वाराणसी: केन्द्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री रामशंकर कठेरिया ने कहा कि सरकार देश में विश्वस्तरीय गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने के लिए नई शिक्षा नीति इसी वर्ष लागू करेगी। इसके लिए कई स्तरों पर प्रयास चल रहा है।
कठेरिया ने कहा कि विश्वस्तरीय गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने के लिए दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालयों के 350 शिक्षकों की मदद गैस्ट फैकल्टी के तौर पर ली जा रही है, जबकि आने वाले समय में और 150 शिक्षक यहां के विश्वविद्यालयों में पढ़ाने आएंगे।
वाराणसी स्थित महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ छात्र संघ के समारोह समेत कई कार्यक्रमों में भाग लेने पहुंचे कठेरिया ने संवाददाताओं से कहा कि मॉडल के तौर पर देश के 10 विश्वविद्यालयों को सरकार एवं इतनी संख्या में निजी संस्थाओं के हाथों सौंपा जाएगा, ताकि विश्वस्तरीय शिक्षा के लिए बेहतर प्रतिस्पर्धा का माहौल बन सके। उन्होंने कहा कि देश में प्राथमिक शिक्षा की हालत काफी खराब है। उसके सुधार के लिए सरकार कई स्तरों पर प्रयास कर रही है।
एक ओर नई शिक्षा नीति तैयार करने के लिए जाने-माने शिक्षाविदों के अलावा देश के आम लोगों से भी राय ली जा रही है, वहीं दूसरी ओर ‘विद्यांजली’ योजना के माध्यम से अवकाश प्राप्त शिक्षकों, अधिकारियों आदि से मदद की योजना पर काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार की अपील पर बड़ी संख्या में लोगों ने अपने-अपने इलाके के स्कूलों में एक से 3 घंटे तक पढ़ाने की पेशकश की है। उन्होंने कहा कि सरकार ने पायलट प्रोजैक्ट के तहत देश के 2200 स्कूलों को चिंहित किया है।
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कठेरिया ने कहा कि विश्वस्तरीय गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने के लिए दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालयों के 350 शिक्षकों की मदद गैस्ट फैकल्टी के तौर पर ली जा रही है, जबकि आने वाले समय में और 150 शिक्षक यहां के विश्वविद्यालयों में पढ़ाने आएंगे।
वाराणसी स्थित महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ छात्र संघ के समारोह समेत कई कार्यक्रमों में भाग लेने पहुंचे कठेरिया ने संवाददाताओं से कहा कि मॉडल के तौर पर देश के 10 विश्वविद्यालयों को सरकार एवं इतनी संख्या में निजी संस्थाओं के हाथों सौंपा जाएगा, ताकि विश्वस्तरीय शिक्षा के लिए बेहतर प्रतिस्पर्धा का माहौल बन सके। उन्होंने कहा कि देश में प्राथमिक शिक्षा की हालत काफी खराब है। उसके सुधार के लिए सरकार कई स्तरों पर प्रयास कर रही है।
एक ओर नई शिक्षा नीति तैयार करने के लिए जाने-माने शिक्षाविदों के अलावा देश के आम लोगों से भी राय ली जा रही है, वहीं दूसरी ओर ‘विद्यांजली’ योजना के माध्यम से अवकाश प्राप्त शिक्षकों, अधिकारियों आदि से मदद की योजना पर काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार की अपील पर बड़ी संख्या में लोगों ने अपने-अपने इलाके के स्कूलों में एक से 3 घंटे तक पढ़ाने की पेशकश की है। उन्होंने कहा कि सरकार ने पायलट प्रोजैक्ट के तहत देश के 2200 स्कूलों को चिंहित किया है।
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