नई दिल्ली. केंद्रीय चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब मणिपुर और गोवा में विधानसभा चुनाव कराने की सभी तैयारियों को अंतिम रूप दे चुका है और चुनावों की घोषणा से पहले चुनाव आयोग ने निष्पक्ष
देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनावी सुधार की दिशा में नई व्यवस्था में चुनाव कराने का रोडमैप तैयार कर चुके चुनाव आयोग ने चुनावी कार्यक्रम की घोषणा से पहले ही अपनी-अपनी रणनीतियों का तानाबाना बुन चुके राजनीतिक दलों को चुनाव आचार संहिता की याद दिलाने और नियमों का उल्लंघन करने पर संभावित कार्रवाही की याद दिलाना शुरू कर दिया है। केंद्रीय चुनाव आयोग ने इन पांचों राज्यों के मुख्य सचिवों और मुख्य चुनाव अधिकारियों के साथ सभी राजनीतिक दलों को पत्रोें के जरिए आगाह किया है कि चुनाव कार्यक्रम की घोषणा होते ही पांचों राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब मणिपुर और गोवा में आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो जाएगी। लिहाजा जनता के साथ इस आचार संहिता का अनुपालन करने में कोई भी राजनीतिक दल या नेता लापरवाही न बरतें, बल्कि इसका पालन करके पारदर्शी नई व्यवस्था के माहौल बनाने में सहयोग करें। आयोग ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि कहीं भी आदर्शन आचार संहिता के उल्लंघन की सूचना मिले तो उसे चुनाव आयोग के 24 घंटे काम करने वाले कॉल सैंटर को टोलफ्री नंबर 1950 पर फोन या एसएमएस करके इस लोकतांत्रिक व्यवस्था के सुधार में सहयोग करें।
इन पाबंदियों में बंधे दल
चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार आदर्श चुनाव आचार संहिता के प्रावधानों के तहत चुनाव वाले राज्यों की सरकारों और राजनीतिक दलों के साथ आम मतदाताओं को इस बात से अवगत कराया जा रहा है कि चुनाव कार्यक्रम के ऐलान होने के 24 घंटों के भीतर सरकारी संपत्ति, इमारतों और उनके अहातों पर पोस्टर चिपकाने, नारे लिखने, कट आउट या बैनर लगाकर संपत्ति को खराब या गंदा करने पर पाबंदी होगी। पहले से लगाई गई गैरजरूरी चीजों को चुनाव के ऐलान के 24 घंटे के भीतर हटाना होगा। सार्वजनिक संपदा या अहातों पर ये प्रावधान 48 घंटों में और निजी संपदा के मामले में 72 घंटों में हटाना जरूरी होगा। इस अवधि के बीतने पर कोई भी शिकायत आएगी तो चुनाव आयोग नियमों के तहत कड़ी कार्रवाई करने के लिए मजबूर होगा।
इन नियमों का चलेगा चाबुक
पांचों राज्यों में चुनाव कार्यक्रम का ऐलान होते ही आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो जाएगी तो सिर्फ चुनाव के काम में लगे अधिकारियों और अमले को सरकारी वाहनों के इस्तेमाल की छूट होगी। वहीं सरकारी खजाने से अखबारों, टीवी, रेडियो या किसी भी प्रचार माध्यम से सरकारें अपनी उपलब्धियों का विज्ञापन नहीं करा सकेंगी। नियमों के तहत सरकार के मंत्रालयों या विभागों की आधिकारिक वेबसाइट पर राजनीतिक समारोह के फोटोग्राफ डालना आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा। इसी प्रकार से विकास कार्य और निर्माण कार्यो को कराने के लिए केवल विभागों को 72 घंटे के दौरान ही चुनाव आयोग जानकारी देनी होगी।
बूथों पर डिस्प्ले होंगे ये दस्तावेज
चुनाव आयोग ने इन पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव 2017 के लिए होने वाले मतदान के दौरान मतदाताओं की सुविधा के लिए मुख्य चुनाव अधिकारियों को दिशा निर्देश जारी किये हैं कि वह चुनाव आयोग की ओर से जारी वोटरआईडी के अलवा मतदाता की पहचान के लिए 12 अन्य दस्तावेज का इस्तेमाल हो सकेगा। इसके लिए पोलिंग बूथों पर इन सभी दस्तावेजों को प्रदर्शित करने के निर्देश जारी किये गये हैं। इन दस्तावेजों में वोटर आईडी के साथ पासपोर्ट और पैन कार्ड समेत 12 दस्तावेज मान्य होंगे, जिनमें आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, सार्वजनिक उपक्रम या पब्लिक लिमिटेड कंपनी द्वारा जारी फोटोयुक्त पहचान पत्र, बैंक या पोस्ट आॅफिस की फोटोयुक्त पासबुक, आरजीआई एवं एनपीआर द्वारा जारी स्मार्ट कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड, श्रम मंत्रालय की योजना के अंतर्गत जारी स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड, फोटोयुक्त पेंशन दस्तावेज भी शामिल हैं। इसके अलावा सांसदों, विधायकों व विधान परिषद सदस्यों को जारी सरकारी पहचान पत्र शामिल हैं।
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इन पाबंदियों में बंधे दल
चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार आदर्श चुनाव आचार संहिता के प्रावधानों के तहत चुनाव वाले राज्यों की सरकारों और राजनीतिक दलों के साथ आम मतदाताओं को इस बात से अवगत कराया जा रहा है कि चुनाव कार्यक्रम के ऐलान होने के 24 घंटों के भीतर सरकारी संपत्ति, इमारतों और उनके अहातों पर पोस्टर चिपकाने, नारे लिखने, कट आउट या बैनर लगाकर संपत्ति को खराब या गंदा करने पर पाबंदी होगी। पहले से लगाई गई गैरजरूरी चीजों को चुनाव के ऐलान के 24 घंटे के भीतर हटाना होगा। सार्वजनिक संपदा या अहातों पर ये प्रावधान 48 घंटों में और निजी संपदा के मामले में 72 घंटों में हटाना जरूरी होगा। इस अवधि के बीतने पर कोई भी शिकायत आएगी तो चुनाव आयोग नियमों के तहत कड़ी कार्रवाई करने के लिए मजबूर होगा।
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