इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने कहा है कि शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपी-टीईटी) 2017 के परिणाम हाईकोर्ट के अंतिम निर्णय के अधीन रहेंगे।
अदालत ने इससे जुड़े विवाद पर दायर याचिका की सुनवाई के बाद यह आदेश दिया। टीईटी के परिणाम 30 नवंबर तक जारी किए जाने की संभावना थी। याचिका में टीईटी में पूछे गए प्रश्नों के उत्तरों को लेकर उपजे विवाद के चलते उत्तर सही करने व ग्रेस अंक देने की मांग की गई थी।
मोहम्मद रिजवान और 103 अन्य परीक्षार्थियों ने याचिका दायर की थी। वे सभी 15 अक्तूूबर 2017 को सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी इलाहाबाद की ओर से आयोजित यूपी टीईटी में प्राथमिक स्तर के लिए शामिल हुए थे।
याचियों के अनुसार आयोजक ने 18 अक्तूबर को परीक्षा के प्रश्न पत्र की उत्तरमाला जारी की और इस पर आपत्तियां मांगीं। याचियों ने आपत्ति दर्ज करवाई, लेकिन इन्हें विषय विशेषज्ञ समिति बनाकर जांच करवाने के बजाय शुरुआती स्तर पर ही खारिज कर दिया गया।
आठ प्रश्नों के जवाब पर जताई थी आपत्ति
6 नवंबर को नई संशोधित और अंतिम उत्तरमाला जारी कर दी गई। याचियों ने आठ प्रश्नों के जवाबों पर आपत्ति जताई थी। वहीं संस्कृत के दो प्रश्नों के जवाबों को गलत बताया था।
इसके अलावा पर्यावरण अध्ययन सेक्शन में चार ऐसे प्रश्न शामिल किए गए जो इस विषय के थे ही नहीं। याचियों ने इसे लेकर 17 नवंबर को संबंधित पक्षों को अपनी आपत्ति दर्ज करवाई, लेकिन कोई विचार नहीं किया गया।
रिजल्ट जारी करने पर रोक और ग्रेस अंक देने की थी मांग
याचियों ने दावा किया कि अगर आपत्तियों पर विचार नहीं किया गया तो वे कुछ अंकों की वजह से टीईटी सर्टिफिकेट पाने से महरूम रह जाएंगे, भले ही उन्होंने सही जवाब दिए हों। ऐसे में उन्हें ग्रेस अंक दिए जाएं या फिर इन सवालों को प्रश्न पत्र में से हटाया जाए।
इसके लिए अंतिम उत्तरमाला को खारिज किया जाए। साथ ही हाई लेवल एक्सपर्ट कमेटी बनाकर उनकी आपत्तियों पर विचार किया जाए। वहीं यूपी-टीईटी 2017 के परिणाम जारी करने पर रोक के निर्देश दिए जाएं।
उत्तरमाला पर फिर से विचार करने का दिया अवसर
याचिका पर सुनवाई के दौरान मुख्य स्थायी अधिवक्ता सरकार की ओर से उपस्थित थे। जस्टिस विवेक चौधरी ने सुनवाई के बाद कहा कि मामले की अगली सुनवाई 13 दिसंबर को होगी।
इस तारीख तक प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा व अन्य संबंधित पक्ष अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करेंगे। जिन सवालों को लेकर आपत्ति की गई है, उनके बारे में भी संबंधित विभाग अपना पक्ष रखेंगे।
वे चाहें तो अंतिम उत्तरमाला पर भी फिर से विचार कर सकते हैं। वहीं अगर कोई परिणाम जारी किए जाते हैं तो वे याचिका पर हाईकोर्ट के अंतिम निर्णय के अधीन रहेंगे।
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अदालत ने इससे जुड़े विवाद पर दायर याचिका की सुनवाई के बाद यह आदेश दिया। टीईटी के परिणाम 30 नवंबर तक जारी किए जाने की संभावना थी। याचिका में टीईटी में पूछे गए प्रश्नों के उत्तरों को लेकर उपजे विवाद के चलते उत्तर सही करने व ग्रेस अंक देने की मांग की गई थी।
मोहम्मद रिजवान और 103 अन्य परीक्षार्थियों ने याचिका दायर की थी। वे सभी 15 अक्तूूबर 2017 को सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी इलाहाबाद की ओर से आयोजित यूपी टीईटी में प्राथमिक स्तर के लिए शामिल हुए थे।
याचियों के अनुसार आयोजक ने 18 अक्तूबर को परीक्षा के प्रश्न पत्र की उत्तरमाला जारी की और इस पर आपत्तियां मांगीं। याचियों ने आपत्ति दर्ज करवाई, लेकिन इन्हें विषय विशेषज्ञ समिति बनाकर जांच करवाने के बजाय शुरुआती स्तर पर ही खारिज कर दिया गया।
आठ प्रश्नों के जवाब पर जताई थी आपत्ति
6 नवंबर को नई संशोधित और अंतिम उत्तरमाला जारी कर दी गई। याचियों ने आठ प्रश्नों के जवाबों पर आपत्ति जताई थी। वहीं संस्कृत के दो प्रश्नों के जवाबों को गलत बताया था।
इसके अलावा पर्यावरण अध्ययन सेक्शन में चार ऐसे प्रश्न शामिल किए गए जो इस विषय के थे ही नहीं। याचियों ने इसे लेकर 17 नवंबर को संबंधित पक्षों को अपनी आपत्ति दर्ज करवाई, लेकिन कोई विचार नहीं किया गया।
रिजल्ट जारी करने पर रोक और ग्रेस अंक देने की थी मांग
याचियों ने दावा किया कि अगर आपत्तियों पर विचार नहीं किया गया तो वे कुछ अंकों की वजह से टीईटी सर्टिफिकेट पाने से महरूम रह जाएंगे, भले ही उन्होंने सही जवाब दिए हों। ऐसे में उन्हें ग्रेस अंक दिए जाएं या फिर इन सवालों को प्रश्न पत्र में से हटाया जाए।
इसके लिए अंतिम उत्तरमाला को खारिज किया जाए। साथ ही हाई लेवल एक्सपर्ट कमेटी बनाकर उनकी आपत्तियों पर विचार किया जाए। वहीं यूपी-टीईटी 2017 के परिणाम जारी करने पर रोक के निर्देश दिए जाएं।
उत्तरमाला पर फिर से विचार करने का दिया अवसर
याचिका पर सुनवाई के दौरान मुख्य स्थायी अधिवक्ता सरकार की ओर से उपस्थित थे। जस्टिस विवेक चौधरी ने सुनवाई के बाद कहा कि मामले की अगली सुनवाई 13 दिसंबर को होगी।
इस तारीख तक प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा व अन्य संबंधित पक्ष अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करेंगे। जिन सवालों को लेकर आपत्ति की गई है, उनके बारे में भी संबंधित विभाग अपना पक्ष रखेंगे।
वे चाहें तो अंतिम उत्तरमाला पर भी फिर से विचार कर सकते हैं। वहीं अगर कोई परिणाम जारी किए जाते हैं तो वे याचिका पर हाईकोर्ट के अंतिम निर्णय के अधीन रहेंगे।
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