नई दिल्ली। योगी सरकार की ओर से दस हजार रुपये मानदेय दिए जाने के फैसले से नाराज चल रहे शिक्षामित्रों ने अब देश की राजधानी के जंतर-मंतर से बिगुल फूंक दिया है।
समान काम समान वेतन समेत अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन करने पहुंचे शिक्षामित्रों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पूर्व में किए गए वादों को याद दिलाते हुए उनपर वादा खिलाफी का भी आरोप लगाया।
संयुक्त शिक्षा मित्र मोर्चा के बैनर तले प्रदर्शन करने पहुंचे शिक्षामित्रों ने कहा कि जब तक उनका दोबार सहायक अध्यापक नहीं बनाया जाता तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। वहीं प्रदर्शनकारियों ने आंदोलन के दौरान विभिन्न जिलों में शिक्षामित्रों के ऊपर किए गए मुकदमों को भी वापस लेने की मांग उठाई। बस, ट्रेन समेत अपने साधन से एक लाख से ज्यादा की संख्या में आज जंतर-मंतर पहुंचे शिक्षामित्रों के हुजूम से राजधानी की यातायात व्यवस्था भी काफी प्रभावित हुई।
प्रदर्शन के दौरान प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष गाजी इमाम आला ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि गोरखपुर सांसद रहते हुए उन्होंने ही अध्यादेश लाने की मांग तत्कालीन सपा सरकार से की थी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आंदोलनरत शिक्षा मित्र प्रतिनिधियों से दो चक्र में हुई वार्ता के दौरान भी सीएम ने हम लोगों के साथ न्याय करने का भरोसा दिलाया था, इतना ही नहीं इसके लिए उन्होंने पांच आईएएस अधिकारियों की समिति भी बनाई थी। लेकिन समिति का नतीजा आने से पहले ही मनमाना प्रस्ताव कैबिनेट बैठक में मंजूर कर दिया गया। जो सरासर अन्याय है और हम लोग इसके खिलाफ न्याय मिलने तक अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।
वहीं आदर्श सामायोजित शिक्ष मित्र वेलफेयर असोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र शाही ने इस मामले में प्रधानमंत्री से हस्तेक्षप करने की मांग करने के साथ ही कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के एक मंच से शिक्षामित्रों की जिम्मेदारी मेरी है कहकर भरोसा दिलाया था कि शिक्षामित्रों के साथ गलत नहीं होगा। पीएम को अब शिक्षामित्रों से किया गया वादा पूरा करना चाहिए।
जितेंद्र शाही ने प्रधानमंत्री से मांग की है कि अध्यादेश लाकर शिक्षामित्रों को फिर से सहायक पद पर बहाल करने तथा इस प्रक्रिया के पूरी होने तक समान कार्य समान वेतन लागू कराएं। वहीं उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षामित्र सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन सामायोजन निरस्त होने की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश सरकार को लेनी चाहिए।
एक लाख से ज्यादा की संख्या में पहुंचे शिक्षामित्रों को संबोधित करने वालों में दीनानाथ दीक्षित, शिव कुमार शुक्ला, विश्वनाथ कुश्वाहा, पुनीत चौधर, धर्मवीर यादव, रमेश मिश्र, सुनील भदौरिया अवनिश सिंह, श्यामलाल यादव, रीना सिंह, कौशल कुमार सिंह, सौरभ चौधरी, दुष्यंत चौहान, राजेश साहनी, सय्यद जावेद मिर्जा, राकेश वाजपेयी, श्रीराम द्विवेदी, सुमन यादव, विनोद वर्मा, उदयवीर यादव, संतोष मिश्र, उमेश पाण्डेय, शिव श्याम मिश्र, गदाधर दूबे आदि भी शामिल रहें
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समान काम समान वेतन समेत अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन करने पहुंचे शिक्षामित्रों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पूर्व में किए गए वादों को याद दिलाते हुए उनपर वादा खिलाफी का भी आरोप लगाया।
संयुक्त शिक्षा मित्र मोर्चा के बैनर तले प्रदर्शन करने पहुंचे शिक्षामित्रों ने कहा कि जब तक उनका दोबार सहायक अध्यापक नहीं बनाया जाता तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। वहीं प्रदर्शनकारियों ने आंदोलन के दौरान विभिन्न जिलों में शिक्षामित्रों के ऊपर किए गए मुकदमों को भी वापस लेने की मांग उठाई। बस, ट्रेन समेत अपने साधन से एक लाख से ज्यादा की संख्या में आज जंतर-मंतर पहुंचे शिक्षामित्रों के हुजूम से राजधानी की यातायात व्यवस्था भी काफी प्रभावित हुई।
प्रदर्शन के दौरान प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष गाजी इमाम आला ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि गोरखपुर सांसद रहते हुए उन्होंने ही अध्यादेश लाने की मांग तत्कालीन सपा सरकार से की थी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आंदोलनरत शिक्षा मित्र प्रतिनिधियों से दो चक्र में हुई वार्ता के दौरान भी सीएम ने हम लोगों के साथ न्याय करने का भरोसा दिलाया था, इतना ही नहीं इसके लिए उन्होंने पांच आईएएस अधिकारियों की समिति भी बनाई थी। लेकिन समिति का नतीजा आने से पहले ही मनमाना प्रस्ताव कैबिनेट बैठक में मंजूर कर दिया गया। जो सरासर अन्याय है और हम लोग इसके खिलाफ न्याय मिलने तक अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।
वहीं आदर्श सामायोजित शिक्ष मित्र वेलफेयर असोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र शाही ने इस मामले में प्रधानमंत्री से हस्तेक्षप करने की मांग करने के साथ ही कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के एक मंच से शिक्षामित्रों की जिम्मेदारी मेरी है कहकर भरोसा दिलाया था कि शिक्षामित्रों के साथ गलत नहीं होगा। पीएम को अब शिक्षामित्रों से किया गया वादा पूरा करना चाहिए।
जितेंद्र शाही ने प्रधानमंत्री से मांग की है कि अध्यादेश लाकर शिक्षामित्रों को फिर से सहायक पद पर बहाल करने तथा इस प्रक्रिया के पूरी होने तक समान कार्य समान वेतन लागू कराएं। वहीं उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षामित्र सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन सामायोजन निरस्त होने की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश सरकार को लेनी चाहिए।
एक लाख से ज्यादा की संख्या में पहुंचे शिक्षामित्रों को संबोधित करने वालों में दीनानाथ दीक्षित, शिव कुमार शुक्ला, विश्वनाथ कुश्वाहा, पुनीत चौधर, धर्मवीर यादव, रमेश मिश्र, सुनील भदौरिया अवनिश सिंह, श्यामलाल यादव, रीना सिंह, कौशल कुमार सिंह, सौरभ चौधरी, दुष्यंत चौहान, राजेश साहनी, सय्यद जावेद मिर्जा, राकेश वाजपेयी, श्रीराम द्विवेदी, सुमन यादव, विनोद वर्मा, उदयवीर यादव, संतोष मिश्र, उमेश पाण्डेय, शिव श्याम मिश्र, गदाधर दूबे आदि भी शामिल रहें
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