Breaking Posts

Top Post Ad

शिक्षक एक ऐसा सरकारी कर्मचारी है जिसका अपना काम ---पढ़ाने का‌ -- कोई महत्व नहीं रखता. पढाये तो पढाये नही तो बच्चो का दुर्भाग्य?

शिक्षक एक ऐसा सरकारी कर्म चारी है जिसका अपना काम ---पढाने का‌ -- कोइ महत्व नही रखता. पढाये तो पढाये नही तो बच्चो का दुर्भाग्य?
अन्य सरकारी काम के लिये जब भी सरकार को अतिरिक्त कर्मचारियो की जरूरत होती है तब बच्चो की पढाई को विराम देकर , जैसे वो बिलकुल जरूरी नही है,उन्हे उस काम मे लगा दिया जाता है. चाहे वो काम जनगणना का हो, चुनाव का हो, आदि आदि. आप ऐसे अनेक उदाहरणो से परिचित है
पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश में और अब देख बिहार मे शिक्षको को खुले मे शौच करने वालो की निगरानी मे लगाया गया है?
कितना विचित्र और हास्यास्पद लगता है..आज ही स्वाति झा की एक पोस्ट से ये जानकारी मिली.
सरकार को चाहिये कि अब वो शिक्षक के लिये भर्ती ना करके " सर्व समाधानो के विशेषज्ञ " के रूप मे भर्ती करे जो सभी प्रकार के काम कर सके..

sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines

No comments:

Post a Comment

Facebook