त्रिपुरा शिक्षामित्र नियुक्ति प्रकरण पर मा० सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया फैसला: गाजी इमाम आला की कलम से

आज 10323 त्रिपुरा शिक्षक भर्ती की सुनवाई मा० सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्ति निरस्त कर दिया तथा यह भी राज्य सरकार को सुझाव दिया कि 31 दिसम्बर 2017 तक कार्य करते रहेगें।
यह फैसला जष्टिस आर्दश कुमार गोयल /उदय उमेश ललित जी ने दी है
वैसे आज जो कुछ हुआ है उससे उ० प्र० के समायोजित शिक्षकों से जोड कर न देखे।
त्रिपुरा सरकार ने सीधे नियुक्ति दे दिया था ।
जबकि उ० प्र० में बेसिक शिक्षा नियमावली/आर० टी ई एक्ट में संसोधन करके बकायदे नियम के अंर्तगत नियुक्ति नही समायोजन किया गया है जो पूरे देश में किसी भी सरकार ने समायोजन नही किया है ,सभी प्रदेशों में सीधे नियुक्ति कर दिया गया है।चूकि नियुक्ति या समायोजन में सबसे बडा फैक्टर है (इन सर्विस अन्ट्रेन्ड टीचर का) और यह तभी साबित हो सकता है जब कार्यरत शिक्षा मित्र को सीधे नियुक्ति न देकर इनको समायोजित किया जाय ऐसा प्रक्रिया पुरे देश मे केवल उत्तर प्रदेश मे अपनाया गया।
त्रिपुरा की नियुक्ति निरस्त होने के कई करण है
जो दो दिन मे देखने को मिला है उसमे सबसे बडा कारण लचर कोर्ट की पैरवी रहा है
केवल पी० पी० राव जी व राजीव धवन जी के सहारे ??????????
 जबकि विपक्ष के तरफ से सलमान खुर्शीद जी एवं अन्य और थे ।
अब सवाल उठता है की उ० प्र० की स्थिति पर तो सबसे पहले हमारा नियुक्ति नही समायोजन किया गया है और भी बहुत से कारण है बचाव का जो समय पर सबूत सहित पेस किया जाएगा ,चाहे उमा देबी केस हो या इन सर्विस अन्ड्रेड टीचर का मुद्दा हो ।
हाँ इतना जरूर है कि सभी डेटों पर बुहत मजबूती सें लडना होगा
लेकिन हमारे भी बीच में ऐसे लोग है जो 35000 रुपया मिलने के बाद भी 500/1000रुपये न तो समय से दे पाते है और संगठन व नेताओं का पैर खीचने में सबसे आगे रहते है।क्योंकि ऐसे लोगों को गंभीरता का अंदाजा नही है अगर होता हो सहयोग के लिए सबसे आगे रहते।
सगठन के सभी ब्लाक/जिला अध्यक्षों से अपील है आप लोग दो दिन में ही न्यायिक शुल्क अवश्य जमा कर दे जिससे अच्छे टाप अधिवक्ताओं को रक्खा जा सके
कहा गया है सावधानी हटी ??????

             आप का
     गाजी इमाम आला
        प्रदेश अध्यक्ष
      Uppsms/sssaup

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