फर्जी मार्कशीट रैकेट में शामिल है बाबू
इलाहाबाद : नौकरी के नाम पर दस लाख रुपया हड़पने वाले लिपिक अमरेश की नौकरी पर पहले भी दाग लग चुके हैं। उसकी शिक्षक भर्ती व बीटीसी चयन प्रक्रिया के फर्जीवाड़े में संलिप्तता उजागर हो चुकी है। पिछले साल कौशांबी के मंझनपुर डायट में पड़े छापे में बाबू कई शिक्षा माफिया के साथ फर्जी मार्कशीट के साथ पकड़ा गया था। लिपिक के खिलाफ सदर कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज है। मंझनपुर डायट में तैनात अमरेश चंद्र पांडेय कौशांबी का चर्चित बाबू है। शिक्षक भर्ती व बीटीसी चयन में हुई धांधली में इसका नाम अरसे से उछल रहा था और लगातार शिकायत भी हो रही थी। सितंबर 2014 में सदर कोतवाली पुलिस ने तत्कालीन एएसपी अजीत सिन्हा के निर्देश पर डायट में छापा मारा था। देर रात तक डायट खुला था। डायट के भीतर कई शिक्षा माफिया बाबू के साथ बैठे अभिलेखों से छेड़छाड़ कर रहे थे। पुलिस ने छापा मारकर लिपिक अमरेश के कब्जे से बड़ी संख्या में फर्जी मार्कशीट बरामद की थी। लिपिक के सरकारी आवास से भी फर्जी मार्कशीट व गोपनीय दस्तावेज मिले थे। इनमें फर्जी मार्कशीट पर चयनित शिक्षकों की विश्वविद्यालयों से आई सत्यापन रिपोर्ट भी थी। इस रिपोर्ट को कार्यालय में नहीं जमा किया गया था। इसके अलावा डायट की कई अन्य महत्वपूर्ण पत्रवली भी आवास व सफारी कार से मिली थी। पुलिस ने अमरेश चंद्र पांडेय समेत चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इनमें से तीन लोगों का चालान हो चुका है। इस मामले में फंसे शिक्षा माफिया के तार प्रदेश की कई डायट से जुड़े हैं। इनके द्वारा फर्जी मार्कशीट पर नौकरी पाने वाले दर्जनों शिक्षक बर्खास्त किए जा चुके हैं। इनमें फतेहपुर जनपद में तैनात रहे 26 शिक्षक भी शामिल हैं। सभी शिक्षक कौशांबी के रहने वाले हैं।
डेढ़ लाख के मुचलके पर घूम रहा है बाबू : फर्जी मार्कशीट के साथ पकड़े जाने के बाद अमरेश चंद्र पांडेय के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज होने से शिक्षा विभाग में खलबली मच गई थी। शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों ने अमरेश को बचाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था। तत्कालीन डायट के प्राचार्य नरेंद्र शर्मा अमरेश को छुड़ाने के लिए डेढ़ लाख का मुचलका भरकर अपनी सुपुर्दगी में लिया था।
इलाहाबाद : नौकरी के नाम पर दस लाख रुपया हड़पने वाले लिपिक अमरेश की नौकरी पर पहले भी दाग लग चुके हैं। उसकी शिक्षक भर्ती व बीटीसी चयन प्रक्रिया के फर्जीवाड़े में संलिप्तता उजागर हो चुकी है। पिछले साल कौशांबी के मंझनपुर डायट में पड़े छापे में बाबू कई शिक्षा माफिया के साथ फर्जी मार्कशीट के साथ पकड़ा गया था। लिपिक के खिलाफ सदर कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज है। मंझनपुर डायट में तैनात अमरेश चंद्र पांडेय कौशांबी का चर्चित बाबू है। शिक्षक भर्ती व बीटीसी चयन में हुई धांधली में इसका नाम अरसे से उछल रहा था और लगातार शिकायत भी हो रही थी। सितंबर 2014 में सदर कोतवाली पुलिस ने तत्कालीन एएसपी अजीत सिन्हा के निर्देश पर डायट में छापा मारा था। देर रात तक डायट खुला था। डायट के भीतर कई शिक्षा माफिया बाबू के साथ बैठे अभिलेखों से छेड़छाड़ कर रहे थे। पुलिस ने छापा मारकर लिपिक अमरेश के कब्जे से बड़ी संख्या में फर्जी मार्कशीट बरामद की थी। लिपिक के सरकारी आवास से भी फर्जी मार्कशीट व गोपनीय दस्तावेज मिले थे। इनमें फर्जी मार्कशीट पर चयनित शिक्षकों की विश्वविद्यालयों से आई सत्यापन रिपोर्ट भी थी। इस रिपोर्ट को कार्यालय में नहीं जमा किया गया था। इसके अलावा डायट की कई अन्य महत्वपूर्ण पत्रवली भी आवास व सफारी कार से मिली थी। पुलिस ने अमरेश चंद्र पांडेय समेत चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इनमें से तीन लोगों का चालान हो चुका है। इस मामले में फंसे शिक्षा माफिया के तार प्रदेश की कई डायट से जुड़े हैं। इनके द्वारा फर्जी मार्कशीट पर नौकरी पाने वाले दर्जनों शिक्षक बर्खास्त किए जा चुके हैं। इनमें फतेहपुर जनपद में तैनात रहे 26 शिक्षक भी शामिल हैं। सभी शिक्षक कौशांबी के रहने वाले हैं।
डेढ़ लाख के मुचलके पर घूम रहा है बाबू : फर्जी मार्कशीट के साथ पकड़े जाने के बाद अमरेश चंद्र पांडेय के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज होने से शिक्षा विभाग में खलबली मच गई थी। शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों ने अमरेश को बचाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था। तत्कालीन डायट के प्राचार्य नरेंद्र शर्मा अमरेश को छुड़ाने के लिए डेढ़ लाख का मुचलका भरकर अपनी सुपुर्दगी में लिया था।
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