सोशल मीडिआ से मिली जानकारी के अनुसार -
1.
ब्लॉग ने पहले ही चंदा को लेकर आगाह किया था , की अब चंदा देने से कोई
फायदा नहीं और कुछ लोग भय दिखा कर चंदा वसूली कर रहे हैं , इसलिए चंदा देने की किसी को आवश्यकता नहीं । टेट मेरिट 72825 के लिए एक शास्वत सत्य है
और अगर किसी सुनवाई में कुछ नकारात्मक (हमारे अनुसार तो संभव नहीं है ) बात सामने आये तब ही चंदा दें ।
2. शिक्षा मित्रों का केस अलग हो चुका और वह जितना वाइटनर और धांधली का उदहारण देकर यू पी टेट 2011 को निरस्त कराने का सपना देखे रहे थे , और उनके नेता बड़े बड़े बोल बोल रहे थे , वो मामला भी खत्म क्यूंकि केस अलग हो गया । और इनके नाम पर भी भय दिखाने वाले टेट नेताओं को चंदा न दें । शिक्षा मित्र नेताओं के लोकस से यह केस अब बहार हो चुका है , अगर ये मुद्दा रखते भी और अदालत को द्वेस पूर्ण लगता तो फिर उलटे इनको अपना केस सँभालने में मुश्किल होती ।
3. सुप्रीम कोर्ट 105 /97 /90 पर इसलिए टिका हुआ हो सकता है , क्यूंकि यू पी टेट में गलत प्रश्नो पर बोनस मार्क्स दीये गए थे और वह गुणवत्ता की वजह से कट ऑफ़ नीचे गिराने में इसलिए देरी कर रहा है ।
4. टेट वेटेज - हम ब्लॉग पर शुरू से बताते आये हैं की टेट वेटेज भी एक शाश्वत सत्य है , क्यूंकि एन सी टी ई ने 'मे ' या 'केन 'वर्ड का यूज़ नहीं किया बल्कि स्पष्ट रूप से शुड का उपयोग किया है - मतलब भर्ती में टेट वेटेज देना चाहिए
टेट वेटेज मिनिमम से मैक्सिमम तक दिया जा सकता है , क्यूंकि इसकी परिभाषा स्पष्ट नहीं है ।
अब प्रश्न उठता है कि -
टेट 60 /55 % मार्क्स वालों को भर्ती में अवसर देना टेट मार्क्स का ही वेटेज नहीं है क्या ? क्यूंकि टेट मार्क्स के आधार पर ही कैंडिडेट्स शॉर्टलिस्ट हुए और फिर अगले फेस की मेरिट बनी
एन वी एस , के वी एस , डी एस एस एस बी आदि ने भी इसी तरह का मिनिमम वेटेज दिया है , क्या वह गलत है ?
दुसरी बात अलग अलग टेट परीक्षाओं के मार्क्स की तुलना सही है क्या - क्या सी टेट और यू पी टेट 2011 ,यू पी टेट 2013 परीक्षाओं के मार्क्स की तुलना की जा सकती है , और इस कारण से भी मिनिमम वेटेज लिया जाना सही है की नहीं
पुदुचेरी (यू नि यन टेरिटरी ) ने टेट परीक्षा का मिनिमम वेटेज (ऊपर बताये अनुसार ) लेते हुए ही तमिलनाडु टेट , केरला टेट और आंध्रप्रदेश के टेट मार्क्स 60 % आदि लेते हुए भर्ती में पार्टिसिपेट करने को अलाउ किया है
5. शिक्षा मित्र और टेट अचयनित लोग अपना केस अब अलग लड़ेंगे ।
पाठक के वकील नागेश्वर आज गायब रहे , Lekin SK Pathak ne Kaha Uske Vakeel Nageshwar Aaj Court Mein The -> S.k. Pathak >>>> प्यारे साथियों आज की सुनवाई में एक बार फिर सत्यमेव जयते प्रतिध्वनित हुआ । वरिष्ठ अधिवक्ता एल.नागेश्वर राव ने बेहतर तरीके से आपका पक्ष रखा । अगली सुनवाई 7 दिसम्बर को । शेष विस्तार से बाद में . . . . सत्यमेव जयते ! आपका एस.के.पाठक
टी.ई.टी मोर्चा उ.प्र. **********************इलाहबाद हाई कोर्ट ने टेट पास उपलब्ध होने की वजह से भी शिक्षा मित्रों के समायोजन पर आपत्ति की थी - ( See here ->>> C12 Locus of the petitioners
Admittedly, all the petitioners were qualified to apply for and be considered for appointment as Assistant Teachers. Their right of consideration was clearly affected and is in fact eclipsed by the absorption of Shiksha Mitras. It cannot therefore be said that the petitioners lacked locus to maintain the writ petitions.
In other Lines -
The capacity of a candidate claiming to be possessed of the educational and training qualifications has therefore to be screened to treat him to be qualified and then eligible for being appointed as a teacher. This is in tune with the object of 2009 Act to provide good and quality education at the elementary level with the aid of the best teachers
As a consequence, qualified candidates fulfilling the NCTE norms are denied the equality of opportunity to seek appointment as Assistant Teachers.
ताज़ा खबरें - प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
और अगर किसी सुनवाई में कुछ नकारात्मक (हमारे अनुसार तो संभव नहीं है ) बात सामने आये तब ही चंदा दें ।
2. शिक्षा मित्रों का केस अलग हो चुका और वह जितना वाइटनर और धांधली का उदहारण देकर यू पी टेट 2011 को निरस्त कराने का सपना देखे रहे थे , और उनके नेता बड़े बड़े बोल बोल रहे थे , वो मामला भी खत्म क्यूंकि केस अलग हो गया । और इनके नाम पर भी भय दिखाने वाले टेट नेताओं को चंदा न दें । शिक्षा मित्र नेताओं के लोकस से यह केस अब बहार हो चुका है , अगर ये मुद्दा रखते भी और अदालत को द्वेस पूर्ण लगता तो फिर उलटे इनको अपना केस सँभालने में मुश्किल होती ।
3. सुप्रीम कोर्ट 105 /97 /90 पर इसलिए टिका हुआ हो सकता है , क्यूंकि यू पी टेट में गलत प्रश्नो पर बोनस मार्क्स दीये गए थे और वह गुणवत्ता की वजह से कट ऑफ़ नीचे गिराने में इसलिए देरी कर रहा है ।
4. टेट वेटेज - हम ब्लॉग पर शुरू से बताते आये हैं की टेट वेटेज भी एक शाश्वत सत्य है , क्यूंकि एन सी टी ई ने 'मे ' या 'केन 'वर्ड का यूज़ नहीं किया बल्कि स्पष्ट रूप से शुड का उपयोग किया है - मतलब भर्ती में टेट वेटेज देना चाहिए
टेट वेटेज मिनिमम से मैक्सिमम तक दिया जा सकता है , क्यूंकि इसकी परिभाषा स्पष्ट नहीं है ।
अब प्रश्न उठता है कि -
टेट 60 /55 % मार्क्स वालों को भर्ती में अवसर देना टेट मार्क्स का ही वेटेज नहीं है क्या ? क्यूंकि टेट मार्क्स के आधार पर ही कैंडिडेट्स शॉर्टलिस्ट हुए और फिर अगले फेस की मेरिट बनी
एन वी एस , के वी एस , डी एस एस एस बी आदि ने भी इसी तरह का मिनिमम वेटेज दिया है , क्या वह गलत है ?
दुसरी बात अलग अलग टेट परीक्षाओं के मार्क्स की तुलना सही है क्या - क्या सी टेट और यू पी टेट 2011 ,यू पी टेट 2013 परीक्षाओं के मार्क्स की तुलना की जा सकती है , और इस कारण से भी मिनिमम वेटेज लिया जाना सही है की नहीं
पुदुचेरी (यू नि यन टेरिटरी ) ने टेट परीक्षा का मिनिमम वेटेज (ऊपर बताये अनुसार ) लेते हुए ही तमिलनाडु टेट , केरला टेट और आंध्रप्रदेश के टेट मार्क्स 60 % आदि लेते हुए भर्ती में पार्टिसिपेट करने को अलाउ किया है
5. शिक्षा मित्र और टेट अचयनित लोग अपना केस अब अलग लड़ेंगे ।
पाठक के वकील नागेश्वर आज गायब रहे , Lekin SK Pathak ne Kaha Uske Vakeel Nageshwar Aaj Court Mein The -> S.k. Pathak >>>> प्यारे साथियों आज की सुनवाई में एक बार फिर सत्यमेव जयते प्रतिध्वनित हुआ । वरिष्ठ अधिवक्ता एल.नागेश्वर राव ने बेहतर तरीके से आपका पक्ष रखा । अगली सुनवाई 7 दिसम्बर को । शेष विस्तार से बाद में . . . . सत्यमेव जयते ! आपका एस.के.पाठक
टी.ई.टी मोर्चा उ.प्र. **********************इलाहबाद हाई कोर्ट ने टेट पास उपलब्ध होने की वजह से भी शिक्षा मित्रों के समायोजन पर आपत्ति की थी - ( See here ->>> C12 Locus of the petitioners
Admittedly, all the petitioners were qualified to apply for and be considered for appointment as Assistant Teachers. Their right of consideration was clearly affected and is in fact eclipsed by the absorption of Shiksha Mitras. It cannot therefore be said that the petitioners lacked locus to maintain the writ petitions.
In other Lines -
The capacity of a candidate claiming to be possessed of the educational and training qualifications has therefore to be screened to treat him to be qualified and then eligible for being appointed as a teacher. This is in tune with the object of 2009 Act to provide good and quality education at the elementary level with the aid of the best teachers
As a consequence, qualified candidates fulfilling the NCTE norms are denied the equality of opportunity to seek appointment as Assistant Teachers.
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