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कोर्ट के अधीन नियुक्तियां : बेसिक शिक्षा की चार साल में हुई हर नियुक्ति की यही कहानी

ALLAHABAD: सूबे के साढ़े 14 हजार परिवारों में मंगलवार को खुशी की बारिश हुई। इन परिवार के एक सदस्य के हाथ में बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालय में सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति का लेटर था। सिर्फ इलाहाबाद के साढ़े चार सौ परिवार इससे वंचित रह गए क्योंकि बीएसए ऑफिस के एक बाबू के खेल ने परिषद के किए धराए पर पानी फेर दिया।
इनके घर खुशियां 30 जून को पहुंचेंगी। सभी को दो जुलाई को स्कूल खुलने पर ज्वाइन करना है। यहां तक तो सब कुछ वेल एंड गुड रहा। लेकिन, यहां भी एक लेकिन लग गया। नियुक्ति को हाईकोर्ट में चुनौती दिए जाने को देखते हुए एक बार फिर नियुक्ति पत्र पर लिखकर मिला है कि यह कोर्ट के निर्णय के अधीन होगी।

1। 72825 शिक्षक भर्ती
सूबे के परिषदीय स्कूलों में सहायक अध्यापकों के 72825 पदों पर नियुक्ति के लिए 30 नवम्बर 2011 को शासनादेश जारी हुआ था। इन पदों पर भर्ती के लिए साल 2011 में पहली बार शिक्षक पात्रता परीक्षा का आयोजन किया गया। यह वेकेंसी शुरू से ही विवादों में घिरी थी। उस समय लाखों की संख्या में अभ्यर्थियों ने आवेदन किया, लेकिन परीक्षा के बाद से ही टीईटी को लेकर विवाद शुरू हो गया। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में लंबे चले केस के बाद चयनित अभ्यर्थियों के काउंसलिंग की प्रक्रिया पूरी की गई। उसके बाद उन्हें छह माह का प्रशिक्षक देकर परीक्षा करायी गई। और 9 नवम्बर 2015 को नियुक्ति पत्र दिए गए। नियुक्ति पत्र में साफ लिखा गया कि हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में दायर विभिन्न याचिकाओं पर कोर्ट के आखिरी फैसले पर ये नियुक्ति निर्भर रहेगी। यह मामला अब भी कोर्ट में पेंडिंग है और इस तमाम अभ्यर्थी अभी भी नियुक्ति पत्र पाने से वंचित हैं.

2। उच्च शिक्षा में 29334 शिक्षक भर्ती
उच्च प्राथमिक स्कूलों में टीचर्स की भर्ती के लिए 29334 शिक्षकों की सीधी भर्ती पहली बार सूबे में आयोजित की गई। साइंस व मैथ्स टीचर्स के लिए आयोजित हुई इस भर्ती प्रक्रिया में शुरू से ही विवाद रहा। 11 जुलाई 2013 को भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया। इसके पहले जूनियर के पद प्रमोशन से भरे जाते थे। जिसको लेकर प्रमोशन की मांग कर रहे प्राथमिक स्कूलों के शिक्षकों ने विवाद शुरू कर दिया। इसके बाद प्रोफेशनल कोर्स के अभ्यर्थियों ने भी इस वैकेंसी के लिए अप्लाई किया। जिसे शासन ने अर्ह नहीं माना। कोर्ट के आदेश के बाद प्रोफेशनल कोर्स बीटेक, बी फार्मा के अभ्यर्थियों को भी इसमें शामिल किया गया। इसके बाद भर्ती के दौरान एकेडमिक मेरिट और टीईटी की मेरिट को लेकर विवाद शुरू हो गया। बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों की मांग थी कि टीईटी मेरिट के आधार पर भर्ती हो, जबकि सरकार एकेडमिक मेरिट पर भर्ती कराना चाह रही थी। जिसको लेकर भी कोर्ट तक मामला पहुंचा। फाइनली इस भर्ती में भी अभ्यर्थियों को लिखकर मिला कि नियुक्ति कोर्ट में लंबित याचिकाओं पर फैसले के अधीन होगी.

3। 15000 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया
सूबे में 2011 व उसके पहले बीटीसी कर चुके अभ्यर्थियों की भर्ती के लिए शासन की ओर से 15000 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया की शुरू 12 नवम्बर 2011 में शुरू हुई। जिसके बाद बीएलएड व डीएड के अभ्यर्थियों ने भी इस भर्ती प्रक्रिया में शामिल होने की मांग की। सरकार की ओर से मना करने पर बीएलएड व डीएड अभ्यर्थी कोर्ट चले गए। जहां कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए उन्हें शामिल करने का आदेश दिया। इसके बाद 2012 के बीटीसी अभ्यर्थियों ने भी इस प्रक्रिया में उन्हें शामिल करने की मांग की। जिसको लेकर कोर्ट में लंबे विवाद के बाद भर्ती प्रक्रिया को पूरा करने के लिए शासन ने आदेश जारी किया। इसके नियुक्ति पत्र का वितरण आज से शुरू हो गया। यहां भी लिखकर दिया गया है कि नियुक्ति कोर्ट के फैसले के अधीन होगी.

4। शिक्षामित्रों का समायोजन

सालों से प्राथमिक स्कूलों में शिक्षण कार्य में लगे शिक्षामित्रों के समायोजन को लेकर भी सूबे में जमकर विवाद हुआ। शिक्षामित्रों के समायोजन को लेकर मामला उस समय तूल पकड़ा, जब एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित करने के लिए अर्ह मानने से इंकार कर दिया। उसके बाद शिक्षामित्रों का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। जहां अभी मामला लंबित है। जुलाई में इस पर फाइनल सुनवाई होनी है। प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के पद पर तैनात हो चुके करीब सवा लाख टीचर्स की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर है।
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