नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश के विधानसभा एकदम सिर पर आ चुके हैं और सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी की टिकट वितरण को लेकर तेज हुई अंतर्कलह थमने का नाम नहीं ले रही है।
समाजवादी पार्टी में टिकट बंटवारे के बाद तेज हुए सियासी महासंग्राम को खत्म करने की सभी कोशिशें गुरुवार को दिनभर चली बैठकों के बावजूद बेनतीजा रहीं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव की बातचीत में भी कोई कारगर फामूर्ला सामने नहीं आया। नतीजन नाराज अखिलेश को अपने समर्थक विधायकों को अपने अपने क्षेत्र में चुनाव लड़ने की तैयारी का ऐलान करना पड़ा। माना जा रहा है कि अखिलेश अब अपने समर्थक विधायकों को निर्दलीय के रूप में चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी में हैं। गौरतलब है कि एक दिन पहले समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव द्वारा एक सर्वे का हवाला देकर जारी की 325 प्रत्याशियों की सूची में अपने पुत्र एवं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के तीन मंत्रियों के अलावा कई विधायकों और समर्थकों के नामों को नजरअंदाज करते हुए सपा प्रदेशाध्यक्ष शिवपाल यादव की सूची को तरजीह दी थी। इससे खफा अखिलेश यादव के पक्ष में कोई बात नहीं बन सकी। इसलिए नाराज अखिलेश ने अपने आवास पर पहुंचकर विधायकों और समर्थकों के साथ बैठक कर विचार विमर्श करके कठोर कदम उठाने का फैसला किया। सूत्रोें का कहना है कि अखिलेश की ओर से 167 प्रत्याशियों की सूची जारी की गई, लेकिन इसकी अभी तक कोई पुष्टि नहीं हो पायी है।
अखिलेश का यह बड़ा कदम!
सूत्रों की माने तो अखिलेश यादव जल्द ही अयोध्या में मंत्री पवन पाण्डेय, बलिया में रामगोविंद और बाराबंकी अरविंद सिंह गोप के समर्थन में बड़ी रैली कर सकते हैं। यही नहीं अगर बात नहीं बनी और अखिलेश यादव के करीबियों को अगर टिकट नहीं दिया जाता तो मुख्यमंत्री अपने चहेतों को निर्दलीय ताल ठोकने की हरी झंडी दे सकते हैं और वो इन सीटों पर वह उनके समर्थन में रैली भी करने का फैसला ले सकते हैं। राज्य में कई जगहों पर सपा नेताओं ने अखिलेश समर्थक विधायक उम्मीदवार होने के पोस्टर भी लगा दिए हैं।
सर्वे पर भी उठे सवाल
सपा प्रमुख मुलायम सिंह के सर्वे के आधार पर जारी प्रत्याशियों की सूची पर भी सवाल खड़े किये गये। मुख्यमंत्री की विधायकों के साथ बैठक के बाद विधायकों का कहना था कि अखिलेश ने सपा प्रमुख के सामने खुद कहा है कि कौन सा सर्वे हुआ बताया जाए? किसने किया? यह जानकारी सामने रखी जाए। मुख्यमंत्री ने विधायकों से कहा कि वे क्षेत्र में जाएं और चुनाव की तैयारी करें। वे उनके टिकट का इंतजाम करेंगे। जल्द ही स्थिति सामान्य हो जाएगी।
कांग्रेस से गठबंधन की संभावना
सूत्रों के अनुसार अखिलेश यादव द्वारा जारी सूची के बाद इन अटकलों का बाजार गर्म हो गया है कि अखिलेश यादव सपा की इस अंतर्कलह से दूर कांग्रेस के साथ गठबंधन करके चुनाव मैदान में उतरकर बगावत कर सकते हैं।
रामगोपाल की सफाई
समाजवादी पार्टी में जारी महासंग्राम को लेकर राज्यसभा सांसद प्रो. राम गोपाल यादव ने सफाई देते हुए कहा कि पार्टी में कोई घमासान नहीं है। उन्होंने कहा कि टिकट कटने पर ऐसा होता है। जिनकी टिकट कटी है उनको सीएम ने बुलाया है। अखिलेश की भूमिका के सवाल पर रामगोपाल ने कहा कि उनकी भूमिका मुख्यमंत्री की ही रहेगी।
अमर व बेनी पर निशाना
इससे पहले अखिलेश के घर बैठक में धर्मेंद्र यादव, अरविंद गोप और अभिषेक मिश्रा समेत तमाम समर्थक शामिल हुए। इस बैठक में वे विधायक और मंत्री शामिल हुए जिनके टिकट काट दिए गए थे। सूत्रों के मुताबिक टिकट से बेदखल मंत्रियों ने मुख्यमंत्री अखिलेश के सामने अपने दर्द को बयां किया। मंत्री अरविंद सिंह गोप ने अखिलेश के सामने कहा कि हमारा टिकट अमर सिंह ने कटवाया है,बेनी प्रसाद वर्मा पर भी शिवपाल सिंह यादव से अपने बेटे के लिए साजिÞश रचने का आरोप लगाया गया।
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अखिलेश का यह बड़ा कदम!
सूत्रों की माने तो अखिलेश यादव जल्द ही अयोध्या में मंत्री पवन पाण्डेय, बलिया में रामगोविंद और बाराबंकी अरविंद सिंह गोप के समर्थन में बड़ी रैली कर सकते हैं। यही नहीं अगर बात नहीं बनी और अखिलेश यादव के करीबियों को अगर टिकट नहीं दिया जाता तो मुख्यमंत्री अपने चहेतों को निर्दलीय ताल ठोकने की हरी झंडी दे सकते हैं और वो इन सीटों पर वह उनके समर्थन में रैली भी करने का फैसला ले सकते हैं। राज्य में कई जगहों पर सपा नेताओं ने अखिलेश समर्थक विधायक उम्मीदवार होने के पोस्टर भी लगा दिए हैं।
सर्वे पर भी उठे सवाल
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रामगोपाल की सफाई
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