उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों की नियुक्ति की प्रकृति : 1999 से शुरू की गयी जिसको MHRD के अनुमोदन पर NCTE के दिशा निर्देश पर शिक्षकों के रिक्त पदों के सापेक्ष नियुक्ति किया गया। पुरे भारत में अलग अलग नामों से अलग अलग प्रदेशों संविदा के रूप में करीब 6 लाख शिक्षक रखे गए।
2001 से 2010 तक केंद्र और राज्य के बीच उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्रों के सबंध में बहुत ही पत्राचार किया गया है। जिसमे स्पष्ट है कि हम शिक्षक है। 2009 में rte एक्ट लागू हुआ तो Ncte के तत्कालीन निदेशक ने सभी राज्यों को पत्र लिखा की आपके यहाँ जितने भी शिक्षक अप्रशिक्षित है। उनको आप ट्रेनिंग करा ले वरना ये लोग 2015 के बाद स्कूलों में शिक्षण कार्य नहीं कर पाएंगे।
इसी पत्र के परिपेक्ष्य में उत्तर प्रदेश में 1 लाख 72 हज़ार शिक्षामित्रों को दूरस्थ शिक्षा विधि से दो वर्षीय बीटीसी
प्रशिक्षण कराया गया है। इन सब साक्ष्यों और सबूतों से शिक्षमित्र 2010 से पहले के कार्यरत शिक्षक की श्रेणी में आते है। इसलिए उत्तर प्रदेश के 1 लाख 72 हज़ार शिक्षामित्रों पर टेट लागू ही नहीं होता है।
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शिक्षामित्रों का समायोजन इलाहबाद हाईकोर्ट से रद्द होने का कारण राज्य और संघो की लचर पैरवी का नतीजा था।
आज के परिवेश में अगर शिक्षामित्रों के नेता और टीम राजनीती छोड़कर सही तरीके से और साक्ष्यों के साथ सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करे तो शिक्षामित्रों का समायोजन 100% बच जायेगा। क्यों की NCTE के चेयरमैन ने साफ शब्दों में कितने बार कह चुके है। की शिक्षामित्रों पर टेट लागू ही नहीं होता है।
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
- 2 मई को शिक्षामित्र समायोजन पर जस्टिस चंद्रचूर्ण जी के आदेश पर ही लगेगी अंतिम मुहर : मयंक तिवारी
- 72,825 पदों को 30/11/11 विज्ञापन से ही भरा जायेगा , TET शिक्षक चयन हेतु अनिवार्य : मयंक तिवारी
- अगली सुनवाई 2 मई को है और उस दिन डी बाई चंद्रचूर्ण जी के आदेश को सुना जायेगा : प्रवीण श्रीवास्तव
- 2 मई को यदि सुनाई शिक्षा मित्र मेटर में पूर्ण हो जाती है तो उसी दिन नही तो अगले दिन r te एक्ट पर सुनवाई
- टेट में कम मार्क्स होने के वजह से अभी भी चयन , 2 मई को जीत का जश्न : राकेश यादव
- शिक्षामित्रों समायोजन इन आधारों पर हाईकोर्ट ने किया था रद्द
2001 से 2010 तक केंद्र और राज्य के बीच उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्रों के सबंध में बहुत ही पत्राचार किया गया है। जिसमे स्पष्ट है कि हम शिक्षक है। 2009 में rte एक्ट लागू हुआ तो Ncte के तत्कालीन निदेशक ने सभी राज्यों को पत्र लिखा की आपके यहाँ जितने भी शिक्षक अप्रशिक्षित है। उनको आप ट्रेनिंग करा ले वरना ये लोग 2015 के बाद स्कूलों में शिक्षण कार्य नहीं कर पाएंगे।
इसी पत्र के परिपेक्ष्य में उत्तर प्रदेश में 1 लाख 72 हज़ार शिक्षामित्रों को दूरस्थ शिक्षा विधि से दो वर्षीय बीटीसी
प्रशिक्षण कराया गया है। इन सब साक्ष्यों और सबूतों से शिक्षमित्र 2010 से पहले के कार्यरत शिक्षक की श्रेणी में आते है। इसलिए उत्तर प्रदेश के 1 लाख 72 हज़ार शिक्षामित्रों पर टेट लागू ही नहीं होता है।
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शिक्षामित्रों का समायोजन इलाहबाद हाईकोर्ट से रद्द होने का कारण राज्य और संघो की लचर पैरवी का नतीजा था।
आज के परिवेश में अगर शिक्षामित्रों के नेता और टीम राजनीती छोड़कर सही तरीके से और साक्ष्यों के साथ सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करे तो शिक्षामित्रों का समायोजन 100% बच जायेगा। क्यों की NCTE के चेयरमैन ने साफ शब्दों में कितने बार कह चुके है। की शिक्षामित्रों पर टेट लागू ही नहीं होता है।
- NCTE नोटिफ़िकेशन को पढने के बाद हिमांशु राणा ने निकाला निष्कर्ष: कहा शिक्षामित्रों की नौकरी पर मंडरा रहा खतरा
- .....तो शिक्षामित्र भी शिक्षा सहायको की तरह बाहर होते!!! 2014 में संगठन ने लिया था सूझबूझ से काम
- शिक्षामित्र ने टी.ई.टी. को दिया नया नाम: मानना पड़ेगा काबलियत को
- भारतीय संविधान के अनु० 19 और 21 में दी गई रोजी रोटी की सुनिश्चितता की आज़ादी: शिक्षामित्र संगठन
- याचियों के लिए शिक्षा मित्रों के हटने के पश्चात सुनवाई होनी: हिमांशु राणा
- 27 अप्रैल 2017 की सुनवाई का सारांश : मयंक तिवारी , अरशद अली , द्विवेदी विवेक , राकेश यादव , हिमांशु राणा , गणेश शंकर दीक्षित , दुर्गेश प्रताप , गाजी इमाम आला
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