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72825 भर्ती : देखना यह है कि फाइनल आर्डर कब और कितनों की जॉब छीनेगा और कितनों की बलि लेगा ..........

होना तो यह चाहिए था कि सुप्रीमकोर्ट पहले चयन का आधार निर्णीत करके फाइनल आर्डर करता और बाद में कोई भर्ती होती परन्तु न्यायमूर्ति एच एल दत्तू तथा न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा इस बात को बहुत अच्छी तरह
समझते थे कि यदि उन्होंने फाइनल आर्डर कर दिया तो चीजें उनके हाथ से निकल जायेंगी और समाजवादी पार्टी की सरकार कुछ ना कुछ गड़बड़ कर देगी ,,,,,, हो यह भी नहीं सकता था कि चयन के आधार के अभाव में 72825 के बाद कोई भर्ती ही ना होती और शिक्षकों के पद खाली पड़े रहते .......... इस केस में जितना भी रायता फैला हुआ है सबकी वजह उपरोक्त दोनों विरोधाभास ही हैं ........
चूँकि सुप्रीमकोर्ट ने न्यायमूर्ति अशोक भूषण की डिवीजन बेंच के आदेश पर स्टे नही दिया था इसलिए विधिक स्थिति यही है कि 15th संशोधन से नियुक्त सभी लोगों की जॉब ना सिर्फ अवैध है बल्कि न्यायालय की अवमानना भी है ,,,,, शिक्षामित्र सुप्रीमकोर्ट के दिए स्टे को एंज्वाय कर रहे हैं और तदर्थ आधार पर नियुक्त याची शिक्षामित्रों को स्टे देने के बदले में कोर्ट के आदेश पर दी हुयी सपा सरकार की सहमति के कारण अत्यल्प टेट नंबरों के बावजूद जॉब कर रहे हैं और उनसे ज्यादा नंबर वाला सड़कों की ख़ाक छान रहा है ,,, यह भी सरासर गलत है और टेट फेल शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक बने रहना भी सरासर गलत है .....
भाजपा सरकार बनते ही सब कुछ बदल चुका है ,,,,,, कोई भी व्यक्ति अब ना तो यह उम्मीद करे कि डेट डेट का खेल चलता रहेगा और जॉब पा चुके सभी लोग जॉब करते रहेंगे ,,,, सुप्रीमकोर्ट इस बात को समझता है कि भाजपा सरकार सपा सरकार के पदचिन्हों पर नही चलेगी इसलिए अब वो फाइनल आर्डर करके स्वयं को इस रायते से बाहर निकालेगा ,,,,,, देखना यह है कि फाइनल आर्डर कब और कितनों की जॉब छीनेगा और कितनों की बलि लेगा ..........
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