उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डेय ने जब से शिक्षा विभाग की कमान संभाली है, तभी से शिक्षक संगठन उनके सीधे निशाने पर हैं. शिक्षक संगठनों के ड्रेस कोड का विरोध किए जाने के बाद से तो स्कूली शिक्षा मंत्री शिक्षक संगठनों ख़ासी खार खाए बैठे हैं.
शायद यही वजह है ड्रेस कोड पर शिक्षक संगठनों का विरोध दर्ज करने के बाद शिक्षा मंत्री और शिक्षक संगठनों के बीच कोई बात नहीं हुई है. देहरादून में रिटायर होने वाले टीचरों के विदाई समारोह में प्राथमिक शिक्षक संघ ने मुख्यमंत्री को बुलाया लेकिन अपने विभाग के मंत्री को नहीं.
ड्रेस कोड पर शिक्षक संगठनों ने बार-बार स्कूली शिक्षा मंत्री के सीधे आदेशों की अवहेलना की और इस वजह से विभाग ही नहीं मीडिया में भी अरविंद पांडे की हनक कम हुई.
ज़ाहिर है स्कूली शिक्षा मंत्री को शिक्षक संगठनों का यह रुख पसंद नहीं आता और गाहे-बगाहे इनके प्रति उनकी नाराज़गी दिख भी जाती है. लेकिन बुधवार को उनका यह गुस्सा विभाग के आला अफ़सरों की मीटिंग में भी झलक गया.
बुधवार को स्कूलों के भवनों की मरम्मत और निर्माण पर आला अधिकारियों की बैठक के दौरान अरविंद पांड ने अफसरों को शिक्षक संगठनो की मान्यता रद्द करने को कहा. शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षक छात्रों का भविष्य सुधारने के लिए होते हैं न कि राजनीति चमकाने के लिए. इसलिए शिक्षकों को राजनीति से दूर रखना चाहिए.
हालांकि विभाग के आला अधिकारी कहते हैं कि शिक्षक संगठनों की मान्यता रद्द करना इतना आसान नहीं है. शिक्षक संगठनों को कार्मिक विभाग की नियमावली के तहत मान्यता मिली है जो हर विभाग के कर्मचारी संगठनों को मिलती है. ऐसे में मान्यता रद्द करना विभाग के हाथ में नहीं है. जब कार्मिक विभाग इसे संशोधित करेगा तभी शिक्षक संगठनों की मान्यता रद्द होगी.
लेकिन अधिकारियों के इस तर्क से अरविंद पांडे का मनोबल नहीं डिगा. उन्होंने कहा कि विभाग इस संबंध में कार्मिक विभाग को प्रस्ताव तैयार करके भेजे.
यानि कि वह इस पर अड़ गए हैं कि विरोध ख़त्म करने के बजाय विरोध करने वालों को ही ख़त्म करना है. पर ड्रेस कोड के मामले पर कई बार मंत्री को धूल चटा चुके शिक्षा संगठन अपने अस्तित्व को बचाने के लिए कहां तक जाएंगे कल्पना ही की जा सकती है.
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शायद यही वजह है ड्रेस कोड पर शिक्षक संगठनों का विरोध दर्ज करने के बाद शिक्षा मंत्री और शिक्षक संगठनों के बीच कोई बात नहीं हुई है. देहरादून में रिटायर होने वाले टीचरों के विदाई समारोह में प्राथमिक शिक्षक संघ ने मुख्यमंत्री को बुलाया लेकिन अपने विभाग के मंत्री को नहीं.
ड्रेस कोड पर शिक्षक संगठनों ने बार-बार स्कूली शिक्षा मंत्री के सीधे आदेशों की अवहेलना की और इस वजह से विभाग ही नहीं मीडिया में भी अरविंद पांडे की हनक कम हुई.
ज़ाहिर है स्कूली शिक्षा मंत्री को शिक्षक संगठनों का यह रुख पसंद नहीं आता और गाहे-बगाहे इनके प्रति उनकी नाराज़गी दिख भी जाती है. लेकिन बुधवार को उनका यह गुस्सा विभाग के आला अफ़सरों की मीटिंग में भी झलक गया.
बुधवार को स्कूलों के भवनों की मरम्मत और निर्माण पर आला अधिकारियों की बैठक के दौरान अरविंद पांड ने अफसरों को शिक्षक संगठनो की मान्यता रद्द करने को कहा. शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षक छात्रों का भविष्य सुधारने के लिए होते हैं न कि राजनीति चमकाने के लिए. इसलिए शिक्षकों को राजनीति से दूर रखना चाहिए.
हालांकि विभाग के आला अधिकारी कहते हैं कि शिक्षक संगठनों की मान्यता रद्द करना इतना आसान नहीं है. शिक्षक संगठनों को कार्मिक विभाग की नियमावली के तहत मान्यता मिली है जो हर विभाग के कर्मचारी संगठनों को मिलती है. ऐसे में मान्यता रद्द करना विभाग के हाथ में नहीं है. जब कार्मिक विभाग इसे संशोधित करेगा तभी शिक्षक संगठनों की मान्यता रद्द होगी.
लेकिन अधिकारियों के इस तर्क से अरविंद पांडे का मनोबल नहीं डिगा. उन्होंने कहा कि विभाग इस संबंध में कार्मिक विभाग को प्रस्ताव तैयार करके भेजे.
यानि कि वह इस पर अड़ गए हैं कि विरोध ख़त्म करने के बजाय विरोध करने वालों को ही ख़त्म करना है. पर ड्रेस कोड के मामले पर कई बार मंत्री को धूल चटा चुके शिक्षा संगठन अपने अस्तित्व को बचाने के लिए कहां तक जाएंगे कल्पना ही की जा सकती है.
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