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी, उत्तर प्रदेश।
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