आगरा । फर्जी मार्क्सशीट घोटाले में डॉ. बीआर अंबेडकर
विश्वविद्यालय के पांच अधिकारियों के बाद अब 225 सहायक अध्यापकों पर एफआईआर
होने जा रही है। एसआईटी ने इनकी सूची तैयार कर ली है। जांच में पाया गया
है कि इन सभी ने बीएड की जाली मार्क्सशीट के दम पर नौकरी हासिल की है।
इनमें अधिकांश आगरा, अलीगढ़, कानपुर और झांसी मंडल में तैनात हैं। इन पर
विभागीय कार्रवाई के लिए बेसिक शिक्षा विभाग को रिपोर्ट भेजी जा रही है।
एसआईटी जांच में साफ हो चुका है कि विश्वविद्यालय से संबद्ध
83 कॉलेजों में 2005 से 2009 तक लगभग 25 हजार छात्रों को बीएड की जाली
मार्क्सशीट बेची गई। फिलहाल एफआईआर अलीगढ़ के दस कॉलेजों में 2005-2006 के
सत्र में 450 छात्रों को जाली मार्क्सशीट देने के मामले में दर्ज कराई गई
है।
इसमें विश्वविद्यालय के तत्कालीन रजिस्ट्रार समेत पांच
अधिकारी नामजद हैं। केस से जुड़े सूत्रों ने बताया कि इस एफआईआर के साथ ही
अगली कार्रवाई की तैयारी की जा चुकी है। इसमें जाली मार्क्सशीट के दम पर
सरकारी नौकरी पाने वाले लोग शामिल हैं। जांच में पाया गया है कि 450 में से
लगभग 225 ने बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक की नौकरी पा ली है।
जाली मार्क्सशीट में बीएड में 70 से 90 फीसदी तक अंक दिए गए। इसलिए इन्हें
नौकरी आसानी से मिल गई। टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (टीईटी) से पहले शैक्षणिक
योग्यता के आधार पर नौकरी मिल जाती थी। सूत्रों ने बताया कि इन सभी सहायक
अध्यापकों के खिलाफ केस दर्ज करने के लिए शासन से अनुमति मांगी जा रही है।
हाईकोर्ट में आज होगी सुनवाई
इस घोटाले में सुनवाई के लिए उच्च न्यायालय में 27 अक्तूबर की तारीख लगी है। केस पहले ही मुख्य न्यायाधीश की अदालत में ट्रांसफर किया जा चुका है।
इस घोटाले में सुनवाई के लिए उच्च न्यायालय में 27 अक्तूबर की तारीख लगी है। केस पहले ही मुख्य न्यायाधीश की अदालत में ट्रांसफर किया जा चुका है।
फर्जी मार्क्सशीट से नौकरी पाई जांच होते ही मुसीबत आई
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