शिक्षा मित्रों को बहुत बड़ा झटका - शिक्षक बनने के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा की छूट देने का अधिकार, राज्य तो क्या केंद्र सरकार को भी नहीं है। सिर्फ संसद ही इसमें छूट प्रदान कर सकती है
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बताया जा रहा है कि उत्तराखंड में -
BTC वालों ने कहा था कि हम BTC करने के बाद हम पर टेट लागु है तो शिक्षा मित्रों पर क्यों नहीं
कोर्ट ने इस बात को माना कि अगर शिक्षा मित्र पहले से टीचर है तो उन्हें BTC क्यों करनी पड़ी और टेट भी तो क्वालिफिकेशन का एक जरूरी हिस्सा है तो फिर इसको भी लागू होना चाहिए।
और इसने बगेर टेट पास शिक्षा मित्रों का खेल बिगाड़ दिया, अब ऐसे नॉन टेट शिक्षा मित्रों को नोकरी से हटाए जाने के आदेश हो गए हैं
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गैर टीईटी उत्तीर्ण शिक्षा मित्रों को हटाने का आदेश
Tue, 27 Sep 2016 06:34 PM (IST)
जागरण संवाददाता, नैनीताल : हाई कोर्ट ने पिछले साल जनवरी में सहायक अध्यापक पद पर नियमित किए गए शिक्षा
जागरण संवाददाता, नैनीताल : हाई कोर्ट ने पिछले साल जनवरी में सहायक अध्यापक पद पर नियमित किए गए शिक्षा मित्रों में से बिना टीईटी पास शिक्षा मित्रों को हटाने तथा उनके स्थान पर टीईटी पास योग्यताधारी को नियुक्ति देने के आदेश पारित किए हैं। कोर्ट के इस फैसले के बाद तीन हजार से अधिक शिक्षा मित्रों की नौकरी खतरे में पड़ गई है। चुनावी मोड पर उतरी सरकार के लिए इस फैसले को बड़ा झटका माना जा रहा है।
पिछले साल जनवरी में राज्य सरकार द्वारा 3652 शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक पद पर नियमित नियुक्ति दे दी। इधर सरकार के इस फैसले को टीईटी पास अभ्यर्थी ललित कुमार व अन्य द्वारा याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई। याचिका में शिक्षा मित्रों को शिक्षक पात्रता परीक्षा में दी गई छूट को नियम विरुद्ध बताते हुए कहा कि सरकार के इस फैसले से शिक्षक पात्रता परीक्षा पास अभ्यर्थी शिक्षक बनने की दौड़ से बाहर हो गए हैं। कोर्ट के समक्ष राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि केंद्र सरकार व एनसीटीई की मंजूरी के बाद शिक्षा मित्रों को नियमित करने के लिए नियमावली में में छूट प्रदान की गई। न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की एकल पीठ ने पक्षकारों को सुनने के बाद एनसीटीई द्वारा दी गई छूट को असंवैधानिक मानते हुए साफ किया कि शिक्षक बनने के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण
होना अनिवार्य है। इस आधार पर कोर्ट ने शिक्षा मित्रों को दी गई टीईटी की छूट को अवैधानिक मानते हुए सरकार द्वारा नियमावली में किए गए परिवर्तन के प्रावधान को ही निरस्त कर दिया। कोर्ट ने साफ किया कि जो शिक्षा मित्र टीईटी पास नहीं हैं, उन्हें सेवा से हटाया जाए और जो शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण हैं, उन्हें उनके स्थान पर नियुक्ति दी जाए।
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