आगरा। सुप्रीम कोर्ट ने समयोजन रद किया, तो डेढ़ लाख
शिक्षामित्र प्रभावित हो गए। शिक्षामित्रों ने कई प्रदर्शन किए, लेकिन
सरकारों ने उनके लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए।
बल्कि सरकारों ने नियम, कायदे, कानून और कड़े कर दिए। महीनों से वेतन न मिलने और समायोजित न किए जाने से शिक्षामित्रों में रोष व्याप्त है। वहीं कई शिक्षामित्रों ने आर्थिक संकट के चलते आत्महत्या जैसे कदम उठाए, तो कई शिक्षामित्र सदमे से असमय ही काल के गाल में समां गए। इसके बाद शिक्षामित्रों ने इस बार दीपावली न मनाने का मन बना लिया है। शिक्षामित्र इस बार दीवाली नहीं मनाएंगे।
डायट पर बैठक कर बनाई रणनीति
आगरा में शिक्षामित्रों ने डायट परिसर पर बैठक की। इस बैठक में शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह छौंकर ने कहा कि सभी साथियों ने एकमत होकर इस बात का संकल्प लिया कि शिक्षामित्र इस बार दीपावली नहीं मनाएंगे। दीपावली के पर उन घरों में जाकर अपने साथियों को श्रद्धांजलि देंगे, जो अब इस दुनियां में नहीं है। वीरेंद्र सिंह छौंकर ने कहा कि शिक्षामित्रों के हक की लड़ाई लड़ने में सरकारों ने कोई सहयोग नहीं किया है।
दीवाली इस बार खाली खाली
पांच दिन तक चलने वाले दीपोत्सव में एक ओर जहां हर्ष और उत्सव का वातावरण है। वहीं दूसरी ओर शिक्षामित्रों की दीवाली इस बार सरकार और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद खाली खाली नजर आने वाली है। टीईटी की परीक्षा देने के बाद शिक्षामित्रों को सरकारी शिक्षक बनने के लिए कड़े इम्तिहान देने होंगे। हालांकि शिक्षामित्र आज भी हक की लड़ाई के लिए संघर्षरत हैं। शिक्षामित्र अपने हक के लिए सरकारों से भी लड़ रहे हैं और दूसरी ओर अचानक आए आर्थिक संकट से भी जूझ रहे हैं। जो शिक्षामित्र समायोजित हो चुके थे और करीब चालीस हजार रुपये तक की तनख्वाह पाते थे, आज महज कुछ हजार रुपये में ही अपने परिवार का भरण पोषण करने को मजबूर हैं। कईयों पर मकान की किश्त चुकाने के लिए भी पैसे नहीं हैं। ऐसे में शिक्षामित्रों की दीवाली इस बार खाली खाली हो रही है।
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बल्कि सरकारों ने नियम, कायदे, कानून और कड़े कर दिए। महीनों से वेतन न मिलने और समायोजित न किए जाने से शिक्षामित्रों में रोष व्याप्त है। वहीं कई शिक्षामित्रों ने आर्थिक संकट के चलते आत्महत्या जैसे कदम उठाए, तो कई शिक्षामित्र सदमे से असमय ही काल के गाल में समां गए। इसके बाद शिक्षामित्रों ने इस बार दीपावली न मनाने का मन बना लिया है। शिक्षामित्र इस बार दीवाली नहीं मनाएंगे।
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आगरा में शिक्षामित्रों ने डायट परिसर पर बैठक की। इस बैठक में शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह छौंकर ने कहा कि सभी साथियों ने एकमत होकर इस बात का संकल्प लिया कि शिक्षामित्र इस बार दीपावली नहीं मनाएंगे। दीपावली के पर उन घरों में जाकर अपने साथियों को श्रद्धांजलि देंगे, जो अब इस दुनियां में नहीं है। वीरेंद्र सिंह छौंकर ने कहा कि शिक्षामित्रों के हक की लड़ाई लड़ने में सरकारों ने कोई सहयोग नहीं किया है।
दीवाली इस बार खाली खाली
पांच दिन तक चलने वाले दीपोत्सव में एक ओर जहां हर्ष और उत्सव का वातावरण है। वहीं दूसरी ओर शिक्षामित्रों की दीवाली इस बार सरकार और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद खाली खाली नजर आने वाली है। टीईटी की परीक्षा देने के बाद शिक्षामित्रों को सरकारी शिक्षक बनने के लिए कड़े इम्तिहान देने होंगे। हालांकि शिक्षामित्र आज भी हक की लड़ाई के लिए संघर्षरत हैं। शिक्षामित्र अपने हक के लिए सरकारों से भी लड़ रहे हैं और दूसरी ओर अचानक आए आर्थिक संकट से भी जूझ रहे हैं। जो शिक्षामित्र समायोजित हो चुके थे और करीब चालीस हजार रुपये तक की तनख्वाह पाते थे, आज महज कुछ हजार रुपये में ही अपने परिवार का भरण पोषण करने को मजबूर हैं। कईयों पर मकान की किश्त चुकाने के लिए भी पैसे नहीं हैं। ऐसे में शिक्षामित्रों की दीवाली इस बार खाली खाली हो रही है।
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