बीटीसी व टेट पास शिक्षामित्रों के बाद अब स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों की होगी परीक्षा
योग्यता मूल्यांकन के लिए प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार की राय से निर्णय लिया
उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षा के गिरते स्तर पर जताई चिंता
फरवरी 2018 में परिषदीय शिक्षको की मूल्यांकन परीक्षा कराने पर बन रही सहमति
60 प्रतिशत अंक हासिल करने वाले शिक्षकों को मिलेगा सरकार की स्वीकृत प्रावधानों का लाभ।
45 प्रतिशत से कम अंक प्राप्त करने वालों को वेतन में पिछले मिले लाभ को किया जाएगा समाप्त।
लाभ शुरुआती मूल वेतन का ही मिल सकेगा,नए में की जाएगी कटौती
सरकार की नई नीति से सुधरेगी शिक्षा की गुणवत्ता शिक्षकों के लिए बनेगी मुसीबत।
बताते चले की लगातार बेसिक शिक्षा के गिरते स्तर को देखते हुए आए दिन सरकार को आड़े हांथों लिया जा रहा है। ऑल यूपी शिक्षा उन्नयन संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने के बजाय तेजी से नीचे गिरता गया है। शिक्षा अधिकार एक्ट के शुरुआती दौर में शिक्षा का स्तर 20 प्रतिशत तक बढ़ गया था। जुलाई 2017 में किये गए सर्वे के अनुसार जो गिरकर न्यूनतम स्तर तक आ पंहुचा है। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाला छात्र विषय के अनुरूप प्रश्नों का उत्तर नही दे पा रहा है। ऐसी दशा में केंद्र व राज्य सरकार की चिंता बढ़ना लाजमी है। सरकार ने शिक्षा व्यवस्था सुधार के लिए कड़े नियमों को बनाने के लिए प्रयास जारी कर दिया है। सरकार स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों की लापरवाही व शिथिलता पर लग सवालिया निशानों पर विराम लगाने के प्रयास में है। जिसके लिए अब शिक्षकों को कड़ी परीक्षा
से गुजरना पड़ेगा।
यतीश✅✅
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ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
योग्यता मूल्यांकन के लिए प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार की राय से निर्णय लिया
उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षा के गिरते स्तर पर जताई चिंता
फरवरी 2018 में परिषदीय शिक्षको की मूल्यांकन परीक्षा कराने पर बन रही सहमति
60 प्रतिशत अंक हासिल करने वाले शिक्षकों को मिलेगा सरकार की स्वीकृत प्रावधानों का लाभ।
45 प्रतिशत से कम अंक प्राप्त करने वालों को वेतन में पिछले मिले लाभ को किया जाएगा समाप्त।
लाभ शुरुआती मूल वेतन का ही मिल सकेगा,नए में की जाएगी कटौती
सरकार की नई नीति से सुधरेगी शिक्षा की गुणवत्ता शिक्षकों के लिए बनेगी मुसीबत।
बताते चले की लगातार बेसिक शिक्षा के गिरते स्तर को देखते हुए आए दिन सरकार को आड़े हांथों लिया जा रहा है। ऑल यूपी शिक्षा उन्नयन संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने के बजाय तेजी से नीचे गिरता गया है। शिक्षा अधिकार एक्ट के शुरुआती दौर में शिक्षा का स्तर 20 प्रतिशत तक बढ़ गया था। जुलाई 2017 में किये गए सर्वे के अनुसार जो गिरकर न्यूनतम स्तर तक आ पंहुचा है। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाला छात्र विषय के अनुरूप प्रश्नों का उत्तर नही दे पा रहा है। ऐसी दशा में केंद्र व राज्य सरकार की चिंता बढ़ना लाजमी है। सरकार ने शिक्षा व्यवस्था सुधार के लिए कड़े नियमों को बनाने के लिए प्रयास जारी कर दिया है। सरकार स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों की लापरवाही व शिथिलता पर लग सवालिया निशानों पर विराम लगाने के प्रयास में है। जिसके लिए अब शिक्षकों को कड़ी परीक्षा
से गुजरना पड़ेगा।
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